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उत्तर प्रदेश में स्थापत्य कला का विकास
उत्तर प्रदेश में स्थापत्य कला के विकास का इतिहास अति प्राचीन है। प्रदेश के स्थापत्य कला के नमूनों का वर्णन पुराणों में संपष्ट रूप से मिलता है। यह क्षेत्र के हिंदुओं की पावन भूमि होने पर भी यहां के स्थापत्य कला पर इस्लामिक पद्धति का विशेष प्रभाव है।
स्थापत्य कला के प्रदेश से प्राप्त प्राचीनतम अवशेष मौर्यकालीन है, जिनका निर्माण चुनार के बलुआ पत्थरों द्वारा किया गया है। इस काल के प्राप्त अवशेष मुख्यत सतूप एवं शिला स्तंभ है। सारनाथ का सिंह स्तम्भ मौर्यकालीन स्थापत्य कला का सर्वोत्कृष्ट नमूना है। गुप्तकाल में मंदिर निर्माण कला का अत्यधिक विकास हुआ है। इस कला में निर्मित मंदिरों में प्रमुख है- देवगढ़ ( झांसी) का पत्थर निर्मित मंदिर तथा भीतर गांव (कानपुर) एवं भीतरि (गाजीपुर) के ईंट निर्मित मंदिर ।
प्रदेश में मध्यकालीन शासकों के संरक्षण में स्थापत्य कला शर्क़ी शैली का विकास हुआ। अटाला मस्जिद, खालीस-मुखलीस, झंझरी एवं लाल दरवाजा, शर्क़ी शैली में निर्मित स्थापत्य कला के प्रमुख उदाहरण है।
प्रदेश की स्थापत्य कला पर मुगल काल में इस्लामिक पद्धति का काफी प्रभाव पड़ा है। उत्तर प्रदेश में वृंदावन हिंदू स्थापत्य निर्माण का प्रमुख स्थल है। यहां के अधिकांश मंदिरों का निर्माण मुगल शासक अकबर के समय हुआ। इसके प्रमुख उदाहरण गोविंद देव मंदिर, जगत किशोर मंदिर तथा मदन मोहन मंदिर है। मुगलकालीन स्थापत्य कला के श्रेष्ठ नमूने हैं- आगरे का अकबर का मकबरा ( सिकंदरा), फतेहपुर सीकरी एवं ताजमहल तथा लखनऊ का असाफी इमामबाड़ा ( बड़ा इमामबाड़ा), छोटा इमामबाड़ा एवं जामा मस्जिद। 18वीं शताब्दी में वाराणसी में निर्मित स्थापत्य कला के नगाड़ा शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
राज्य में गुप्त कालीन प्रमुख मंदिर
- देवगढ़ का दशावतार मंदिर (झांसी)
- भीतर गांव (कानपुर) का मंदिर
- भीतरि (गाजीपुर) का ईट निर्मित मंदिर।
राज्य में शर्क़ी शैली की प्रमुख भवन
- अटाला मस्जिद ,खालिस मुखालिस, झंझरी, लाल दरवाजा
- राज्य में नागडा शैली के प्रमुख मंदिर
- काशी विश्वनाथ मंदिर, दुर्गा मंदिर