सन 1946 में पेंनिसलवेनिया विश्वविद्यालय के दो इंजीनियर जिसका नाम प्रोफेसर इक्रर्ट और जॉन था। उन्होंने प्रथम डिजिटल कंप्यूटर का निर्माण किया। जिसमें उन्होंने वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया था। उन्होंने अपने नए खोज का नाम इनिक (ENIAC) रखा था। यह कंप्यूटर एक बहुत भारी मशीन के समान था जिसे चलाने के लिए लगभग भारी विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती थी।
सन 1948 में ट्रांजिस्टर की खोज ने कंप्यूटर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अब वैक्यूम ट्यूब का स्थान ट्रांजिस्टर ने ले लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि मशीनों का आकार छोटा हो गया है। द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर में मशीन लैंग्वेज को असेंबली लैंग्वेज के द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया। असेंबली लैंग्वेज में कठिन बाइनरी कोड की जगह संक्षिप्त प्रोग्रामिंग कोड लिखे जाते हैं।
सन 1958 में जैक किलबे ने IC का निर्माण किया जिससे कि वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर के अधिक से अधिक घटकों को एक एकल चिप पर है समाहित किया गया, जिसे सेमीकंडक्टर कहा गया है।
अधिक मात्रा में सर्किट को एक-एकल चिप पर समाहित किया गया LSI तथा VLSI और ULSI मैं बहुत अधिक मात्रा में सर्किट को एक कल चिप पर समाहित किया गया। सन 1975 में प्रथम माइक्रो कंप्यूटर ALTAIR 8000 प्रस्तुत किया गया चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर में लैपटॉप का निर्माण किया गया।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर (1945 से 1956) में
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर (1956 से 1963) में।
तृतीय पीढ़ी कंप्यूटर
तृतीय पीढ़ी कंप्यूटर
द्वितीय पीढ़ी कंप्यूटर
द्वितीय पीढ़ी कंप्यूटर
चतुर्थ पीढी कंप्यूटर
तृतीय पीढ़ी कंप्यूटर
प्रथम पीढ़ी कंप्यूटर
यह चाल Babbage द्वारा विकसित किया गया था।
प्रथम पीढ़ी कंप्यूटर
यूनीवेक
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