यहाँ पर हम आपको झारखंड में नदियाँ और उद्गम स्थल के बारे में बताने जा रहे है.
उत्तरी कोयल नदी रांची पठार के मध्य से निकलती है और पाट क्षेत्र के घुमावदार प्रवाह पथ बनाती हुई उत्तर की ओर बहती है । औरंगा और अमानत है इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ है। अनेक छोटी-छोटी सरिता के जल के साथ यह नदी पलामू जिले में सोन नदी में मिल जाती है। ग्रीष्मकाल में सूख जाती है और वर्षा ऋतु में पानी से परिपूरित होकर बहती है।
यह नदी छोटा नागपुर के मध्य भाग से निकलने वाली प्रमुख नदी है. यह रांची नगर से कुछ दूर स्थित पश्चिम की पहाड़ियों से निकलती है। और कई छोटी-छोटी सरिताएं दक्षिणी कोयल नदी में मिलती है। पूर्व से पश्चिम में कारो नदी आकर मिलती है। यह नदी घुमावदार प्रवाह पर बनाती हुई गंगापुर के निकट शंख नदी में मिल जाती है।
यह नदी भी छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलती है और यह सर्वाधिक गिरिडीह जिले में फैला हुआ है। यह नदी ग्रीष्म-काल अल्प जल की हो जाती है और वर्षा ऋतु में तेज प्रवाह से बहती है। दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत विशाल जलाशय निर्मित किया गया है।
नदी का नाम | उद्गम स्थल |
उत्तरी कोयल नदी | रांची के पठार के मध्य से |
दक्षिणी कोयल नदी | छोटा नागपुर के पठार के मध्य से |
फल्गु नदी | उत्तरी छोटा नागपुर पठार से |
सकरी नदी | उत्तरी छोटा नागपुर पठार से |
पंचाने नदी | उत्तरी छोटा नागपुर पठार से |
स्वर्णरेखा नदी | छोटा नागपुर के पठारी भाग से |
दामोदर नदी | छोटा नागपुर के पठारी भाग से |
कर्मनासा नदी | विंध्याचल की पहाड़ियों से |
संजय नदी | पोरहाट पहाड़ से |
किऊल नदी | हजारीबाग के खगरडीहा से |
अजय | बठपाड़ा (राजमहल की पहाड़ियों से) |
सोन | अमरकंटक (मध्य प्रदेश) |
पुनपुन | मध्य प्रदेश का पठार |
यह नदी उत्तरी छोटा नागपुर के पठारी भाग से 5 जलधाराओं के मिलने से बनी है। इन जलधाराओं में पेमार, तिलैया, महाने और पंचाने है। ये सभी सरीताए गिरियक के निकट बहती है। यह नदी वर्षा ऋतु में उफन कर बहती है और ग्रीष्म काल में सूख जाती है। यह नदी बिहार शरीफ के कुछ आगे बहने के बाद कई भागों मै बंट जाती है।
यह नदी छोटा नागपुर के पठारी भाग में पलामू जिले से निकलती है। यह नदी प्रतिवर्ष भयंकर तबाही मचाती थी। अंत इसे झारखंड और बंगाल का शोक कहते थे, लेकिन दामोदर घाटी निगम की स्थापना के उपरांत यह यहां का वरदान बन गई। और संपूर्ण देश को उसके द्वारा विकास पर गर्व है। यहां अनेक बांध और विद्युत केंद्र स्थापित किए गए हैं। अंत में यह नदी हावड़ा के निकट हुगली के साथ मिलकर बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।
यह नदी छोटा नागपुर के पठारी भाग से निकलती है। इस नदी सुनहरे रेत में सोने की मात्रा पाई जाती है। यह दक्षिण पूर्व दिशा में बहती हुई उड़ीसा राज्य में चली जाती है।
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