वायु प्रदूषण के कारण
वायु प्रदूषण के विपरीत प्रभाव
भारत की पवित्र नदी गंगा किस समय बहुत स्वच्छ थी। आवाछित पदार्थों, जैसे वाहित मल, कूड़ा- कचरा, उद्योगों का विषैला अपशिष्ट , अपमारज्क, विषैले रसायन, मृत शरीर आदि के लगातार मिलते रहने से यह नदी दिन -प्रतिदिन प्रदूषित होती जा रही है। इसे शुद्ध करने के लिए नैसर्गिक प्रक्रम पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इसमें बहुत बड़ी मात्रा में अपशिष्ट पदार्थों एवं रसायनों को मिलाया जा रहा है, जो सूक्ष्म जीवों द्वारा आयोजित नहीं हो सकते, कुछ स्थानों पर गंगा के पानी में अत्यधिक प्रदूषण है।उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में किस नदी का सर्वाधिक दूषित फैलाव है।
गंगा नदी को स्वच्छ करने के लिए भारत सरकार ने गंगा कार्य योजना प्रारंभ की। इस परियोजना के तहत गंगा नदी के किनारे स्थित इन सभी नगरों में वाहित मल को उपचारित किया जाना है अर्थात वाहित मल को नदी के पानी में मिलाने से उपचारित करें आने रहे थे बनाना परम आवश्यक है। उद्योगिक विशिष्ट को भी नदी में मिलाने से पूर्व उपचारित किया जाना चाहिए। इस योजना के अंतर्गत गंगा नदी के किनारे वृक्षों को लगाने का प्रावधान है। इन पौधों से क्षेत्र की सुंदरता बढ़ने के अतिरिक्त पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद मिलने की पूर्ण आशा है। इसके अतिरिक्त, इसके अतिरिक्त अनेक स्थानों पर नदी के किनारे जमा गाद को हटाने की महत्वाकांक्षी प्रक्रिया जारी है। इसके पानी के मुक्त एवं निर्माण बाहों में मदद है के साथ प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी और एक बार पुनः गंगा अपनी परंपरागत गरिमा हासिल कर पाएगी।
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