चावल यहां की प्रमुख फसल है। यहां के संपूर्ण क्षेत्र में चावल होने के कारण है इसे धान का कटोरा कहा जाता है। यहां चावल का उत्पादन दुर्गे, राजनांदगांव, बिलासपुर, कांकेर, बस्तर तथा दंतेवाड़ा जिले में मुख्य रूप से किया जाता है। धान के अलावा गेंहू, मक्का, ज्वार, बाजरा कोदों इत्यादि अन्य फसलें हैं। दलहन और तिलहन की भी उल्लेखनीय कृषि की जाती है।
इसके अंतर्गत केला उत्पादन, संघन कार्यक्रम पुष्प विकास योजना, बीज स्वावलंबन अन्नपूर्णा योजना आदि अन्य योजनाएं हैं। जो छत्तीसगढ़ में राज्य में कृषि के विकास के लिए कार्यान्वित की जा रही है।
हसदेव बांगो परियोजना – इसे मिनीमाता परियोजना भी कहा जाता है। यह बिलासपुर जिले में हसदो नदी पर है। इस परियोजना से कटघोरा, जाजगीर तथा शक्ति तहसीलों का लगभग 2,50,300 हेक्टेयर तथा रायगढ़ जिले में 4700 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। इस परियोजना के तीन चरणों में से दो चरण पूरे हो गए हैं।
महानदी जलाशय परियोजना- यह छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना है। इस परियोजना में धमतरी, रायपुर व दुर्ग जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है। महानदी जलाशय परियोजना के अंतर्गत 6 जलाशय एवं महानदी पोषक नहर और सोंदूर पोषक नहर सम्मिलित है। महानदी जलाशय परियोजना में मुरुम्सिल्ली (1923) दुधावा (1963), रविशंकर सागर (1978), शिकासार, सोढूर (1988) एवं पैरी हाई डेम सम्मिलित है।
संख्या | परियोजना | लाभन्वित जिले |
1. | महानदी | रायपुर |
2. | पैरी | रायपुर |
3. | कोडार | रायपुर |
4. | जोंक | रायपुर |
5. | रविशंकर सागर | रायपुर |
6. | गोंटुर | रायपुर |
7. | दुधावा बाँध | रायपुर |
8. | हसदो | बिलासपुर |
9. | मनियारी जलाशय | बिलासपुर |
10. | मिनीमाता | बिलासपुर |
11. | कन्हार | सरगुजा |
12. | तांदुला | दुर्ग |
13. | अरपा | बिलासपुर |
यह परियोजना रायपुर जिले में स्थित है इस परियोजना में पैरी नदी पर सिकासार गांव में सिकासार बांध तथा 35 किलोमीटर नीचे की ओर नदी पर कुकदा पिकप वियर का निर्माण सम्मिलित है। कुकदा वियर से दाईं तट नहर 27.37 किलोमीटर बायीं तट नहर 25.76 किलोमीटर तथा उनकी शाखाएं 165.83 किलोमीटर व 135.34 किलोमीटर प्रस्तावित है।
यह परियोजना रायपुर जिले के कोबाझार के समीप महानदी की सहायक कोडार नदी पर स्थित है। इस परियोजना के अंतर्गत 2,360 मीटर लंबा, 23.32 मीटर ऊंचा बांध निर्माणधीन है। इस परियोजना से 16,760 हेक्टेयर (खरीफ) एवं 6,720 हेक्टेयर (रबी) की भूमि सिंची जा सकेगी।
यह परियोजना महानदी की सहायक जोंक नदी पर स्थित है। इस पर 606 मीटर लंबा और 7.7 मीटर ऊँचा नॉन ओवर फ्लोई बांध बनाया जाएगा। इससे बाई मुख्य नहर 72 किलोमीटर लंबी और शाखा नहरें 82 किलोमीटर निकाली जाएगी। इस परियोजना का कार्य 1973 में प्रारंभ हुआ था।
सन 1920 से प्रारंभ यह परियोजना बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर खारंग नदी पर स्थित है। इस परियोजना से अधिकतम वार्षिक सिंचाई 51,417 हेक्टेयर की जाती है।
छत्तीसगढ़ में इन परियोजनाओं के अतिरिक्त अनेक छोटी मध्यम परियोजनाएं हैं जिनमें प्रमुख है- बिलासपुर में कुंदुत्र व घोंघा जल परियोजना, बस्तर में मयाना, दुर्ग जिले में मरोदा, खरखरा बांध, गोंधाली जलाशय व रायगढ़ में कोडार, मांड, पूरका व किंकरी आदि है.
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