चहुंमुखी विकास की ओर अग्रसर हो रहे छत्तीसगढ़ में बिजली की मांग स्वाभाविक है. अंत: विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रगति के विभिन्न चरणों में हो रहा है. छत्तीसगढ़ में दिसंबर 2016 तक में विद्युत की कुल अधिष्ठ्पित क्षमता 3424.70 मेगावाट है। इसमें 3280 मेगावाट ताप विद्युत की 120 मेगावाट जल विद्युत की तथा 11.05 अक्षय ऊर्जा स्रोत की स्थापित क्षमता है, प्रदेश के 97.38% गांव विद्युतीकृत है
प्रदेश में विद्युत उत्पादन केंद्र दो प्रकार के हैं –
जिन स्थानों पर कोयले से विद्युत उत्पादन किया जाता है, उन्हें तापीय विद्युत गृह कहते हैं। तापीय विद्युत उत्पादन के लिए निम्न कोटि के कोयले की आवश्यकता पड़ती है। छत्तीसगढ़ की विद्युत व्यवस्था में ताप विद्युत का आधिक्य है। सभी ताप विद्युत केंद्र कोयला खदानों के समीप स्थित है। प्रदेश मे तापीय विद्युत केंद्र निम्नलिखित है-
यह कोरबा जिले में स्थित एनटीपीसी द्वारा स्थापित देश का सबसे बड़ा विद्युत गृह है। 2370 मेगावाट का कोरबा स्थित यह सुपर ताप विद्युत गृह, नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन की विद्युत परियोजनाओं की श्रंखला की दूसरी कड़ी के साथ साथ सर्वाधिक महत्वाकाक्षी विद्युत परियोजना भी है। कोयले पर आधारित इस विद्युत गृह के प्रथम चरण के निर्माण हेतु अप्रैल 1978 में भारत सरकार द्वारा अनुमोदन किया गया द्वितीय चरण में 500 मेगावाट की 3 इकाइयों के निर्माण का समावेश किया गया है। इस प्रकार इसकी कुल उत्पादन क्षमता 2100 मेगावाट है।
जिन स्थानों पर ऊंचाई से गिरने वाले जल की शक्ति से विद्युत उत्पन्न की जाती है उन्हें जलविद्युत केंद्र कहते हैं। प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। मार्च 1990 में लघु जल विधुत गृह के रूप में 0.200 मेगावाट क्षमता का जलविद्युत केंद्र रुद्री बांध (महानदी पर) पर स्थापित (धमतरी जिला) हुआ इसमें 0.100 मेगावाट की दो इकाइयाँ है। हसदो नदी पर 1994-95 में मिनीमाता हसदो बांगो जलविद्युत गृह माचाडोली (कोरबा जिला) के नाम से 3 इकाइयां प्रत्येक 40 मेगावाट की स्थापित हुई है। इस तरह राज्य में कुल जलविद्युत् उत्पादन 120-200 मेगावाट है, जो 130 मेगावाट तक हो जाने की संभावना है।
कोरबा तापविद्युत गृह | कोरबा |
बाल्को तापविद्युत गृह | कोरबा |
मांड घाटी तापविद्युत गृह | रायगढ़ |
विश्रामपुर विद्युत गृह | विश्रामपुर |
भिलाई तापविद्युत परियोजना | भिलाई (दुर्ग) |
हसदेव बांगो जलविद्युत गृह | माचाडोली, बिलासपुर |
लघुकृत जलविद्युत गृह रुद्री एवं मूंरद | धमतरी |
बोधघाट जलविद्युत परियोजना | बस्तर |
भोपालपत्तनम | बस्तर |
कुटरू (इंद्रावती बेसीन) | बस्तर |
नुगुर (इंद्रावती बेसिन) | बस्तर |
भारत सरकार ने 2010 में जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन का शुभारंभ किया जिसमें 2020 तक 20,000 मेगावाट सौर विद्युत क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया। राज्य के दलदली क्षेत्र राजनंदागांव, खुरसुला, (दुर्ग) कोषरी व रायपुर में सौर-दूरदर्शन सेट लगाए गए हैं।
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