आज इस आर्टिकल में हम आपको Bihar D.El.Ed भाषा का शिक्षणशास्त्र हिन्दी – 2 Paper के बारे में बताने जा रहे है.

Bihar D.El.Ed भाषा का शिक्षणशास्त्र हिन्दी – 2 Paper

Bihar D.El.Ed भाषा का शिक्षणशास्त्र हिन्दी - 2 Paper
Bihar D.El.Ed भाषा का शिक्षणशास्त्र हिन्दी – 2 Paper

भाषा का शिक्षणशास्त्र हिन्दी – 2
प्रत्येक प्रश्न संख्या के अन्तर्गत दिए गए विकल्पों में से आपने जिस प्रश्न को उत्तर देने के लिए चुना है, उसके आगे बने बॉक्स पर निशान  अवश्य लगाएँ अन्यथा आपका उत्तर अमान्य हो सकता है ।
लघु-उत्तर वाले प्रश्न (लगभग 100 शब्दों में उत्तर दें)।
प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम अंक 5 है ।

1. हिन्दी की कक्षा के लिए किस प्रकार के शिक्षण सहायक सामग्रियाँ होनी चाहिए ? सोदाहरण समझाएँ ।।

अथवा

किसी एक शिक्षण सहायक सामग्री का उदाहरण देते हुए बताएँ कि प्रारम्भिक स्तर के हिन्दी शिक्षण में आप उसका प्रयोग कहाँ-कहाँ कर सकते हैं ?

2. भाषा के विकास में साहित्य का उपयोगं क्यों किया जाना चाहिए ? तर्क देते हुए समझाएँ ।

अथवा

शब्द शक्ति क्या है ? उदाहरण देते हुए समझाएँ ।

3. एक शिक्षक या शिक्षिका में भाषाई क्षमता होना तथा उसका निरन्तर विकास करना क्यों जरूरी है ? तर्क देते हुए समझाएँ ।

अथवा

एक शिक्षक-या शिक्षिका अपने भाषाई क्षमता को कैसे बढ़ा सकता/सकती है ? इसके कुछ तरीकों की चर्चा करें ।

4. आप जिस कक्षा में शिक्षण करते या करती हैं उसकी हिन्दी पाठ्यपुस्तक से किसी एक कविता का उदाहरण देकर बताइए कि वह बच्चों के भाषा विकास में किस प्रकार सहायक है ?

अथवा

क्या बच्चे हिन्दी केवल हिन्दी की कक्षा में ही सीखते हैं ? सोदाहरण अपनी बात रखें ।

5. हिन्दी साहित्य के इतिहास के किन्हीं दो कालों का उल्लेख करें और उनकी विशेषता बताएँ । ।

अथवा

स्कूल की हिन्दी पाठ्यपुस्तकों के अलावा, किसी अन्य हिन्दी साहित्यिक रचना के बारे में बताएँ जो आपने पढ़ रखा हो । उस रचना का विषय क्या है ? संक्षेप में बताएँ ।

6. विद्यार्थी की मौखिक अभिव्यक्ति का आकलन करने के तरीकों को सोदाहरण समझाएँ ।

अथवा

विद्यार्थी की लिखित अभिव्यक्ति का आकलन करने के क्या-क्या पैमाने हो सकते हैं ?

निम्नलिखित कहानी को पढ़े और प्रश्न संख्या-7 और 8 का उत्तर दें।

कहानी: शेर और सियार

एक शेर था । एक सियार था । शेर और सियार ने एक झूला डाला । वे दोनों बारी-बारी से झूलते थे । एक दिन दोनों झगड़ने लगे । तभी लोमड़ी आई । लोमड़ी बोली – “अरे ! क्यों झगड़ते हो ?’ शेर बोला – “यह सियार बेईमानी करता है । खुद बीस झूले झूलता है, तब दस बताता है । मेरे दस झूलों को बीस बताता है ।” सियार बोला – “यह शेर झूठा है । गिनती भी नहीं जानता । मुझे पंजे से डराता है ।” लोमड़ी बोली – “शेर अकल लगा । गिनती सीख । पंजा मत मार ।” शेर बोला – “यहाँ पंजा ही चलता है, अकल नहीं ।”

ऐसा कहकर वह लोमड़ी को मारने दौड़ा । लोमड़ी जान बचाकर भागी । सामने एक पेड़ था । पेड़ का तना मोटा था । तने में एक छेद था । लोमड़ी छेद में से निकल गई ।

शेर भी पीछे लपका । लेकिन वह मोटा था, उसमें वह फँस गया । न आगे निकले न पीछे । लोमड़ी बोली “अब अकल लगा । यहाँ पंजा नहीं, अकल चलती है ।’ 7. इस ‘शेर और सियार’ कहानी के माध्यम से बच्चों को क्या-क्या सिखाया जा सकता है ? कम से कम दो उदाहरणों की चर्चा करें।

8. मान लीजिए कि ‘शेर’ और ‘शियार’ कहानी पहली और पाँचवी, दोनों कक्षाओं के हिन्दी की पाठ्यपुस्तकों में शामिल है । तो दोनों कक्षाओं में इस कहानी को पढ़ाने के उद्देश्य और तरीके में क्या कोई अन्तर होगा ? तर्क सहित स्पष्ट करें।

दीर्घ-उत्तर वाले प्रश्न (न्यनतम 350 शब्दों में उत्तर दें)।
प्रत्येक प्रश्न के लिए अधिकतम अंक 10 है ।
नए अधिकतम अंक 10 है ।

9. हिन्दी शिक्षण के व्यवहारवादी, रचनात्मक एवं आलोचनात्मक उपागम का तुलनात्मक विश्लेषण उदाहरणों के … … माध्यम से करें । आप इनमें से किस उपागम को बेहतर मानते हैं और क्यों, यह भी बताएँ ।

अथवा

प्रारम्भिक स्तर के हिन्दी शिक्षण में बच्चों को आनेवाली विषयकेन्द्रित समस्याएँ क्या-क्या हैं ? उसमें से किसी एक समस्या को लेकर एक एक्शन रिसर्च की योजना प्रस्तुत करें ।

10. प्रारम्भिक स्तर के हिन्दी विषय के पाठ्यक्रम के किसी विषयवस्तु को लेकर एक सीखने की योजना (लर्निंग प्लान) का निर्माण करें । आपने उस योजना में जिस शिक्षण विधि या विधियों को चुना है ? उसको क्यों चुना है, इसकी विशेष व्याख्या करें ।

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