जैव-विकास के विभिन्न प्रमाण, जैव विकास का सिद्धांत, जैविक विकास के सिद्धांतों, जैव विकास meaning in english, जैविक विकास की परिभाषा, जैव विकास तथा वर्गीकरण, जैव विकास को सर्वप्रथम किसने समझाया, विकास के सिंथेटिक थ्योरी, जैव विविधता के प्रकार
समजात अंग से अंग होते हैं जिनकी उत्पत्ति व संरचना समान होती है लेकिन उनके कार्य भिन्न होते हैं। समजात अंगों की उपस्थिति सामान्य (एक ही) पूर्वज की ओर संकेत करती है।
यह भी अंग होते हैं जो एक ही कार्य करते हैं लेकिन उनकी उत्पत्ति और रचना भिन्न होती है। समवर्ती अंगों की उपस्थिति जीवों के बीच विविधता व उनके एक दूसरे से दूर होने की ओर संकेत करती है। इससे विभिन्न विकास यह ट्रेंड्स का पता चलता है।
प्रत्येक जीव अपनी विकासीय अवस्थाओं में अपने पूर्वजों के इतिहास को दोहराता है। कशेरुकी जीवों के सभी भूर्ण संबंधी अवस्थाएं एक जैसी होती है, जिससे विभिन्न जीवो के समान पूर्वज होने का पता चलता है।
जीवाश्म रिकॉर्ड एक निश्चित समय में, जटिल जीवों में धारण जीवों का क्रमिक विकास का प्रमाण होता है। यह आपसी संबद्धता भी उपलब्ध कराता है। यह इस बारे में भी अपेक्षित प्रमाण उपलब्ध करवाता है कि पक्षी रेंगने वाले जीवों से विकसित हुए हैं।
यह वे अंग है जो वर्तमान समय के जीवों में तो निष्क्रिय हैं लेकिन पूर्वजों में यह अंग अति विकसित व क्रियाशील रहे थे। उनकी क्रियाशीलता आदतों में परिवर्तन के साथ समाप्त हो गई है। यह इस बात का भी संकेत है कि पर्यावरण में परिवर्तन के कारण विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है।
वे जीव जिनमें समान प्रोटीन होते हैं। एक दूसरे से निकट संबंध रखते हैं तथा जीन की आणविक संरचना भिन्न होती है उनके पूर्वज भी बहुत दूर होते हैं।
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