औद्योगिकी दृष्टि से छत्तीसगढ़ एक संपन्न राज्य है। यहां अनेक उद्योगों के विकास हेतु नैसर्गिक संसाधन उपलब्ध है। राज्य की मात्र 5% जनसंख्या उद्योगों पर निर्भर है। यहां के प्रमुख उद्योगों का विवरण नीचे दिया जा रहा है –
लोहा इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योग है। छत्तीसगढ़ का एकमात्र लोहा इस्पात कारखाना भिलाई नामक स्थान पर स्थापित किया गया है। यह रायपुर से 21 किलोमीटर पश्चिम में दुर्ग रायपुर रेलमार्ग पर स्थापित किया गया है। इस कारखाने की स्थापना 1955 में पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से की गई थी। इस कारखाने में फरवरी 1959 से उत्पादन प्रारंभ हो गया था। इसके लिए कच्चा लोहा 32 किलोमीटर दूर डल्ली राजहरा की पहाड़ियों से कोकिंग कोयला
राज्य के प्रमुख सीमेंट कारखाने
नाम | स्थान व जिले | स्थापना वर्ष | उत्पादन क्षमता ( लाख मी. टन) |
एसोसिएट सीमेंट क ली. | जामुल (दुर्ग) | 1965 | 13.80 |
सेंचुरी सीमेंट | बैकुंठपुर (रायपुर) | 1975 | 8.00 |
सीमेंट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड | मांढर (रायपुर) | 1970 | 3.80 |
सीमेंट कॉरपोरेशन इंडिया ली. | अकलतरा (जांजगीर) | 1982 | 4.00 |
रेमंड सीमेंट | गोपालनगर (बिलासपुर) | 1983 | 1.2 |
मोदी सीमेंट लिमिटेड | मोदीग्राम (रायगढ़) | – | 0.3 |
केलकर प्रोडक्ट्स प्रा. ली. | भूपदेवपुर (रायगढ़) | – | 3.3 |
जय बजरंग सीमेंट प्रा. ली. | बस्तर | – | 2.51 |
जे. के. सीमेंट ली. | नेवरा तिल्दा (रायपुर) | 1975 | 6.00 |
झरिया एक कोरबा की खानों में तथा धुला हुआ कोयला करगाली पत्थरडीह और दुगधा शोधनशालाओं से प्राप्त किया जाता है, कोरबा ताप शक्ति ग्रह से पर्याप्त मात्रा में विद्युत उपलब्ध हो जाती है। साथ ही तंदूला एवं गोरी नहरॉ से शुद्ध जल की आपूर्ति होती है। लोहा एवं इस्पात उद्योग में आवश्यक चुना दुर्ग, रायपुर और बिलासपुर जिलों से प्राप्त होता है। डोलोमाइट भानेश्वर, कंसोदी, पारसौदा, खरिया तथा हरदी से उपलब्ध हो जाता है। संपूर्ण देश का 15% इस यहां उत्पादित होता है।
यहां बॉक्साइट बड़े पैमाने पर उपलब्ध होती है। अंत: एलुमिनियम उद्योगों के विकास से कोई बाधा नहीं है। भारत सरकार ने कोरबा में भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड बालकों में एक भारी कारखाने की स्थापना की है। इसकी स्थापना 1965 में की गई। इस संयंत्र के तीन अंग है – एल्युमीनियम सयंत्र जहां बॉक्साइट से एल्युमिनियम पाउडर बनाया जाता है, प्रगालक संयंत्र जहाँ एल्युमिनियम पाउडर से एल्युमिनियम बनाया जाता है तथा, फेब्रिकेशन संयंत्र, जहां पीघली धातु को विभिन्न रूप दिए जाते हैं।
राज्य का एकमात्र जुट मिल रायगढ़ (स्थापना 1935) में है। इस कारखाने के लिए कच्चा माल पटसन आसपास के क्षेत्रों तथा उड़ीसा एवं बिहार के समीपवर्ती के क्षेत्रों से मिलता है। यहां जूट से रस्सियाँ, सुतली, बोरे तथा अन्य सामान बनाए जाते हैं।
इस कारखाने की स्थापना एसोसिएटेड सीमेंट कंपनी के द्वारा 1965 में दुर्ग में की गई। यह कारखाना आधुनिक शुष्क विधि से पोर्टलैंड वात्या भट्टी स्लैग सीमेंट का उत्पादन करता है। इस कारखाने के आसपास से प्राप्त चूना पत्थर के अतिरिक्त भिलाई इस्पात संयंत्र के स्लैग का भी उपयोग किया जाता है।
मूल कारखाने की स्थापना 1970 में रायपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर मांढर में की गई। यह कारखाना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के स्वामित्व में कार्यरत है। इस कारखाने में आर्द्र विधि प्रौद्योगिकी द्वारा साधारण पोर्टलैंड एवं वात्या भट्टी स्लैग सीमेंट का उत्पादन किया जा रहा है।
यह कारखाना अकलतरा रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर दक्षिण में सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा 1982 मेस्थापित किया गया।
रायगढ़ में निगम द्वारा संयुक्त क्षेत्र में एक स्ट्राबोर्ड कारखाना स्थापित किया जा रहा है। इसकी उत्पादन क्षमता 25 टन प्रतिदिन होगी। इस पर लगभग 50 लाख रूपए खर्च होंगे।
जगदलपुर कोंडागांव तथा नारायणपुर में वनों की लकड़ी पर आधारित उद्योगों की अधिकता पाई जाती है। जगदलपुर में कोष्टा जाति द्वारा कोसे का कपड़ा बनाया जाता है। कोसा सिल्क का कार्य बिलासपुर, चांपा तथा रायगढ़ में भी बड़े पैमाने पर होता है।
बीड़ी बनाने का कार्य बड़े पैमाने पर होता है। यहां ब्रिस्टल एवं पनामा ब्रांड की सिगरेट बनाई जाती है। ब्रिस्टल रायपुर में तथा पनामा दुर्ग में बनाई जाती है।
रायपुर एवं भिलाई के मध्य कुम्हारी में 1961 में धर्मसिंह मोरारजी केमिकल कंपनी की स्थापना की गई जो रसायन बनाती है। इस कारखाने में सुपर फास्फेट, सल्फ्यूरिक एसिड, एलुमिनियम सल्फेट तथा क्लोरो सल्फेट का उत्पादन होता है।
इनके अतिरिक्त दक्षिण-पूर्वी रेलवे वैगन वर्कशॉप (रायपुर) बैलाडीला आयरन प्रोजेक्ट लिमिटेड बेचली ( जगदलपुर) भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (दुर्ग) स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (दुर्ग), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (रायपुर), प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग है।
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