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ऑडियो-विडियों रिकॉर्डिंग व प्लेबैक प्रणालियों से जुडी जानकारी

रिकार्ड प्लेयर

सर्वप्रथम थॉमस एडिसन ने ग्रामोफोन रिकॉर्ड को एक गोल चकती पर रखकर घुमाया और एक स्टील सुई में यांत्रिक कंपन पैदा कर ध्वनि कक्ष की सहायता से ध्वनि तरंग पैदा की थी। उनका यह अविष्कार ग्रामोफोन कहलाया। ग्रामोफोन का परिवर्द्धती रूप है रिकॉर्ड प्लेयर। इसमें मुख्यत: विद्युत चालित मोटर, टर्न टेबल, टोन- आर्म, पिक-अप और ड्राइव प्रणाली होती है।

रिकॉर्ड से ध्वनि संकेत (ए एफ सिग्नल) पैदा करने वाली इकाई है पिक-अप। वर्तमान किसम के पिक-अप में रोशैल साल्ट अथवा सैरामिक क्रिस्टल के साथ सैफायर अथवा हीरे के टिप वाली सुई को रिकॉर्ड गतिमान किया जाता है जिससे क्रिस्टल के दो आमने-सामने के पार्श्वों के बीच श्रव्य आवृत्ति से प्रवर्द्धित करके लाउडस्पीकर से ध्वनि तरंगों में परिवर्तित किया जाता है।

रिकॉर्ड

रिकॉर्ड एक गोल चकती के रूप में होता है। यह शैलेक, विनाइल अथवा एसीटेट आलेपीत गत्ते से बनाया जाता है। रिकॉर्ड पर एक महीन वृत्ताकार नाली होती है जो बाह्रा परिधि से प्रारंभ होकर रिकॉर्ड के केंद्र से लगभग 5 सेंमी अर्द्धव्यास के वृत पर समाप्त हो जाती है।

रिकॉर्ड बनाने के लिए मास्टर रिकॉर्ड प्लेयर कटिंग हेड एवं शक्तिशाली ए.एफ़  प्रयोग किया जाता है। रिकॉर्ड, निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-

78 RPM : सामान्य नॉर्मल प्ले (NP) रिकॉर्ड, दोनों और कुल 7 मिनट।

45 RPM : एक्सटेंड प्ले (EP) रिकॉर्ड, दोनों कुल 14 मिनट

33*1/3 RPM : लोग प्ले (LP) रिकॉर्ड, दोनों और कुल 42 मिनट।

16*2/3 RPM : ट्रांसक्रिप्शन प्ले (TP) रिकॉर्ड, संगीत रिकॉर्डिंग के लिए।

रिकॉर्ड चेंजर

यह एक विशेष प्रकार का रिकॉर्ड प्लेयर होता है। जिसमें 5-6 रिकॉर्ड 17 लगाए जा सकते हैं जो एक के बाद दूसरे क्रम में स्वत: ही प्ले होते रहते हैं । आधुनिक टेप रिकॉर्डर एवं सी.डी. प्लेयर के विकास के बाद रिकॉर्ड प्लेयर कथा रिकॉर्ड चेंजर ऐप पर क्लिक होते गए हैं।

टेप रिकॉर्डर

वर्तमान चुंबकीय टेप आधारित टेप रिकॉर्डर एवं प्लेबैक यंत्र का अविष्कार सन 1924 में ब्रिटिश रिवर नामक वैज्ञानिक ने किया था।

सिद्धांत

जब चुंबकीय पदार्थ के कणों से युक्त पीते हो सकते ए एफ़  चुंबकीय क्षेत्र में से गुजर जाता है तो तुम क्या पदार्थ के कण, ए एफ़ संकेत की आवृत्ति एवं आयाम के अनुरूप सेट हो जाते हैं। यह प्रक्रिया रिकॉर्डिंग कहलाती है। प्ले के लिए चुंबकीय टेप को सूफी कव्वाईली (मैग्नेटिक हैंड) के एयर गैप में से गुजारा जाता है जिससे सुग्राही क्वाइल में ए एफ़ डकैत पैदा हो जाते हैं। इन संकेतों को ए एफ़ प्रवर्धक से प्रभावित कर के लाउडस्पीकर के द्वारा ध्वनि तरंगों में परिवर्तित किया जाता है।

संरचना

टेप रिकॉर्डर में मुख्यतः निम्नलिखित घटक होते हैं-

  1. रिकॉर्डिंग/रिप्ले हेड
  2. इरेजिंग हेड
  3. एच एफ़ ओसिलेटर
  4. माइक्रोफोन
  5. लाउडस्पीकर
  6. विद्युत मोटर
  7. ए एफ़ प्रवर्धक
  8. चुंबकीय टेप (सप्लाई तथा टेक अप स्पूल सहित)
  9. यांत्रिक पूर्जे (गियर, कैम, पुली आदि)

इरेजिंग

रिकॉर्डिंग पेपर से पढ़ो संग्रहित कार्यक्रम को साफ करना इरेजिंग  कहलाता है। इस कार्य के लिए एक पृथक चुंबकीय हेड प्रयोग किया जाता है। जो इरेजिंग  हेड कहलाता है। इस्टेप चालन दिशा में रिकॉर्डिंग हेड से पहले स्थापित किया जाता है। इसे विकसित करने के लिए 30 kHZ से 150 kHz आवृत्ति धारा प्रदान की जाती है जो एच एफ़ चेंज 1 हैचओसिलेटर नामक इकाई में तैयार की जाती है। इसे एच.एच.एफ़ बायस का उपयोग रिकॉर्डिंग/रिप्ले हेड को प्रारंभिक उत्तेजना प्रदान करने के लिए भी किया जाता है।

चुंबकीय हेड

रिकॉर्डिंग तथा प्लेबैक कार्य के लिए एक ही प्रकार का हेड प्रयोग किया जाता है जो चुंबकीय हेड कहलाता है। उपयुक्त प्रकार का चेंज- विच प्रयोग करके एक ही हेड से रिकॉर्डिंग तथा प्लेबैक दोनों कार्य लिए जा सकते हैं। यह परमैलाय नामक स्टील किक रोड पर शुक्राय कुंडली लपेट कर बनाया जाता है। करोड का आकार गोल चले जैसा होता  है जिसमें एक और एयर होता है।इसी एयर गेट के पास से टेप गतिमान किया जाता है।

कैसिट टेप रिकॉर्डर

आम जनता में इसी प्रकार के टेप रिकॉर्डर प्रचलित है। इसमें सप्लाई स्पूल, स्पूल  टेक अप तथा टेक एक प्लास्टिक खोल सयोजित किए जाते हैं जो कैसिट कहलाता है। कैसेट को जब चाहे आधा या पूरा चलाने के बाद यंत्र से बाहर निकाला जा सकता है जबकि स्पूल  प्रकार के टेप रिकॉर्ड अपने पेट को एक स्पूल से दूसरे स्पूल पर पूरा लपेटना आवश्यक होता है। कैसेट टेप रिकॉर्डर में टेप प्रचालन गति 4.75 सेंटीमीटर/से रखी जाती है।

स्टीरियो टेप रिकॉर्डर

वर्तमान में अधिकांश कैसेट टेप रिकॉर्डर स्टीरियो प्रकार के होते हैं।  इनमें दोहरा रिकॉर्ड/ रिप्ले हेड प्रयोग किया जाता है। चुंबकीय टेप भी दो ट्रैक वाला होता है।

टू-इन-वन

ऑडियो टेप रिकॉर्डर तथा रिसीवर का संयुक्त रुप टू इन वन कहलाता है। कार कैसेट प्लेयर (CCP) बैटरी चालित टू इन वन होता है और इसमें टेक को दूसरी दिशा में प्रचलित करने की भी व्यवस्था होती है।

वीडियो कैसेट प्लेयर:

ऑडियो कैसेट प्लेयर के समान ही वीडियो कैसेट प्लेयर बनाया गया है। VCP  के द्वारा चलचित्र का प्रदर्शन ध्वनि के साथ टी.वी. रिसीवर या मॉनिटर पर किया जा सकता है जिसमें टेप की सापेक्ष गति 8 सेमी से प्राप्त होती है। ध्वनि संकेतों के पुण्य उत्पादन के लिए पृथक ऑडियो हेड प्रयोग किया जाता है।

वीडियो कैसेट: वीडियो कैसेट में कुल 5 ट्रैक होते हैं।

  1. ऑडियो ट्रैक 1.0 मिमी
  2. गाइड ट्रैक 0.15 मिमी
  3. वीडियो ट्रैक 10.6 मिमी
  4. गाइड  ट्रैक – 0.15 मिमी
  5. कंट्रोलिंग ट्रैक 0.75 मिमी

         योग 12.65 मिमी

गाइड ट्रैक, दो एक्टिव ट्रैक  को पृथक रखता है। ऑडियो ट्रैक द्वारा होता है अर्थात स्टीरियो प्रकार का होता है। वीडियो ट्रैक पर हेलीकल (कुल झुकाव पर) रिकॉर्डिंग की जाती है जिससे अधिक प्ले देखो समय उपलब्ध हो। कंट्रोलिंग ट्रैक, ऑडियो कथा वीडियो ट्रिक्स के रिप्ले में समन्वय स्थापित करता है।

वीडियो कैसेट रिकॉर्डर : इसमें ऑडियो कथा वीडियो कार्यक्रम को प्ले बैक करने के साथ रिकॉर्ड करने की भी सुविधा होती है। इसमें कुल चार चुंबकीय हेड प्रयोग किए जाते हैं।

  1. ऑडियो हेड (रिकॉर्ड/प्ले)
  2. वीडियो हेड ( रिकॉर्ड/रीप्ले)
  3. एरिजिंग हेड
  4. नियंत्रक हेड

VCP में तीन हेड होते हैं, उसमें इरेजिंग हेड नहीं होता है।

कॉन्पैक्ट डिस्क प्लेयर

कॉन्पैक्ट डिस्क

फोन रिकॉर्ड का आधुनिक स्वरूप है सी डी  यह 1.2 मिनी मोटी तथा 120 मिमी व्यास की एकचकती होती है।, यह पाली कार्बोनेट पदार्थ पर्सपेक्स या माइक्रो लोन से बनाई जाती है। चकती पर प्राय: एक और ही रिकॉर्डिंग की जाती है जो लेबल साइड का लाती है।चकती  पर एक महीना वृत्ताकार ट्रक होता है जिस पर गड्ढों तथा उभार के रूप में डिजिटल संकेतों के रिकॉर्डिंग की जाती है।

सीडी की किस्में

सी.डी. कई प्रकार की होती है।

ACD ऑडियो सी.डी.

यह केवल ध्वनि संकेतों की रिकॉर्डिंग के लिए प्रयोग की जाती है। एक सी.डी. क्षमता 700 (मेगा बाइट्स) होती है और इस पर लगभग 74 मिनट तक का संगीत/वार्ता  कार्यक्रम रिकॉर्ड किया जा सकता है।

MP3

इस प्रकार चकती  पर कार्यक्रम को कंप्रेस कर दिया जाता है और 750 मिनट (12 घंटे) तक का कार्यक्रम रिकॉर्ड किया जा सकता है।

VCD  वीडियो सी.डी.

इस पर ऑडियो कथा वीडियो दोनों प्रकार के संकेत साथ-साथ रिकॉर्ड किए जाते हैं। इस का चालन  समय भी 74 मिंट होता है। इस पर रिकॉर्डिंग दर ए.सी.डी की तुलना में दोगुनी अन्यथा 352 KBS होती है।

DVD

डिजिटल वीडियो डिस्क वैसे तो सभी प्रकार की सी.डी पर डिजिटल संकेत रिकॉर्ड किए जाते हैं परंतु इसका नाम डी.वी.डी रखा गया है। यह उच्च रिकॉर्डिंग क्षमता वाली चकती  है जो केवल पड़ी जा सकने वाली (DVD-ROM) तथा पढ़ी लिखी जा सकने वाली (DVD-RW) प्रकार की होती है। इसकी रिकॉर्डिंग क्षमता 8.5 GB प्रति पार्श्व होती है। यह अर्धचालक पदार्थ की परत होती है।

सी.डी प्लेयर

सीडी प्लेयर में लेदर बीम प्रचलित ऑप्टिकल  पिकअप (लेजर बीम पिकअप) इकाई होती है जो चकती  शेर डिजिटल संकेतों को ग्रहण करती है।चकती के ट्रैक में उभार अंक 1 के लिए तथा गड्ढा अंक 0 के लिए होता है। डिजिटल संकेतों को DAC  इकाई के द्वारा एंड लोंग संकेतों में परिवर्तित किया जाता है और मॉनिटर तथा लाउडस्पीकर के द्वारा क्रमश: वीडियो तथा ऑडियो संकेतों का पुनर उत्पादन किया जाता है।

डी.वी.डी प्लेयर

इसमें डिजिटल संकेतों को पढ़ने की दर 3.84 मी/से होती है जबकि सामान्य सीडी प्लेयर में यह दर 1.3 मी/से होती है। इस प्रकार डी.वी.डी प्लेयर द्वारा उत्पादित कार्यक्रम की श्रेष्ठता स्तरीय होती है।

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