छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधन

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रकाशित आर्थिक समीक्षा 2016-17 के अनुसार भारत में उत्पादित खनिज के मूल्य में राज्य का योगदान लगभग 16% है। छत्तीसगढ़ राज्य का लगभग 27% राजस्व को खनिजों के दोहन से खनिज राजस्व के रूप में प्राप्त होता है खनिज संपदा की दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य संपन्न है। यहां लगभग 32 प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। इनमें प्रमुख है- चूना पत्थर, तांबा, लौह अयस्क, मैगनीज, कोरंडम ,डोलोमाइट, टिन अयस्क, बॉक्साइट, अभ्रक, सोप स्टोन, यूरेनियम, गेरु आदि है

  • राज्य में उपलब्ध खनिजों के अन्वेषण विकास तथा दोहन हेतु खनिज साधन विभाग अपने अधीनस्थ संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म तथा छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से कार्यशील है..
  • विभाग के प्रमुख दायित्वों के अंतर्गत खनिज संसाधनों की एक खोज पूर्वेक्षण एवं आकलन करना, खान एवं खनिजों का विनियमन तथा विकास, खनिज रियायतें देना तथा खनिज राजस्व का संग्रहण आदि है। यह कार्य विभाग द्वारा प्रशासित अधिनियम और नियमों के अंतर्गत किया जाता है।
  • राज्य में कोयला, लौह अयस्क, टिन, बॉक्साइट, चूना पत्थर, डोलोमाइट, हीरा, फ्लोराइट, संगमरमर, स्वर्ण, धातु, गार्नेट, एलेक्जेंड्राइट, कोरंडम आदि के भंडार उपलब्ध है।
  • हीरा एवं अन्य बहुमूल्य खनिजों के सर्वेक्षण हेतु 9800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर 4 रिकॉनेसेस परामिट भी स्वीकृत किए गए हैं
  • वर्ष 2015-16 में छत्तीसगढ़ राज्य को मुख्य खनिजों से 2944.86 करोड की आय हुई जहां गौण खनिज से इसी अवधि में 243.07 करोड की आय हुई। आय विगत वर्ष 2014-15 की तुलना में क्रमश: 12.48% एवं 25.34% अधिक है।
  • 2015-16 में देश के लौह अयस्क उत्पादन का 15.77% कोयला भंडार का 20.43% , बॉक्साइट भंडार का 8.10% तथा देश में टिन का 100 प्रतिशत छत्तीसगढ़ में है। देश के शत-प्रतिशत टिन भंडार छत्तीसगढ़ में ही है।
  • देश के कुल एल्युमीनियम उत्पादन के 30% सीमेंट उत्पादन के 15%, स्टील व स्पोंज आयरन उत्पादन के 27% तथा खनिज उत्पादन के 16 प्रतिशत भाग का उत्पादन छतीसगढ़ में होता है।
  • राज्य के खनिज राजस्व मे वृद्धि करने के उद्देश्य से गौण खनिज की रायल्टी दरों का पुनरीक्षण किया गया है। रेत खनन सुनियोजित ढंग से करने तथा पंचायतों के लिए अतिरिक्त आय साधन जुटाने की दृष्टि से दिनाक 1 अप्रैल 2006 से रेत के उत्खनन एवं व्यवसाय के अधिकार ग्राम पंचायत/जनपद पंचायत/नगरीय निकाय को दिये गये है। रेत पर रू 15 प्रति घनमीटर की दर से रायल्टी प्र्तिरोपित की गई है। रायल्टी से प्राप्त राशि सीधे तौर पर पंचायतों/नगरीय निकायों को प्राप्त हो रही है।
  • छतीसगढ़ के सामरिक महत्व के खनिज टिन अयस्क के उत्पादन में सम्पूर्ण राष्ट्र में एकाधिकार प्राप्त है। प्रदेश में कोयला, बाक्साईट, डोलोमाइट, चूना, पत्थर एवं लौह अयस्क का उत्पादन वृहत पैमाने पर किया जाता है। प्रदेश क्वार्टजाइट एवं डोलोमाइट के उत्पादन में द्वितीय तथा लौह अयस्क उत्पादन में तृतीय स्थान प्राप्त है।
  • राज्य शासन द्वारा छतीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की अनुमोदित कार्य योजना के अनुसार सीएमडीसी को मुख्य खनिजों का व्यवसाय बढ़ाने के लिए कोयला, बॉक्साइट, टिन, कोरडम, डोलोमाइट के कुल 28 खनिपट्टे तथा 8 पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति स्वीकृति की गई है। साथ ही 2 खनिपट्टे तथा 1 पूर्वेक्षणअनुज्ञप्ति स्वीकृत किये जाने की कार्यवाही विभिन्न चरणों में प्रचलन में है।
  • चालू वित्तीय वर्ष में संचालनालय भौमिका तथा खनिकर्म द्वारा विभिन्न खनिजों के सर्वेक्षण प्रतिवेदन तैयार किए गए। विभाग के अधिकारियों द्वारा विभिन्न संस्थाओं द्वारा आयोजित सेमिनार/मीटिंग में भाग लिया तथा विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण प्राप्त किया गया।

लौह अयस्क

छत्तीसगढ़ में पाया जाने वाला लौह अयस्क उत्तम श्रेणी का है। दुर्ग में डल्ली राजहरा की पहाड़ियों व बस्तर में बैलाडीला की खाने विश्वविख्यात है। बैलाडीला में लौह अयस्क की खान एशिया महाद्वीप की महत्वपूर्ण सबसे बड़ी खान है। बैलाडीला में 61 मीटर की गहराई तक लगभग 70 करोड टन लौह अयस्क के संभावित भंडार है। यहां खन्न कार्य मशीनों द्वारा किया जाता है। यहां लौह खनन का प्रथम संयंत्र किरंदुल में 1968 में लगाया गया था। 1980 से बचेली में लौह-अयस्क उत्पादित हो रहा है। कांकेर जिले की भानूप्रतापपुर तहसील के अरी डोगरी पहाड़ी से भी लौह अयस्क निकाला जाता है। बस्तर, कांकेर एवं दंतेवाडा में निकाले जाने वाले लौह अयस्क का उपयोग भिलाई का लोहा इस्पात कारखाने में किया जाता है। देश के कुल खनिज उत्पादन में छत्तीसगढ़ प्रदेश का योगदान लौह अयस्क में लगभग 22.82% है।

बॉक्साइट

यह एल्यूमिनियम का अयस्क है। यह हल्का पदार्थ है तथा आसानी से मुड़ जाता है। बॉक्साइट के नीचे बैलाडोला पहाड़ी में बेलाडोला के आसपास बड़ी मात्रा में पाया जाता है। नारायणपुर, कारकानार, मोहिन्देवरी, तथा कुटूल क्षेत्रों में भी बॉक्साइट के निक्षेप पाए जाते हैं। बॉक्साइट का संचित भंडार बिलासपुर तथा राजनांदगांव एवं कवर्धा में बहुत है। बिलासपुर जिले का फुटका पहाड़ प्रमुख क्षेत्र है। यहां से प्राप्त बॉक्साइट का उपयोग कोरबा के एल्यूमिनियम कारखाने में होता है। छत्तीसगढ़ के उत्तरी-पूर्वी भाग में जशपुर में खुड़िया तथा मारोल की उच्च भूमि पर बॉक्साइट का जमाव पाया जाता है। सामरी तहसील के उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र जमीरयाट में बॉक्साइट के निक्षेप मिलते हैं। देश के कुल बॉक्साइट में यहां लगभग 4.68% उत्पादन है।

ग्रेफाइट

दक्षिणी-पूर्वी दंडकारण्य में सबरी नदी के किनारे केरलायाल क्षेत्र में ग्रेफाइट मिलता है। इस खनिज का उपयोग बैटरी पेंसिल तथा पेण्ट उद्योग में किया जाता है।

अभ्रक

अभ्रक का जमाव जशपुर में है। इसके स्थान रंगोला जगरार, उमरघाट, क्योंधनयानी, बोरतली, ताराटली, झरनगांव तथा बुरनीजारटोला है। जगदलपुर-सुकमा मार्ग पर दरमा घाटी में सड़क के किनारे भूरे अभ्रक के क्षेत्र बिखरे पाए जाते हैं।

बेरिल

बेरिल के निक्षेप जशपुर में कुंकुरी के पास पाए जाते हैं। यहां बनखेता, कारीछापार, राजौती, जामचूआ, मुंडी, दादाधी, लोटावानी, पटियावानी, खंडरा, झरगाँव, खत्जा और धोगरबा गांवों के समीप, दंतेवाड़ा जिले के बीजापुर तहसील में चिकुड़पल्ली तथा मुड़वाला क्षेत्र में बेरिल पाया जाता है यह अणु खनिज है। इसका उपयोग आभूषणों के नगो के रूप में हो सकता है।

सीसा

सीसा दुर्ग जिले में बिलोची क्षेत्र में मिलता है, यह क्षेत्र 1.8 से 9 मीटर चौड़ा व 2.5 किलोमीटर लंबाई में फैला है।

डोलोमाइट

यह छत्तीसगढ़ मैदान में कुडप्पा शैल समूह में पाया जाता है। इसका संचित भंडार बिलासपुर तथा रायपुर जिलों में है। बिलासपुर के समीप बिलासपुर-रायपुर सड़क मार्ग के सहारे स्थित हिरी की खदानों से डोलोमाइट निकाला जाता है। दण्डकारण्य में भी डोलोमाइट पाया जाता है। देश के कुल डोलोमाइट में यहां लगभग 12.42 प्रतिशत उत्पादन होता है।

चूने का पत्थर

छत्तीसगढ़ लगभग चूने के पत्थर के क्रमिक निक्षेप के ऊपर बसा है। यह छत्तीसगढ़ के रायपुर क्षेत्र में प्रमुखता से पाया जाता है। चूने के पत्थर की अधिकता होने के कारण छत्तीसगढ़ में सीमेंट उद्योग को अधिक बढ़ावा मिला है और छत्तीसगढ़ को यह प्रमुख रूप से रायपुर के भाटापारा के खान-निक्षेप, गेतरा, सोनाडीह, झीपन, करहीचड़ी,Iअम्लिडिह , अर्जुनी-तुरमा, माढर बहेसर (बैकुंठ), तथा दुर्ग जिले के सेमरिया, अंधोली व नंदनी-खुदनी में यह प्राप्त होता है। बिलासपुर जिले के अकलतरा, आरसमेरा, चिल्हाटी बरगवां तथा बस्तर के भाझी-डोगरी, पोतनार, बाराजी, देवरापाल व रायगढ़ राजनांदगांव जिले में प्राप्त होते हैं। देश के कुल चूना पत्थर उत्पादन में यहां का योगदान 4.71 प्रतिशत है।

सोना

छत्तीसगढ़ की कई नदियों की बालू में सोने के कण प्राप्त हुए हैं। इनमें प्रमुख है सबरी नदी, कोलाब नदी व दुर्ग जिले में अमोर नदी। कुनकुट दसपाल व कोलाब के निकट शबरी व कोलाब नदी के जल के बालू से सोना मिलता है। ईब नदी के किनारे के बालू से राजनांदगांव जिले के कांसाबेल, कोरबा, लावाखेरा एवं कनकुरी क्षेत्रों से सोना निकलता है। सोनाखान क्षेत्र से स्वर्ण प्राप्ति का प्रमुख क्षेत्र है।

गैरु

लौह ऐसा का पीला व लाल ऑक्साइड है। यह बस्तर के ब्रैडीबेड़ा, कुन्दरी दोदानाला की कटान पर विशेषत: मिलता है। इसके अलावा राजनंदगांव, रायगढ़, सरगुजा आदि जिलों में भी प्रमुखता से गेरु पाया जाता है।

हीरा

कार्बन का एलोट्रोप खनिज हीरा, एक मूल्यवान रतन है। छत्तीसगढ़ में रायपुर जिले के मैनपुर व देवभोग तहसील में इसके प्रमुख भंडार हैं। बस्तर जिले के तोकपाल व उसके ही समीप मेजरोपदर में इस मूल्यवान रत्न के भंडार पाए जाने के संकेत मिले हैं।

क्वार्टज

सजावटी पत्थर, कांच में चीनी मिट्टी उद्योगो व कागज तथा कपड़ों के उद्योग में उपयोगी यह खनिज प्रदेश के बस्तर, बिलासपुर व राजनांदगांव जिले में पाया जाता है।

कोयला

कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ महत्वपूर्ण अग्रणी राज्य है। राज्य में कोयला गोंडवाना क्लप की चट्टानों से प्राप्त होता है। यहां कोयला के संचित भंडार भी पाए जाते हैं। छत्तीसगढ़ में इसके क्षेत्र में निम्नलिखित हैं –

तातापानी रामकोला क्षेत्र

यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के उत्तरी भाग में स्थित सरगुजा जिले में है। यह लगभग 260 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यहां पाया जाने वाला कोयला साधारण किस्म का है।

झीलमिली क्षेत्र

यह चित्र चिरमिटी रेलवे स्टेशन से 48 किलोमीटर दूर है। इसका क्षेत्रफल 180 वर्ग किलोमीटर है। यहां कोयले की 5 तहै पाई जाती है।

झागर खंड क्षेत्र

यह सोहागपुर क्षेत्र का दक्षिणी-पूर्वी विस्तार है जो लगभग 77 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसका विस्तार कोरिया जिले में है।

सोनहट क्षेत्र

यह क्षेत्र सरगुजा से होता हुआ कोरिया तक विस्तृत है। भू-गर्भिक बनावट की दृष्टि से यह क्षेत्र सुहागपुर कोयला क्षेत्र का पूर्वी भाग है। यहाँ निम्नतम तह लगभग 4 मीटर मोटी है तथा 47.59 मीटर मोटी चट्टानों के ऊपर पुन: 1.4 मीटर मोटी एक अन्य तह है।

कुरसिया चिरमिरी क्षेत्र

यह भूतपूर्व कोरिया रियासत का एक अन्य क्षेत्र है। जो लगभग 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र सोनहत से 6 किमी दक्षिण में पड़ता है यहाँ कोयला की तीन तहें पाई जाती है जो क्रमश: 7 मीटर, 3 मीटर एवं 1.5 मीटर मोटी है। यहां पाया जाने वाला कोयला साधारण कोटि का है।

बिश्रामपुर क्षेत्र

यह क्षेत्र सरगुजा में है ।

मुख्य खनिज के उत्पादन छत्तीसगढ़ एवं अखिल भारत वर्ष 2014 और 15

मुख्य खनिजछत्तीसगढ़भारतयोगदान का प्रतिशत
कोयला13439661020822.0
लौह अयस्क2941812890922.8
चूना पत्थर235052928108.0
डोलोमाइट2438620939.3
बॉक्साइट1566222267.0
टिन (किग्रा)2468924689100.0

कोरबा क्षेत्र- इस क्षेत्र में उत्पादन कार्य 1947 के बाद से प्रारंभ हुआ है. यह क्षेत्र 625 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है. हसदो नदी की निचली घाटी में इसका विस्तार है. यहां पाया जाने वाला कोयला उत्तम श्रेणी का है. यहां का कोयला भिलाई स्थित लौह-इस्पात उद्योग में विशेष उपयोगी सिद्ध हुआ है. कोरबा का तापीय विद्युत केंद्र भी यहां से कोयला प्राप्त करता है.

छत्तीसगढ़ में खनिज उत्पादन क्षेत्र

खनिजछत्तीसगढ़ के उत्पादन क्षेत्र
मैगनीजबिलासपुर, कांकेर, बस्तर, दंतेवाड़ा
बॉक्साइटरायपुर, सरगुजा, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़ बस्तर, राजनंदगांव, कबीरधाम
कोयलाकोरिया, सरगुजा, रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, जशपुर
लौह-अयस्कसरगुजा, कांकेर, बस्तर, दंतेवाड़ा, दुर्ग
तांबाबस्तर, कांकेर, राजनंदगांव, दंतेवाड़ा एवं बिलासपुर।
चूना पत्थररायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, जशपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, बस्तर
डोलोमाइटबिलासपुर, दुर्गे, रायपुर, बस्तर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा
अभ्रकजगदलपुर (बस्तर), जशपुर।
यूरेनियमसरगुजा, दुर्गे, बिलासपुर
ग्रेफाइटकेरलापाल बस्तर
सीसाबिलोची (दुर्ग), रायपुर, दंतेवाड़ा
हीरारायपुर बस्तर
सिलीमेंनाइटबस्तर, दंतेवाड़ा
टिनरायपुर
कोरंडमकुचनुर (बस्तर), रायपुर, दंतेवाड़ा
रंडेलुसाइटनेतापुर (बस्तर)
गेरूसरगुजा, बस्तर, रायगढ़, राजनंदगांव
फ्लोराइडराजनंदगांव, रायगढ़, रायपुर
क्वार्टजाइटराजनांदगांव, दंतेवाड़ा, दुर्ग, रायगढ़
टिन अयस्कबस्तर, दंतेवाड़ा
क्वार्ट्जबस्तर, बिलासपुर, राजनांदगाँव
फेल्डस्पारबिलासपुर, रायगढ़
सोनाबस्तर, सरगुजा राजनांदगाँव
बेरिलबस्तर, सरगुजा रायगढ़, रायपुर
टाल्कबस्तर, दुर्ग, राजनांदगाँव, सरगुजा
संगमरमरबस्तर
चीनी मिट्टीराजनांदगाँव
क्लेबस्तर, बिलासपुर, रायगढ़
खनिज तेलसरगुजा

मांड नदी कोयला क्षेत्र

यह क्षेत्र पश्चिम में कोरबा क्षेत्र से बराबर चट्टानों द्वारा जुड़ा हुआ है। यह 5.18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

रायगढ़ कोयला क्षेत्र

यह क्षेत्र लगभग 518 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है। यहां कोयला ऊपरी परतों में पाया जाता है। दक्षिणी रायगढ़ क्षेत्र में भगोरा तथा डोमनारा नालों के निकट 4.5 मीटर मोटी तहें पाई जाती है।

हसदो रामपुर कोयला क्षेत्र

इस कोयला क्षेत्र का विस्तार बिलासपुर तथा सरगुजा जिले में है। इसका विस्तार 1035 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। इसका कुछ भाग सोन तथा अन्य भाग महानदी के बेसिन में पड़ता है। यहां विभिन्न प्रकार के कोयले की कई परतें पायी जाती है। यहां तहों का कोयला वाष्पशील है जिससे गैस, कोलतार तथा अन्य तरल उपोत्पाद बनाए जा सकते है

  • छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे बड़ी भूमिगत व यंत्रीकृत कोयला खदान मुकुद घाट कोरबा में है।
  • छत्तीसगढ़ अंचल की प्रथम इस्पात फैक्ट्री के संस्थापक कांजी भाई मुरारजी राठौर है।
  • छत्तीसगढ़ के हीरानगर में एशिया का प्रथम लौहडस्ट आधारित इस्पात कारखाने प्रस्तावित है।
  • दुर्ग तथा बस्तर से प्राप्त लौह-अयस्क हेमेटाइट प्रकार का है।
  • सर्वाधिक कच्चा लोहा बस्तर में पाया जाता है।
  • बैलाडीला से लौह-अयस्क का निर्यात जापान के लिए किया जाता है।
  • छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक खनिज राजस्व बिलासपुर जिले से प्राप्त होता है।
  • छत्तीसगढ़ में कोयला टर्शियरी चट्टानों से मिलता है
  • कोरबा क्षेत्र का कोयला-भिलाई संयंत्र एवं कोरबा विद्युत गृह में प्रयुक्त होता है।

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