हिमाचल प्रदेश की विभिन्न योजनाएं

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना

यह योजना प्रदेश में वर्ष 1999-2000 से चलाई जा रही है. यह योजना एक हॉलिस्टिक पैकेज है जिसमें स्वरोजगार के पहलुओं जैसे स्व-सहायता ग्रुपों में गरीबों का संगठन, प्रशिक्षण, उधार, प्रौद्योगिक, विपणन तथा सरचना इत्यादि को सम्मिलित करना है। इस योजना के अंतर्गत आने वाले लाभभोगी परिवारों को स्वरोजगारी कहा जाता है। यह योजना उधार व उपदान कार्यक्रम का समायोजन है। एस.जी.एस.वाई. योजना के अंतर्गत अपदान सहायता समान रूप से परियोजना कीमत की 30% होती है जिसकी अधिकतम सीमा ₹7500 निर्धारित है। इसे योजनाअंतर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं विकलांग व्यक्ति के परिवारों को योजना कीमत है कि 50% तथा प्रति व्यक्ति ₹10000 या 1.25 लाख रुपए जो भी कम हो उपदान के रुप में दिए जाते हैं। एस.जी.एस.वाई. योजना गरीब परिवारों में से अतिसंवेदनशील परिवारों पर केंद्रित है। इस योजना का व्यय केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा 75:25 के आधार पर किया गया है।

शहरी एवं ग्रामीण योजना

राज्य सरकार ने शहरों के बढ़ते झुकाव की प्रवृत्ति को देखते हुए योजनाबद्ध एवं व्यवस्थित विकास के लिए शहरी एवं ग्रामीण नियोजन अधिनियम 1977 बनाया है। जिसे प्रदेश के समस्त बड़े शहरों में लागू किया गया है। विभिन्न नगरों एवं बढ़ते केंद्रों में योजनाबद्ध विकास को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार ने नगर एवं योजना एक्ट 1977 को 20 योजना क्षेत्रों और 34 विशेष क्षेत्रों में बढ़ाया गया है।

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे बेरोजगारों व अपूर्ण बेरोजगारों को स्वयं रोजगार व मजदूरी रोजगार प्रदान करना है। वर्ष 2009- 2010 में इस योजना के अंतर्गत ₹ 6.99 लाख रुपए प्रदान किए गए हैं।

शहरी मलिन बस्ती पर्यावरण सुधार योजना

इस योजना के अंतर्गत शहरी स्थानीय निकायों को मूलभूत सुविधाएं जैसे- सार्वजनिक स्नानागार, शौचालय एवं रेहन बसेरा इत्यादि बनाने के लिए अनुदान राशि प्रदान की जाती है। दिसंबर 2012-13 तक ₹500000 सरकार द्वारा इस योजना पर व्यय किए गए तथा 1,441 परिवारों को लाभान्वित किया गया।

जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना

यह योजना 3 दिसंबर, 2005 को घोषित की गई है। इस योजना का लक्ष्य शहरों का एकीकृत रूप से आर्थिक विकास कुशल, न्यायोचित तथा जिम्मेदार शहरों की आर्थिक तथा सामाजिक संरचना, गरीबों के लिए मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने हेतु तथा विभिन्न संस्थाओं को सशक्त करना एवं उनकी कार्यप्रणाली में सुधार लाने हेतु शहरों को विकसित करना है। भारत सरकार द्वारा इस योजना के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश में केवल शिमला शहर को सम्मिलित किया गया है।

सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना

इस योजना के अंतर्गत उन सभी व्यक्तियों को, जो 60 वर्ष या उससे अधिक है एवं जिनकी वार्षिक आय ₹6000 से कम है को वृद्धा अवस्था पेंशन के रूप में ₹300 रुपए प्रति मास देने का प्रावधान रखा गया है। इसी तरह उन सभी व्यक्तियों को जिन्हें 40% या इससे अधिक अपंगता है एवं जिनकी वार्षिक आय ₹6,000 से कम हो को ₹300 मासिक पेंशन का प्रावधान है। 1 जनवरी 2009 से बढ़ाकर ₹330 कर दी गई है। विधवा पेंशन के अंतर्गत उन सभी विद्वान अथवा परित्यक्ता महिलाओं को उनकी आयु के विचार के बिना सभी के लिए ₹300 मासिक पेंशन का प्रावधान किया गया है जिनकी आय प्रतिवर्ष ₹6000 से कम है। को विधवा पेंशन, के अंतर्गत उन सभी एवं विधवा परित्यक्ता पेंशन पाने वाले के पुत्रों की वार्षिक आय ₹11000 से अधिक नहीं होनी चाहिए। इनकी पेंशन भी एक जनवरी 2009 से बढ़ाकर ₹330 मासिक कर दी गई है। वर्ष 2008-09 के दौरान वृद्धावस्था, राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना और अपंग व्यक्तियों के लिए 8502.79 लाख रूपय का बजट प्रावधान रखा गया है जिसमें से 6130.43 लाख रूपय दिसंबर 2008 तक व्यय किए गए। विधवा/परित्यक्ता पेंशन योजना के अंतर्गत वर्ष 2008-09 के लिए 2498.95 लाख रूपय बजट का प्रावधान रखा गया था जिसमें से दिसंबर 2008 तक. 2456.28 लाख रुपएव्यय किए गए हैं।

बालिका समृद्धि योजना

इस योजना का मुख्या उद्देश्य जन्म के समय लड़की व माता के पति नकारात्मक रवैये को बदलने में सहायता प्रदान करना है इस योजना के अंतर्गत जन्म के पश्चात (बी.पी.एल.) परिवार में जन्मी प्रथम दो बालिकाओं के नाम 500 रुपए दिए जाते है इसका अतिरिक्त 15.08.1997 को या इसके बाद जन्म लेने वाले लडकियां को स्कुल जाने पर पहली दसवीं तक 300 रुपए से 1000 रुपए पार्टी छात्रा छात्रवृति भी दी जाती है वर्ष 2008-09 में इस योजना के अंतर्गत 75.00 लाख रुपए का बजट प्रावधान रखा गया है सितम्बर 2008 तक 9.07 लाख रुपए 1,814 बालिकाओं के नाम जमा करवाए गए इसके अतिरिक्त 12.79 लाख रुपए 3,124 बालिकाओं/छात्राओं को छात्रवृति के रूप में प्रदान किये गये

किशोर शक्ति योजना

यह योजना शत-प्रतिशत केंद्र द्वारा प्रायोजित है तथा इसे आई.सी.डी.एस. नेटवर्क द्वारा सारे प्रदेश में चलाया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत 11 से 18 वर्ष की किशोरियों को स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति में सुधार हेतु जागरूकता शिविर लगाने तथा कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाता है तथा विकास प्रशिक्षण दिया जाता है जागरूकता कैंपों इत्यादि का आयोजन भी किया जाता है। प्रदेश के विकास खंडों में 3,98,659 किशोरियों को चयनित किया गया है। इन्हें लाभान्वित करने हेतु प्रतिवर्ष कुल 83.10 लाख रुपए 1.10 लाख रुपए प्रति ब्लॉक आई. सी. डी. एस. के बजट में से ही व्यय करने का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त 53,975 जन्य कन्याओं को पोषण स्वास्थ्य शिक्षा दी जा रही है। इस योजना में दिसम्बर 2008 तक 26.25 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।

पूरक पोषाहार कार्यक्रम

कुपोषण की समस्या के निदान के लिए भारत सरकार ने प्रदेश में पूरक पोषाहार कार्यक्रम प्रारंभ किया है। कुपोषण 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं\ धात्री माताओं तथा किशोरियों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का मूल कारण है। कुपोषण का कुप्रभाव बाल मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर से आंका जा सकता है। उपरोक्त वर्णित लक्ष्य समूह को इस कार्यक्रम के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में एक वर्ष में 300 दिन में पूरक पोषाहार दिया जाता है। वर्ष 2008 में इस कार्यक्रम के अंतर्गत थे 2,260.00 लाख रूपए का बजट का प्रावधान है तथा दिसंबर 2008 तक मूल्य 1,835.00 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं। भारत सरकार भी पूरक पोषाकार कार्यक्रम के अंतर्गत एक रुपए प्रति बच्चा, प्रति गर्भवती/धात्री माता प्रतिदिन की दर पर धन उपलब्ध करवाती है। दिसंबर 2008 तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत 1373.08 लाख रूपए व्यय किए गए हैं।

स्वयंसिद्ध योजना

महिलाओं को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सक्षम बनाने हेतु प्रदेश में 100% है केंद्रीय प्रायोजित स्वयंसिद्ध योजना प्रदेश के 8 विकास खंडों रोहडु, बैजनाथ, चंबा, सोलन, पच्छाद, झंडूता लम्बगांव व करसोग में कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत 180.09 लाख रूपए महिला सहायता समूह के सदस्यों ने बचाए। दिसंबर 2008 तक 142.14 लाख रूपय व्यय किए गए। इस योजना के अंतर्गत अभी तक इन खंडों में 800 महिला सहायता समूह गठित किए जा चुकी है।

मदर टेरेसा एस आई मातरी संभाल योजना

इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली निशा है महिलाओं को अपने बच्चों के पालन पोषण हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना है। इस योजना अंतर्गत गरीब रेखा से नीचे लाया या जिनकी आय ₹100000 से कम है जिनके बच्चों की आयु कम से कम 14 वर्षों के पालन पोषण हेतु ₹100000 प्रति वर्ष सहायता प्रति सहायता राशि दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2008-09 के लिए 117.98 लॉक रुपए का प्रावधान था जिसमें से दिसंबर 2008 तक 92.1 ऐसी लाख रुपए व्यय किए गए हैं।

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना

इस कार्यक्रम के अंतर्गत शादी अनुदान के रूप में ₹11001 बेसहारा लड़कियों की शादी के लिए दिए जाते हैं। जिन की वार्षिक आय ₹7500 से अधिक न हो, वर्ष 2008-09 में इस उद्देश्य के लिए 137.48 लाख रुपये का प्रावधान था जिसमें 6 दिसंबर 2008 तक 92.81 लाख रुपए खर्च किए गए जिसमें 578 लाभार्थियों को लाभ पहुंचा।

महिला स्वरोजगार योजना

इस योजना के अंतर्गत ₹25,000 रुपए उन महिलाओं की आय संवर्धन हेतु प्रदान किए जाते हैं जिनकी वार्षिक आय ₹7,500 से कम है। वर्ष 2008-09 के दौरान इस योजना के अंतर्गत ₹1200000 का प्रावधान किया गया है।

विधवा पुनर्विवाह योजना

प्रदेश सरकार ने वर्ष 2004-05 से विधवा पुनर्विवाह योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य विधवाओं को पुनर्विवाह कर उनका पुनर्वास करना है। इस योजना के अंतर्गत दंपत्ति को ₹25000 के रूप में अनुदान दिया जाता है। वर्ष 2008-09 के दौरान इस योजना के अंतर्गत रुपए 30.75 लाख का प्रावधान किया गया जिसमें से दिसंबर 2008 तक 52 दंपतियों को ₹1300000 दिए गए हैं।

स्वामी विवेकानंद उत्कृष्ट छात्रवृत्ति योजना

इस योजना के अंतर्गत सामान्य वर्ग के अधिकतम 4,000 छात्र-छात्राओं को + 1 व + 2 के उन मेधावी छात्रों को जिन्होंने दसवीं व + 1 की परीक्षा में 77% अंक अर्जित किए हो, को ₹10000 की राशि वार्षिक प्रति छात्र\ छात्रा छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। 2000-08 में 11 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।

ठाकुर सेन नेगी उत्कृष्ट छात्रवृत्ति योजना

इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति के (200 छात्र-छात्राओं) को जिन्होंने दसवीं व + 1 की परीक्षा में 72 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हो, ₹11000 की वार्षिक प्रति छात्र/छात्रा प्रति वर्ष छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। वर्ष 2007-08 में 100 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।

महर्षि बाल्मीकि छात्रवृत्ति योजना

बाल्मीकि समुदाय की सभी छात्राओं को जिनके अभिभावक अस्वस्थ व्यवसाय करते हैं को दसवीं कक्षा के प्रसाद विश्वविद्यालय स्तर तथा समान स्तर के व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की शिक्षा ग्रहण करने पर हिमाचल में स्थित कॉलेजों में ₹9000 प्रति छात्रा की दर से छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। वर्ष 2007-08 में 95 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।

डॉक्टर अंबेडकर मेधावी छात्रवृति योजना

इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति के 1000 छात्रों तथा 1,000 अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को जिन्होंने 10 की परीक्षा में 72 प्रतिशत व उससे अधिक अंक प्राप्त किए हो, को ₹10,000 वार्षिक प्रति छात्र छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। वर्ष 2007-08 में 738 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना

यह योजना भारत सरकार ने प्रारंभ की है। इसका प्रमुख उद्देश्य 11वीं योजना के दौरान कृषि क्षेत्र में 4% की वार्षिक वृद्धि एवं कृषि एवं संबंधित क्षेत्र में संपूर्ण विकास करना है। भारत सरकार ने कृषि को बढ़ावा देने के साथ उद्यान, पशुपालन, मत्स्य पालन एवं ग्रामीण विकास के लिए रू 1519.69 करोड़ लाख रुपए हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2008-09 में आवंटित किए गए.

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