आज इस आर्टिकल में हम आपको भूमिज विद्रोह (1832- 33 ई.) का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.

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भूमिज विद्रोह (1832- 33 ई.) का इतिहास

अंग्रेजी सरकार ने वीरभूम के जमींदारों पर इतना राजस्व बढ़ा दिया कि उसे चूका कर भरण पोषण कर पाना किसानों और छोटे जमींदारों के लिए कठिन हो गया. वह बाहरी साहूकारों के कर्ज से दब गए थे. इस संकट को समाप्त करने के लिए यह विद्रोह 1832 ईसवी में गंगा नारायण के नेतृत्व में हुआ.

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