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कांगड़ा जिले की जानकारी

मुख्यालय-  धर्मशाला

समुद्र तल से ऊंचाई- 1,597 मीटर

संक्षिप्त इतिहास

कांगड़ा, त्रीगर्त  के नाम से विख्यात हिमाचल प्रदेश की अति प्राचीन विरासत है। महाभारत काल (द्वापर युग) मेष की स्थापना सुशर्मा नाम के एक राजा ने की थी। 9 मार्च, 1846 से 1 नवंबर, 1966 तक के कांगड़ा पंजाब राज्य का एक हिस्सा रहा था। पंजाब राज्य के पुनर्गठन के पश्चात कांगड़ा हिमाचल प्रदेश में विलय कर दिया गया। 1 सितंबर 1972 को कांगड़ा जिले में उना, हमीरपुर एवं कांगड़ा जिलों को बनाया गया इस समय कांगड़ा जिले में 14 तहसील एवं उप तहसीलें हैं।

प्रमुख फसलें- गेहूँ, जो, चावल, मक्का, गन्ना, एवं दालें मुख्य उपज है।

धार्मिक स्थल- ब्रजेश्वरी मंदिर, ज्वालामुखी मंदिर, त्रिलोक नाथ मंदिर, चामुंडेश्वरी मंदिर, मसरूर का चट्टान कट मंदिर, कांगड़ा जिले में शिव का थाना ( कांगड़ा),  बैजनाथ में महावीर एवं ब्रह्मा मंदिर। नूरपुर में गंगा का मंदिर आदि।

प्रमुख मेले- ज्वालामुखी मेला और नावदा मेला कांगड़ा जिले के प्रसिद्ध मेले हैं।

पर्यटन- पर्यटन की दृष्टि से कांगड़ा में बहुत सुंदर-सुंदर झीलें आदि अनेक पर्यटक स्थल है जो पर्यटकों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं।

2011 की जनगणना

  • कुल जनसंख्या – 1,51,0075
  • कुल क्षेत्रफल –  5739 वर्ग किलोमीटर
  • जनसंख्या का घनत्व- 263 प्रति वर्ग किलोमीटर
  • साक्षरता प्रतिशत -85.6  प्रतिशत है
  • पुरुष साक्षरता प्रतिशत – 91.4%
  • महिला साक्षरता प्रतिशत – 80.0 %
  • महिलाएं प्रति हजार पुरुषों पर-  1013

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