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चुंबकीय क्षेत्र के तीन तरीकों/ स्रोतों की सूची बनाइए।
- परिनालिका में प्रवाहित धारा
- धारावाही सीधा चालक या धारावाही वृत्त कार चालक स्थायी चुंबक।
मान लीजिए आप किसी चेंबर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लटकाए बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजत: गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आपके दाएं और विक्षेपीत हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर है।
ऐसी कुछ यूक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर प्रयोग किए जाते हैं।
युक्तियां जिनमें विद्युत मोटर प्रयुक्त होती है- वॉशिंग मशीन, मिक्सर तथा ब्लैडर, रेफ्रिजरेटर, विद्युत पंखा, जनरेटर, जल पंप, DVD प्लेयर, टेप रिकॉर्डर तथा राइटर/ रिकॉर्डर आदि।
कोई विद्यूत रोधी तांबे की तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक- (1) कुंडली में धकेला जाता है। (2) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।(3) कुड़ली के भीतर स्थिर रखा जाता है।
- गैल्वेनोमीटर की सुई हिलती है ( या विचलित होती है) जो परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति को दर्शाती है।
- गैल्वेनोमीटर दोबारा से विचलन प्रदर्शित करता है, लेकिन विपरीत दिशा में।
- गैल्वेनोमीटर कोई विचलन प्रदर्शित नहीं करता।
दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक दूसरे के निकट स्थित है। यदि कुंडली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें तो क्या कुंडली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए?
यदि कुंडली A में धारा को परिवर्तित कर दिया जाता है तो कुंडली B में द्वारा प्रेरित होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि जब कुंडली A में धारा को परिवर्तित किया जाता है तो इससे इसका चुंबकीय क्षेत्र परिवर्तित होता है। इससे कुंडली B में चुंबकीय फ्लक्स प्रेरित होता है, जिसे धारा उत्पन्न होती है।
किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
लघुपथन होता है-
- परिपथ के अति भरण के कारण।
- विधुन्मय में तार के उदासीन तार के साथ संपर्क में आने से।
- जब परिपथ में से बहुत अधिक धारा प्रवाहित होती है ।
- जब परिपथ का प्रतिरोध शून्य हो जाता है।
- साधित्र में तारों के गलत ढंग से व्यवस्था या त्रुटिपूर्ण तारों के कारण।
- जब एक ही बिंदु पर है अनेक साधित्र जोड़ दिए जाने के कारण।
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
भूसंपर्क तार का कार्य- भूसंपर्क तार धारा को न्यून (कम) प्रतिरोध उपलब्ध करवाती। साधित्र के धात्विक ढांचे से जो धारा लीक करती है उसे पृथ्वी के समान विभव पर रखती है अर्थात शून्य विभव पर रखती है। धारा को शीघ्र पृथ्वी में जाने की सुविधा प्रदान करती है।
साधित्र जिनका बाह्रा ढाँचा धात्विक होता है, को भूसंपर्क तार से जोड़ने की आवश्यकता पड़ती है ताकि धारा लीक होने से विद्युत का झटका ना लग जाए।
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