आज इस आर्टिकल में हम आपको कलिंग युद्ध का इतिहास के बारे में बताने जा रहे है.

More Important Article

कलिंग युद्ध का इतिहास

महापद्मनंद ने कलिंग को अपने राज्य में मिला लिया था. चंद्रगुप्त मौर्य, जिसने लगभग समस्त भारतीय सुदूर इलाके तक राज्य विस्तार किया था, के समय निश्चित ही कलिंग भी मगध साम्राज्य का अंग रहा होगा. संभवत : बिंदुसार के काल में कलिंग में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.

इस चुनौती को अशोक ने अपने विषय के रूप में बदलने हेतु कलिंग पर आक्रमण किया. कलिंग भी उस समय व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य था. अशोक ने अभिषेक के 261 ई. पू. कलिंग युद्ध शुरू किया. इस युद्ध के बाद मौर्य साम्राज्य की सीमा की खड़ी तक  विस्तृत हो गई. यह कलिंग युद्ध का तात्कालिक लाभ था.

मगध एवं समस्त भारत के इतिहास में कलिंग की विजय एवं महत्वपूर्ण घटना थी, जिसके बाद मौर्यों की विजयों तथा राज्य विस्तार का एक दौर समाप्त हुआ. कलिंग युद्ध के बाद एक नए युग का सूत्रपात हुआ और यह युग था शांति, सामाजिक, प्रगति तथा धार्मिक प्रचार का. यही से सैन्य विजय तथा दिग्विजय का युग समाप्त हुआ तथा आध्यात्मिक विज्ञान और धम्म  विजय का युद्ध प्रारंभ हुआ.

इस प्रकार कलिंग युद्ध ने अशोक का हृदय परिवर्तन किया. उसका हृदय मानवता के लिए प्रति दया एवं करुणा से उद्वेलित हो गया और उसने युद्ध क्रियाओं को सदा के लिए बंद कर देने की प्रतिज्ञा की. कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया और राज्य के सभी साधनों को जनता के कल्याण हेतु लगा दिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *