यहाँ पर हम आपको झारखंड की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं के बारे में बताने जा रहे है जिसकी मदद से आप JSSC और दुसरे एग्जाम की तैयारी आसानी से कर सकते है.
दामोदर नदी को झारखंड, बिहार और बंगाल का शोक कहा जाता था। सन 1823 से 1943 ई. के मध्य इस नदी में 16 बार भीषण बाढ़ आई जिसमें 1913, 1919, 1935 और 1943 की अति भयानक थी। नदी की विध्व्सात्मक कार्यवाही से होने वाली अपार जन-धन की हानि को ध्यान में रखते हुये सन 1948 में भारत सरकार द्वारा दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गई थी। दामोदर नदी छोटा नागपुर की 610 मीटर ऊंची पहाड़ियों से निकलकर झारखंड राज्य में 290 किमी तक प्रवाहित होने के उपरांत पश्चिमी बंगाल की सीमा में प्रवेश कर जाती है। जहां यह 240 किमी की यात्रा तय करके कोलायत से 50 किमी पहले होली मे मिल जाती है। जमुनिया, कोनार, बाराकर, और बोकारो इसकी प्रमुख सहायक नदिया है। इसकी ऊपरी घाटी झारखंड के पलामू हजारीबाग, रांची, मानभूम तथा संथाल परगना जिलों में तथा निचली पश्चिमी बंगाल के बांकुड़ा, वर्धमान, मिदनापुर तथा हावड़ा जिलों में विस्तृत है।
इस परियोजना के अंतर्गत आठ बांध, एक अवरोधक बांधों के निकट जलविद्युत उत्पादन केंद्रों के अतिरिक्त बोकारो, चंद्रपुर तथा दुर्गापुर में तीन तटीय विधुतग्रह तथा लगभग 2500 किमी लंबी नहरो के निर्माण का प्रावधान था। इस योजना पर 140 करोड रुपए की लागत आई है। इसमें 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचाई, 500 मेगावॉट जल विद्युत एवं, 145 किमी लंबे परिवहन मार्ग के विशेष सुविधा मिलने लगी है।
यह बांध झारखंड राज्य में दामोदर की सहायक बराकर नदी पर कोडरमा स्टेशन से 22 किलोमीटर दक्षिण में बनाया गया है। सन 1953 ई. में 350 मीटर लंबा तथा 33 मीटर ऊंचा यह बाद बनाया गया है। इस बांध के जलाशय में 395 लाख घनमीटर जल संग्रह करने की क्षमता है। जहां जल द्वारा विद्युत उत्पादन करने की 2 ईकाई है जिसकी क्षमता 4 मेगावाट है।
सन 1955 में हजारीबाग जिले में कोनार और दामोदर नदी के संगम से 24 किमी दूर ₹97 लाख की लागत से 3.5 किमी लंबा और 49 मीटर ऊंचा बांध बनाया गया है। इस बांध के जलाशय की क्षमता 337 लाख घनमिटर है। या 40,000 किलोवाट क्षमता वाला भूमिगत जल विद्युत गृह स्थापित किया गया है। इस बाद से 40,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी।
यह बांध सन 1957 ई. में झारखंड राज्य के धनबाद जिले में बाराकर नदी पर आसनसोल से 25 किलोमीटर दूर दामोदर के संगम से कुछ ऊपर बनाया गया है। यह बांध 4,357 मीटर लंबा और 56 मीटर ऊँचा है। इसके जलाशय की क्षमता 13,610 लाख घनमीटर है यहां 20-20 मेगा वाट की तीन इकाइयां है।
बांध | जिला | स्थापना वर्ष | हिंदी | विद्युत उत्पादन क्षमता |
तिलैया बांध (350 मीटर लंबा 30 मीटर ऊंचा) | कोडरमा | 1953 | बराकर | जल विद्युत गृह की दो इकाइयां 4 मेगावाट |
कोनार बांध (3.5 किमी लंबा, 49 मीटर ऊंचा) | हजारीबाग | 1955 | कोनार | 40,000 किलोवाट क्षमता वाला भूमिगत जल विद्युत |
मैथन बांध (4,357 मी लंबा, 56 मीटर ऊंचा) | धनबाद | 1957 | बराकर | 20-20 मेगावाट की 3 इकाइयां |
पंचैत पहाड़ी बांध (25 किलोमीटर लंबा एवं 45 मीटर ऊंचा) | झारखंड के धनबाद एवं पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिलों की सीमा पर | 1959 | 40-40 मेगावाट की दो इकाइयाँ | |
बाल पहाड़ी बांध | गिरिडीह | बराकर | 20,000 किलोवाट क्षमता वाला एक विद्युत ग्रह है | |
नलकारी बांध | रामगढ़ कैंट (हजारीबाग) | 1968 | नलकारी |
यह तिलैया, कोनार और मैथन बांधों से बड़ा है, यह बांध झारखंड के धनबाद तथा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिलों की सीमा पर 1959 ई. में 191 लाख रुपए में बनकर तैयार हुआ था। यह बांध बारकर ओर दामोदर नदी के संगम पर बना है। इसकी लंबाई 2.5 किमी और ऊंचाई 45 मीटर है। इस पर बने जलाशय की संग्रहण क्षमता 1497 लाख घनमीटर यहां 40-40 मेगावाट की इकाइयाँ है।
दामोदर नदी की सहायक नदी बोकारो पर अवस्थित यह विद्युत प्लांट बोकारो शहर में स्थित है। बोकारो थर्मल गोमो, बरकाकाना,लूप-लाइन में पड़ता है, जो झारखंड के बोकारो जिला में स्थित है। फरवरी 1853 में बोकारो थर्मल में बिजली उत्पादन शुरू हुआ और 50 के दशक में बोकारो थर्मल का विद्युत शक्ति ग्रह देश का सबसे बड़ा बिजली उत्पादक केंद्र था। इसके उत्पादन क्षमता 342.5 मेगावाट है।
दामोदर घाटी कार्पोरेशन द्वारा इस शक्तिगृह की स्थापना 1965 में की गई थी। चंद्रपुरा बोकारो जिला में स्थित है। इसकी कुल उत्पादन क्षमता 780 मेगावाट है।
यह बांध बराकर नदी पर गिरिडीह जिले के दक्षिण-पूर्व में स्थापित किया गया है। इस पर 20,0000 किलोवाट क्षमता का एक विद्युतगृह भी स्थापित किया गया है।
यह बांध बोकारो नदी पर बनाया गया है तथा इसके निकट स्थापित किया गया है।
यह ताप विद्युतगृह हजारीबाग जिले में स्थित है। यह परियोजना 13 फरवरी, 1973 में बिहार राज्य स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड द्वारा सोवियत संघ की तकनीकी सहायता से आरंभ की। इस विद्युतगृह उत्पादन क्षमता 620 मेगावाट है। इस परियोजना को पूरा करने का मुख्य उद्देश्य भारी अभियंत्रण निगम और हटिया परियोजना की आवशकताओ को पूरा करना है।
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