आज इस आर्टिकल में हम आपको संथाल विद्रोह (1855- 56 ई.) का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.
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संथाल विद्रोह (1855- 56 ई.) का इतिहास
संथाल विद्रोह का प्रभाव मुख्यतः भागलपुर से लेकर राज महल (वर्तमान में झारखंड में स्थित) के समीपवर्ती क्षेत्रों में रहा. जमींदारों और साहूकारों के शोषण और अत्याचार, ठेकेदारों द्वारा संथाल मजदूरों से बेगारी कराने के साथ-साथ पुलिस या प्रशासन की कठोर कार्रवाई या आदि संथाल विद्रोह के अनेक कारण थे.
संथाल विद्रोह का नेतृत्व हालांकि चार भाइयों- सिद्धू, कान्हा, भैरव और चांद ने किया, किंतु इनमें से सिद्धू और कान्हू अधिक सक्रिय योगदान किया. यह विद्रोह/संघर्ष लगभग 1 साल तक जारी रहा, जिसमें अंग्रेजों की आधुनिकतम शस्त्रशास्त्रों से लेश सेना के साथ संघर्ष करते हुए अनेक संथाल नेता शहीद हो गए. 1880-81 ई. में सथालों ने पुनः विद्रोह किया, परंतु इस बार भी उसे दबा दिया गया.