छत्तीसगढ़ के लगभग 80% निवासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। वर्ष 2014-15 में छत्तीसगढ़ का भौगोलिक क्षेत्रफल 137.36 लाख हेक्टेयर एवं कुल बोया गया क्षेत्र 57.28 लाख हेक्टेयर तथा शुद्ध बोया गया क्षेत्र 46.81 लाख हेक्टेयर है। राज्य गठन के समय शासकीय स्रोतों से 13.28 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षेत्र निर्मित हुआ था। जो कुल बोये गए क्षेत्र का 23% है। वर्ष 2014-15 में प्रदेश में शुद्ध बोया गया 4681 हजार हेक्टेयर है तथा कुल सिंचित क्षेत्रफल 1787 हजार हेक्टेयर था।
चावल यहां की प्रमुख फसल है। यहां के संपूर्ण क्षेत्र में चावल होने के कारण है इसे धान का कटोरा कहा जाता है। यहां चावल का उत्पादन दुर्गे, राजनांदगांव, बिलासपुर, कांकेर, बस्तर तथा दंतेवाड़ा जिले में मुख्य रूप से किया जाता है। धान के अलावा गेंहू, मक्का, ज्वार, बाजरा कोदों इत्यादि अन्य फसलें हैं। दलहन और तिलहन की भी उल्लेखनीय कृषि की जाती है।
कृषि उपज व उत्पादक क्षेत्र
- चावल- दुर्ग, रायपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर आदि।
- गन्ना – रायपुर, बिलासपुर, बस्तर
- तूअर (अरहर)- रायपुर, सरगुजा, दुर्ग, बिलासपुर, कबीरधाम, राजनंदगांव
- तिलहन – बस्तर, बिलासपुर, राजनंदगांव, रायपुर, दुर्ग, सरगुजा, कोरिया, दंतेवाड़ा
- मेस्टा- रायगढ़
- सनई – रायगढ़
- अलसी – राजनंदगांव, कबीरधाम, रायपुर
- गेहूं- दुर्ग, बिलासपुर, रायपुर, धमतरी, महासमुंद, रायगढ़, कबीरधाम।
- मक्का ज्वार- सरगुजा, कोरिया, कांकेर, दंतेवाड़ा।
- बाजरा – बस्तर संभाग, रायगढ़, जशपुर।
- चना – बिलासपुर, राजनंदगांव, कबीरधाम, दुर्ग, जांजगीर
- मूंग – रायगढ़, जसपुर, रायपुर, बिलासपुर
कृषि आधारित तथ्य
- छत्तीसगढ़ राज्य की 80% कार्यशील जनसंख्या की आजीविका कृषि पर निर्भर है।
- छत्तीसगढ़ के 43.68% क्षेत्र में कृषि कार्य होता है तथा 42.2% क्षेत्र वन है।
- धान प्रमुख खाद्यान्न फसल है। प्रदेश में कुल कृषि योग्य भूमि के 60.10% प्रतिशत भाग में चावल की खेती होती है
- छत्तीसगढ़ में धान की सबसे ज्यादा किस्मों का संग्रह लगभग 20,000 किया गया है। राज्य की कृषि भूमि के 67% भाग में धान की खेती होती है।
- छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर में चावल अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है।
- छत्तीसगढ़ की प्रमुख दलहन फसल तिवरा है। इसके अतिरिक्त चना, तुअर, उड़द कुल्थी व मूंग की खेती होती है।
- छत्तीसगढ़ में अलसी प्रमुख तिलहनी फसल है
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक बाजरा बस्तर संभाग में उपजाया जाता है।
- तुअर (अरहर) की कृषि कबीरधाम व राजनंदगांव में सबसे ज्यादा होती है।
- छत्तीसगढ़ को मिला 2014-15 के लिए सर्वाधिक दाल उत्पादक राज्य का पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में फरवरी 2016 को आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री रमन सिंह को कृषि कर्षण पुरस्कार प्रदान किया। इसके पूर्व राज्य को 2011 में भी यह पुरस्कार मिला था।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक सरसों, सरगुजा, कोरिया, बस्तर, कांकेर व दंतेवाड़ा में पैदा होती है।
- मूंगफली की कृषि सबसे ज्यादा रायगढ़ व जशपुर जिले में होती है।
- छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि संबंधित अग्रलिखित महत्वपूर्ण योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है –
- एकीकृत अनाज विकास योजना (चावल)- यह धान के उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने से संबंधित है।
- एकीकृत मोटा अनाज विकास योजना – इसके अंतर्गत ज्वार बाजरा कोदों, कुटकी के साथ गेहूं के विस्तार और विकास का कार्यक्रम प्रदेश के जिलों में (सभी) कार्यन्वित है।
- औषधीय एवं सुगंधित पौधों के विकास की योजना।
- मशरूम उत्पादन कार्यक्रम – इसमें मशरूम की वैज्ञानिक खेती के प्रोत्साहन के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
- आइसोपाक योजना- यह तिलहन, दलहन, और मक्का फसलों का एकीकरण करने की योजना है।
इसके अंतर्गत केला उत्पादन, संघन कार्यक्रम पुष्प विकास योजना, बीज स्वावलंबन अन्नपूर्णा योजना आदि अन्य योजनाएं हैं। जो छत्तीसगढ़ में राज्य में कृषि के विकास के लिए कार्यान्वित की जा रही है।
छत्तीसगढ़ में सिंचाई परियोजनाएं
हसदेव बांगो परियोजना – इसे मिनीमाता परियोजना भी कहा जाता है। यह बिलासपुर जिले में हसदो नदी पर है। इस परियोजना से कटघोरा, जाजगीर तथा शक्ति तहसीलों का लगभग 2,50,300 हेक्टेयर तथा रायगढ़ जिले में 4700 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इस परियोजना के तीन चरणों में से दो चरण पूरे हो गए हैं।
महानदी जलाशय परियोजना- यह छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है। इस परियोजना में धमतरी, रायपुर व दुर्ग जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। महानदी जलाशय परियोजना के अंतर्गत 6 जलाशय एवं महानदी पोषक नहर और सोंदूर पोषक नहर सम्मिलित है। महानदी जलाशय परियोजना में मुरुम्सिल्ली (1923) दुधावा (1963), रविशंकर सागर (1978), शिकासार, सोढूर (1988) एवं पैरी हाई डेम सम्मिलित है।
छत्तीसगढ़ की परियोजनाएं
संख्या | परियोजना | लाभन्वित जिले |
1. | महानदी | रायपुर |
2. | पैरी | रायपुर |
3. | कोडार | रायपुर |
4. | जोंक | रायपुर |
5. | रविशंकर सागर | रायपुर |
6. | गोंटुर | रायपुर |
7. | दुधावा बाँध | रायपुर |
8. | हसदो | बिलासपुर |
9. | मनियारी जलाशय | बिलासपुर |
10. | मिनीमाता | बिलासपुर |
11. | कन्हार | सरगुजा |
12. | तांदुला | दुर्ग |
13. | अरपा | बिलासपुर |
पेरी परियोजना
यह परियोजना रायपुर जिले में स्थित है इस परियोजना में पैरी नदी पर सिकासार गांव में सिकासार बांध तथा 35 किलोमीटर नीचे की ओर नदी पर कुकदा पिकप वियर का निर्माण सम्मिलित है। कुकदा वियर से दाईं तट नहर 27.37 किलोमीटर बायीं तट नहर 25.76 किलोमीटर तथा उनकी शाखाएं 165.83 किलोमीटर व 135.34 किलोमीटर प्रस्तावित है।
कोडार परियोजना
यह परियोजना रायपुर जिले के कोबाझार के समीप महानदी की सहायक कोडार नदी पर स्थित है। इस परियोजना के अंतर्गत 2,360 मीटर लंबा, 23.32 मीटर ऊंचा बांध निर्माणधीन है। इस परियोजना से 16,760 हेक्टेयर (खरीफ) एवं 6,720 हेक्टेयर (रबी) की भूमि सिंची जा सकेगी।
जोंक परियोजना
यह परियोजना महानदी की सहायक जोंक नदी पर स्थित है। इस पर 606 मीटर लंबा और 7.7 मीटर ऊँचा नॉन ओवर फ्लोई बांध बनाया जाएगा। इससे बाई मुख्य नहर 72 किलोमीटर लंबी और शाखा नहरें 82 किलोमीटर निकाली जाएगी। इस परियोजना का कार्य 1973 में प्रारंभ हुआ था।
खारंग परियोजना
सन 1920 से प्रारंभ यह परियोजना बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर खारंग नदी पर स्थित है। इस परियोजना से अधिकतम वार्षिक सिंचाई 51,417 हेक्टेयर की जाती है।
छत्तीसगढ़ में इन परियोजनाओं के अतिरिक्त अनेक छोटी मध्यम परियोजनाएं हैं जिनमें प्रमुख है- बिलासपुर में कुंदुत्र व घोंघा जल परियोजना, बस्तर में मयाना, दुर्ग जिले में मरोदा, खरखरा बांध, गोंधाली जलाशय व रायगढ़ में कोडार, मांड, पूरका व किंकरी आदि है.
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