कबीरधाम की स्थापना कब की गई थी?
6 जुलाई 1998 को
कबीरधाम का उपनाम क्या है?
छत्तीसगढ़ का खजुराहो
कबीरधाम का सांबा कहां पर स्थित है?
रायपुर
कबीरधाम का क्षेत्रफल कितने वर्ग किलोमीटर में है?
4,447.05 वर्ग किलोमीटर
कबीरधाम की कितनी तहसीलें हैं और कौन-कौन सी?
4 तहसीलें (कबीरधाम, पंडरिया, बोडला, सहसपुर लोहार)
कबीरधाम में कुल गांव की संख्या कितनी है?
1,011
कबीरधाम में कुल जनपद पंचायत कितनी है?
04
कबीरधाम में कुल ग्राम पंचायत कितनी है?
461
कबीरधाम में कुल नगर पालिका की संख्या?
01
कबीरधाम में नगर पंचायत की संख्या कितनी है?
05
कबीरधाम में जनसंख्या में रैंक 2011 में कितनी थी?
12
कबीरधाम में कुल जनसंख्या 2011 में कितनी थी?
822526
कबीरधाम में कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार पुरुष की जनसंख्या कितनी थी?
412058
कबीरधाम में कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार महिला की जनसंख्या कितनी थी?
410468
कबीरधाम मे 0-6 आयु वर्ग की कुल जनसंख्या 2011 में कितनी थी?
141904
कबीरधाम में 0-6 आयु की कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार पुरुष की जनसंख्या कितनी थी?
71571
कबीरधाम में 0-6 आयु की कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार महिला की जनसंख्या कितनी थी?
70,333
कबीरधाम में 0-6 आयु में लिंगानुपात 2011 में कितना था?
983
कबीरधाम में 2011 में साक्षरता दर कितनी प्रतिशत था?
60.85 प्रतिशत
कबीरधाम में 2011 के साक्षरता दर के अनुसार है पुरुष की साक्षरता दर कितने प्रतिशत है?
72.98 प्रतिशत है
कबीरधाम में साक्षरता दर 2011 के अनुसार महिला साक्षरता दर कितने प्रतिशत है?
48.71 प्रतिशत
कबीरधाम में जनसंख्या घनत्व 2011 में कितना था?
185 प्रति वर्ग किलोमीटर
कबीरधाम में 2011 में लिंगानुपात कितना था?
1000:996
कबीरधाम में लिंग अनुपात में रैंक 2011 में कितना था?
12
कबीरधाम में जनसंख्या घनत्व में रैंक 2011 में कितना था?
8
कबीरधाम में 2011 में साक्षरता रैंक कितना था?
20
कबीरधाम में कुल अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 2011 में कितनी थी?
1,67,043
कबीरधाम में कुल अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 2011 में पुरुष की जनसंख्या कितनी थी?
82,597
कबीरधाम में कुल अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 2011 में महिला की जनसंख्या कितनी थी ?
84,446
कबीरधाम में कुल अनुसूचित जाति की जनसंख्या 2011 में कितनी थी?
1,19,798
कबीरधाम में कुल अनुसूचित जाति की जनसंख्या 2011 में पुरुष की जनसंख्या कितनी थी?
60,154
कबीरधाम में कुल अनुसूचित जाति की जनसंख्या 2011 में महिला की जनसंख्या कितनी थी?
59,644
कबीरधाम में कुल ग्रामीण जनसंख्या 2011 में कितनी थी?
7,35,131
कबीरधाम में कुल ग्रामीण जनसंख्या 2011 में पुरुष की जनसंख्या कितनी थी?
3,67,941
कबीरधाम में कुल ग्रामीण जनसंख्या 2011 में महिला की जनसंख्या कितनी थी?
3,67,190
कबीरधाम में कुल शहरी जनसंख्या 2011 में कितनी थी ?
87,395
कबीरधाम में कुल शहरी जनसंख्या 2011 में पुरुष की जनसंख्या कितनी थी?
44,117
कबीरधाम में कुल शहरी जनसंख्या 2011 में महिला की जनसंख्या कितनी थी?
43,278
कबीरधाम का इतिहास
- कबीरधाम जिले का निर्माण 6 जुलाई 1998 को किया गया।
- मैकाले पर्वत श्रेणी के वृष्टि छाया क्षेत्र में होने के कारण कम वर्षा के बावजूद कबीरधाम जिले पूरे प्रदेश में खेती के लिए प्रसिद्ध है।
- कबीरधाम जिला गन्ने की खेती के लिए अग्रणी है। प्रदेश का पहला चीनी कारखाना भोरमदेव सहकारी चीनी कारखाना है ।
- कबीरधाम जिले को पहले कवर्धा जिले के नाम से जाना जाता था।
- छेरकी महल छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले में चौरा नगर में स्थित है। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है।
- शिल्प और सौंदर्य के साझेपन के लिए प्रसिद्ध है भोरमदेव मंदिर के अलावा यह जिला केबड़े की सुगंध के लिए प्रसिद्ध है।
- कबीरधाम से मात्र 6 किलोमीटर दूर जूनवानीलीमो में नर्मदा कुंड केवड़े के वृक्षों से आच्छादित है। जहां की भीनी भीनी खुशबू अलग ही आनंद का एहसास कराती है।
- भोरमदेव को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है। यहां के मंदिर चंदेल शैली तथा नागर शैली दोनों में निर्मित है।
- कबीरधाम क्षेत्र पूर्व में नागवंशीयों का क्षेत्र रहा है। पूर्व में कर्वधा राजनादागांव का हिस्सा था।
- 1000 वर्ष पूर्व यह नागवंशीयों की कार्यशैली रहा है जिनके प्रमाण हमें भोरमदेव मडवा महल से प्राप्त होते हैं।
- कबीरधाम के बकेला नामक पुरातात्विक स्थल के उत्खनन में ग्रेनाइट की पार्श्वनाथ की प्रतिमा तथा प्राचीन मूर्तियों के सिक्के प्राप्त हुए हैं।
- कबीरधाम जिले में गोंड वंश के राजाओं की राजधानी समनापूर थी।
- प्रदेश का प्रथम चीनी कारखाना कवर्धा (कबीरधाम) में संचालित है।
- राज्य सरकार द्वारा 2006 में हरीन छपरा में नवीन औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना की थी।
- जिले के कवर्धा एवं पंडरिया मंडी में एगमार्कनेट सॉफ्टवेयर लगाया गया।
- अरहर की कृषि कबीरधाम राजनंदगांव जिले में सबसे ज्यादा होती है।
- कबीरधाम जिला वृष्टि छाया क्षेत्र होने की वजह से जिले की कुल 1,85,974 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में आज समुचित जल की व्यवस्था से जिला में हरियाली आई है।
पर्यटन स्थल
पर्यटन स्थल | पर्यटन स्थल की श्रेणी | मुख्य दशर्निय स्थल |
भोरंमदेव | धार्मिक,एटिहासिक,पुरातात्विक | भोरंमदेव मंदिर, मंडवा महल , छेरकी |
कबीरधाम | प्राकर्तिक | झिरना नर्मदा कुंड |
मिट्टी
लाल मिट्टी।
फसलें
गेहूं, चावल, अरहर, तिलहन, चना, सोयाबीन
अभयारण्य
भोरंमदेव अभयारण्य
नदिया
हाप नदी, बंजर, टाडा।
लाभ देने वाली परियोजनाएं
सूतीमापाट सिंचाई परियोजना ।
खनिज
बॉक्साइट, लोहा अयस्क, चुना पत्थर
मेला महोत्सव
भोरंमदेव मेला
जनजातियां
हलवा, हलबी
संगीत महाविद्यालय
शारदा संगीत महाविद्यालय
पुरातात्विक स्मारक
भोरंमदेव मंदिर, मंडवा महल में छेरकी महल।
एकलव्य विद्यालय
तरेगांव (कबीरधाम)
वन (2015)
1578 वर्ग किलोमीटर
प्रसिद्ध स्थल
भोरमदेव (छत्तीसगढ़ का खजुराहो)
रायपुर जबलपुर राज्य मार्ग पर कवर्धा या कबीरधाम से 17.6 किलोमीटर पूर्व की ओर मेकल पर्वत श्रंखला में छपरी के निकट चौरा गांव नामक गांव में भोरमदेव स्थित है। खजुराहो एवं कोणार्क की कला का संगम स्थल भोरमदेव मंदिर है।
11 वीं शताब्दी के अंत में (1089 ईसवी के आसपास) छोटे नागवंशी शासक गोपाल देव द्वारा निर्मित यह पुरातात्विक माताओं का मंदिर भारतीय संस्कृति एवं कला की उत्कृष्टता का परिचायक है। भोरमदेव का मंदिर शिलाओं को तराशकर की गई पच्चीकारी अर्थात नागर शैली की उत्कृष्टता का परिचायक है।
इसके गर्भ ग्रह में शिवलिंग स्थापित है। कुछ विद्वानों द्वारा इसका नामकरण गोंड देवता भोरमदेव से संबद्ध किया जाता है। 18वी शताब्दी में भारतीय पुरातत्व का सर्वेक्षण विभाग के प्रथम महानिदेशक कनिंघम सर्वप्रथम भोरमदेव पहुंचे।
इसके संबंध में अनेक महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख है जो निगम आर्कियोलॉजिकल रिपोर्ट में मिलता है। यह अपने मैथुन शिल्पाकन के लिए प्रख्यात है। यहां के खिलाफ में विभिन्न काम मुद्राओं में अनुरक्त युगलों का कलात्मक अंकन किया गया है। इसी कारण मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है। वस्तुतः यह मंदिर चंदेल शैली और नागर शैली में ही निर्मित है।
मंडल महल (पुरातात्विक, ऐतिहासिक, धार्मिक)
भोरमदेव से 1 किलोमीटर दूर कवर्धा मार्ग पर मंडवा महल स्थित है। मंडवा महल को दूल्हादेव भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहां पर एक ऐतिहासिक विवाह हुआ था। शिलालेख के आधार भी सिद्ध होता है कि नागवंशी राजा के हैह्वावसी राजकुमारी से यहां विवाह किया था। इस मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा रामचंद्र देव द्वारा सन 1349 में कराया गया था। इसके दो अंग है – मंडप और गर्भ गृह।
छेरका महल (पुरातात्विक, ऐतिहासिक, धार्मिक )
भोरमदेव मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण दिशा में छेरका महल स्थित है। वस्तुतः यह महल नहीं है, बल्कि शिव मंदिर है। 14वीं सदी के इसे पूर्व प्रमुख मंदिर में केवल गर्भ ग्रह है, जिस में शिवलिंग स्थापित है। गर्भ ग्रह से छेरी (बकरी) के शरीर से आने वाली गंध निरंतर आती रहती है। ऐसा क्यों होता है? यह रहस्य है जबकि वहां कोई बकरी नहीं है। भोरमदेव में महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर एक चेत्र सुदी तेरस के अवसर पर वर्ष में दो बार मेला लगता है।
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