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विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव प्रश्नोत्तरी

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शब्दों को परिभाषित करें- चुंबकीय क्षेत्र तथा क्षेत्र रेखाएं।

  • चुंबकीय क्षेत्र- चुंबक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें चुंबकीय प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है,चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है।
  • क्षेत्र रेखाएं- चुंबकीय क्षेत्र में जिन देशों के अनुदिश लोह-चूर्ण  स्वयं को व्यवस्थित करता है,चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कहलाती है।

चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक -दूसरे को क्यों नहीं काटती है?

दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं एक-दूसरे को काटती नहीं है, यदि वे ऐसा करती है तो इसका अर्थ है होगा कि एक ही बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं है, जो संभव नहीं है।

आप चुंबकीय क्षेत्र की दिशा का पता किस प्रकार लगाएंगे?

चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को उस दिशा के रूप में लिया जाता है जिस दिशा में विकसित चक्का उतरी ध्रुव चुंबकीय क्षेत्र में गति करता है।  चुंबकीय दिक् सूचक की सहायता से चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को ज्ञात किया जा सकता है। परिपाटी (सुविधा के लिए) ऐसा मान लिया जाता है कि क्षेत्र रेखाएं उत्तरी ध्रुव से निकलती है तथा दक्षिणी ध्रुव में समा जाती है। ये बंद वक्र के रूप में होती है। चुंबक के अंदर बल रेखाओं की दिशा दक्षिण ध्रुव से उतरी ध्रुव की ओर होती है।

विधुत धारा के परिवर्तन का चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता पर क्या प्रभाव पड़ता है?

किसी धारावाही चालक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ जाती है जब हम धारा के मान को बढ़ाते हैं। जब हम धरा के मान को कम करते हैं, तब चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता कम हो जाती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता चालक ने प्रभावित धारा के मान के समानुपाती होती है।

चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता का क्या होता है जब हम धारावाही चालक से दूर जाते हैं?

चुंबकीय क्षेत्र चुंबक के ध्रुवों के पास अधिकतम होता है। इसलिए चुंबक के पास चुंबकत्व क्षेत्र की शक्ति अधिकतम होती है। जैसे-जैसे हम चुंबक से दूर जाते हैं, चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता कम होती चली जाती है। अत: यह दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

धारावाही वृत्ताकार पाश द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं किस प्रकार दिखाई देती है?

  1. धारावाही वृत्ताकार पाश के कारण उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाली सकेंद्री वृतों का आकार तार से दूर जाने पर निरंतर बड़ा हो जाता है।
  2. जैसे ही हम वृत्ताकार पाश के केंद्र पर पहुंचते हैं, इन वृहत वृतों की चाप सरल रेखा जैसी प्रतीत होने लगती है।
  3. धारावाही तार का प्रत्येक बिंदु चुंबकीय क्षेत्र को जन्म देता है जो पाश (लूप) के केंद्र पर सीधी रेखाओं के रूप में प्रतीत होता है।

किसी सीधे धारावाही चालक से उत्पादन के क्षेत्र किन कारकों पर निर्भर करता है?

  • चालक में धारा के परिमाण पर- चुंबकीय क्षेत्र प्रबलता तारक में प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।
  • चालक से दूरी- किसी चालक से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र तार से दूरी विक्रम अनुपाती होता है।

उस नियम का नाम बताएं तथा परिभाषित करें, जिसमें धारावाही तार के चारों और उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा का पता लगाया जा सकता है?

दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के द्वारा धारावाही चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात की जा सकती है।

दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम- इस नियम के अनुसार, यदि हम अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़ते हैं कि हमारा अंगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है तो हमारी उंगलियां चालक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में लिपटी होगी।

किसी धारावाही वृत्ताकार (तार) पास के केंद्र पर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र किन कारकों पर निर्भर करता है?

  1. यह विद्युत धारा की प्रबलता/ मान के समानुपाती होता है।
  2. यह वृत्ताकार कुंडली में फेरों की संख्या पर निर्भर करता है।
  3. यह तार के पाश/लूप की त्रिज्या के व्युत्क्र्मानुपाती है। पाश जितना छोटा होगा चुंबकीय क्षेत्र उतना ही प्रबल होगा।

किस धारावाही परिनलिका  द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र किन किन कारकों पर निर्भर करता है?

  1. परिनलिका (की कुंडली) में जितने फेरों की संख्या अधिक होगी, उतना ही चुंबकीय क्षेत्र प्रबल होगा।
  2. परिनलिका से जितनी अधिक धारा बढ़ेगी, उतना ही चुंबकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होगा।
  3. यह परिनलिका में प्रयुक्त क्रोड के पदार्थ पर निर्भर करता है। परिनलिका में क्रोड के रूप में नरम लोहे को प्रयोग करने पर अधिक प्रबल चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

किसी धारावाही कुंडली से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता हम किस प्रकार बढ़ा सकते हैं?

  1. धारा का मान बढ़ा कर,
  2. कुंडली की त्रिज्या कम करके,
  3. कुंडली में तार के फेरों की संख्या बढ़ाकर।

हम विद्युत चुंबक किस प्रकार बना सकते हैं?

विद्युत चुंबक को परिनलिका  का उपयोग करके बनाया जाता है। जब हम परिनालिका में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं, तो परिनालिका  के अंदर तथा चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। जब परिनलिका  के अंदर हम नरम लोहे का टुकड़ा/छड़ रखते हैं, तो परिनलिका में प्रबल चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। जिसका उपयोग लोहे के टुकड़े को चुंबक बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार बने चुंबक को हम विद्युत चुंबक कहते हैं।

विद्युत चुंबक के दो उपयोग बताएं?

  1. क्रेन में इनका उपयोग लोहे के बहुत भारी सामान को उठाने के लिए किया जाता है,  जैसे मशीनें या कंटेनर।
  2. इनका उपयोग विद्युत साधित्रों में किया जाता है।

उन युक्तियों के नाम बताइए जो धारावाही चालकों तथा चुंबकीय क्षेत्र का प्रयोग करते हैं?

युक्तियां जो धारावाही चालकों तथा चुंबकीय क्षेत्र का प्रयोग करती है- विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र, लाउड स्पीकर/स्पीकर, माइक्रोफोन, मापक यंत्र।

चिकित्सा में चुंबकत्व का क्या प्रयोग है?

चिकित्सा में चुंबकत्व का उपयोग-

  1. विद्युत धारा सदैव चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है। यहां तक कि दुर्बल आयन धाराएं जो शरीर में तंत्रिका कोशिकाओं में गति करती है, चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है।
  2. तंत्रिका आवेग एक अस्थायी चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, शरीर में हृदय तथा मस्तिष्क दो प्रमुख अंग है जो उल्लेखनीय चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं।
  3. शरीर के अंदर चुंबकीय क्षेत्र MRI का आधार है। इसे तकनीक का उपयोग शरीर के अंदर के भागों के चित्र लेने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग चिकित्सा अन्वेषण में किया जाता है।

उन कारकों की सूची बनाइए, जिन पर धारावाही चालक पर आरोपित बल निर्भर करता है?

  • चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता- जितनी अधिक चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होगी, उतना ही अधिक चालक पर लगने वाला बल होगा।
  • चालक की लंबाई- लंबे चालक, छोटे चालक की अपेक्षा अधिक बल का अनुभव करते हैं।
  • विद्युत धारा की प्रबलता /मान – विद्युत धारा का मान जितना अधिक होगा उस पर आरोपित बल भी उतना ही अधिक होगा।

कौन -सी युक्तियां विद्युत मोटर का उपयोग करती है?

युक्तियां जो विद्युत मोटर का उपयोग करती है- विद्युत पंखे, रेफ्रिजरेटर, मिक्सर, वॉशिंग मशीन, कंप्यूटर, DVD प्लेयर आदि।

विद्युत मोटर में हम कुंडली के घूर्णन की गति किस प्रकार बढ़ा सकते हैं?

कुंडली में धारा का मान बढ़ा कर, चुंबकीय क्षेत्र की प्रबलता बढ़ाकर, कुंडली में फेरों की संख्या बढ़ाकर।

विभक्त वलय, आर्मेचर तथा कार्बन ब्रुशों के कार्य लिखें।

विभक्त वलय कुंडली में प्रवाहित धारा की दिशा को उत्क्रमित कर देते हैं। यह दिकपरिवर्तक के रूप में कार्य करते हैं।

आर्मेचर मोटर की शक्ति बढ़ा देते हैं।

कार्बन ब्रुश का कार्य घूर्णन करते हुए विभक्त वलय ( दिक् परिवर्तक) के साथ संपर्क बनाना है तथा कुंडली को धारा सप्लाई करना है।

एक वाणिज्यिक मोटर साधारण मोटर से किस प्रकार भिन्न होती है?

  1. स्थायी चुंबक के स्थान पर विद्युत चुंबक,
  2. धारावाही कुंडली में चालक तार फेरों की बहुत अधिक संख्या।
  3. एक नरम लोहे का क्रोड जिस पर कुंडली लिपटी हुई होती है।

क्या होता है जब किसी परिनलिका चुंबक को अंदर से बाहर लेकर जाते हैं?

जब हम किसी परिनलिका में चुंबक को अंदर बाहर लेकर जाते हैं तो विद्युत धारा उत्पन्न होती है।इसका अर्थ यह है कि गतिशील चुंबक विद्युत धारा उत्पन्न करता है। इस प्रघटना को विद्युत चुंबकीय प्रेरण कहते हैं। कुंडली के संदर्भ में चुंबक की गति प्रेरित विभवांतर (वोल्टेज) उत्पन्न करती है, जो परिपथ में प्रेरित धारा उत्पन्न करता है।

AC  तथा DC  के बीच अंतर स्पष्ट करें।

                      AC                                   DC
धारा निश्चित समय के पश्चात अपनी दिशा बदलती रहती है ( जैसे 1/100s के बाद)। धारा अपनी दिशा नहीं बदलती है बल्कि एक ही दिशा में प्रवाहित होती रहती है।
धारा, ac जनित्र द्वारा बहते हुए पानी से उत्पादित की जाती है। यह किसी से लिया बैटरी द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत में परिवर्तित करके उत्पन्न होती है।

DC पर AC के चार लाभ बताएं।

  1. इसे दूरस्थ स्थानों तक बिना किसी हानि के संचरीत किया जा सकता है।
  2. AC  का उत्पादन सस्ता पड़ता है।
  3. AC का उपयोग DC की अपेक्षा अधिक सुरक्षित है।
  4. इसे सरलता से DC में परिवर्तित किया जा सकता।

विद्युत मोटर तथा DC जनित्र के बीच अंतर स्पष्ट करें।

DC  जनित्र में हम कुंडली को घुमाते हैं तथा DC धारा उत्पन्न करते हैं। इससे धारा उत्पन्न होती है। मोटर में हम धारा सप्लाई करते हैं तथा कुंडली को घुमाते हैं। यह धारा/ ऊर्जा का प्रयोग करती है।

भू-संपर्क क्यों किया जाता है?

  1. विद्युत साधित्रों को भूसंपर्क विद्युत झटके (शॉक)से बचाने के लिए किया जाता है। ऐसा धारा के लीक होने के कारण से हो सकता है।
  2. लघुपथन से होने वाली हानि से बचने के लिए भी विद्युत साधित्रों का भूसंपर्क किया जाता है।

भूसंपर्क किस प्रकार किया जाता है?

तांबे की एक प्लेट, एक मोटी तांबे की तार, एक विद्युत अपघटय (लवण) तथा कोक। पृथ्वी में 10 फुट की गहराई से अधिक एक छेद किया जाता है यहां तक जहां पर मिट्टी गीली रहती है। छेद में विद्युत अपघटन तथा कोक डाला जाता है। तांबे की प्लेट को तांबे की तार से जोड़ा/वेल्ड किया जाता है तथा प्लेट को विद्युत अपघटय में रख देते हैं। लवण की चालकता बढ़ाने के लिए उसमें कुछ पानी डाला जाता है। तार के दूसरे सिरे को विद्युत साधित्र धात्विक आवरण से जोड़ा जाता है।

घरेलू विद्युत साधित्रों को समांतर क्रम में क्यों जोड़ा जाता है?

घरेलू विद्युत साधित्रों  को समांतर क्रम में इसलिए जोड़ा जाता है क्योंकि-

  1. सभी विद्युत साधित्रों  को समान विभव ( अंतर) की आवश्यकता होती है।
  2. उन्हें भिन्न-भिन्न आवश्यकतानुसार धारा चाहिए, इसकी आपूर्ति के लिए।
  3. उन्हें  स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग में लाया जाता है।
  4. परिपथ तथा विद्युत साधित्र में कोई त्रुटि उत्पन्न होने पर साधित्र अप्रवाहित रहते हैं।

अतिभारण से क्या अभिप्राय है, इसके क्या कारण होते हैं?

अतिभारण का अर्थ है, परिपथ में से उसकी क्षमता से अधिक धारा को प्राप्त करना। इससे परिपथ की तारे गर्म हो जाती है।

  1. एक ही सॉकेट में कई युक्तियां को जोड़ना।
  2. उच्च वोल्टेज की धारा प्रवाहित होना।

फ्यूज क्या है? फ्यूज तार के दो लक्षण बताओ। फ्यूज के क्या लाभ है?

फ्यूज सुरक्षा की एक युक्ति है, जिसे विद्यून्मय तार में श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

  1. इसका प्रतिरोध उच्च होता है।
  2. इसका गलनाक कम होता है।

फ्यूज के लाभ-

  1. फ्यूज विद्युत परिपथ के साधित्रों  का उच्च धारा तथा उच्च वोल्टेज से बचाता है।
  2. यह परिपथ को अतिभारण से बचाता है।

फ्यूज तार का पतला होना (न कि मोटा होना) अनिवार्य क्यों है?

पतले तार का प्रतिरोध मोटी तार की अपेक्षा कहीं अधिक होता है। यदि धारा या वोल्टेज अधिक है तो यह गर्म हो जाती है और पिघल जाती है। इसलिए परिपथ टूटने के कारण तारे सुरक्षित बच जाती है लेकिन यदि हम मोटी तार का प्रयोग करते हैं, तो उसका प्रतिरोध कम होता है। यह अपने गालनांक तक आसानी से गर्म नहीं होती है। इसलिए मोटे तार को फ्यूज के रूप में प्रयोग करना उचित नहीं  है।

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