त्रिगर्त
02
धर्मशाला
1 नवंबर 1996
5,739 वर्ग किलोमीटर
9 कांगड़ा, पालमपुर, धर्मशाला, नूरपुर, देहरा, गोपीपुर, बैजनाथ, जवाली, जयसिंहपुर, इंदौर, जवाली, कोटला, शाहपुर, धीरा, कसाब, जसवा, गोपीपुर, फतेहपुर
3, हारचक्कीया, रकड़, थूरलमीरथन, देहरा
15, कांगड़ा,रेत, नगरोटा, बांगवा, बैजनाथ, नूरपुर, इंदौर, नगरकोट, सूरिया, परागपुर, फतेहपुर, लंबा गांव, सुलाह, धर्मशाला, देहरा
16,ज्वालामुखी, प्रागपुर, जसवा, गुलेर, जवाली, गंगथ (आरक्षित), नूरपुर, शाहपुर, धर्मशाला, कांगड़ा, पालमपुर, राजगीर (आरक्षित), सुलाह, धुरल, बैजनाथ, नगरोटा ।
1,51,0075
7,50,591
7,59,484
14.05 प्रतिशत
1000:1013
85.6%
91.4%
80.0%
263 प्रति वर्ग किलोमीटर
164607
878741
76866
1000 : 873
विरासत
शुशर्मा नाम के एक राजा ने
पंजाब
हिमाचल प्रदेश
उना, हमीरपुर, एवं कांगड़ा जिला को बनाया गया।
केंद्र
हिंदू शाही वंश के शासक जयपाल सिंह की ।
मोहम्मद गजनवी ने
1620 ई. में
चित्रकारी की कांगड़ा शैली विकसित हुई।
सुंदरतम घाटी
धौलाधार श्रेणी में
1597 मीटर
दोमट मिट्टी
गेहूं, जो, चावल, मक्का, गन्ना, दलहन,
व्यास नदी, बाण गंगा
गगाल (अन्तरारजीय)
कावेरी झील, पोंग झील
भंग सुनाथ, कोपरा, सालोल
तमसार, आशा गली, इंदिरा हार, कड्डी कुकड़ी, सिंगूर बड़ा लवला, भेरियाग, चोरी, तेलंग, निकोड़ा, मनाली, वारु
भागसुनाग जलप्रपात
घोरा तन तनु, हनुमान टिब्बा, चोलाग।
चूना पत्थर, सिलिका रेत, कोयला, लोहा अयस्क है ।
नगरोटा, बांगवा, कांगड़ा, संसारपुर, टेरिस, जवाली, देहरा गोपीपुर।
सारी गलू, तैतु, माकोड़ी, गैरु, भीम धसतूडी, बालेणी, जालसू
कांगड़ी
धर्मशाला
महाराणा प्रताप वन्यजीव अभयारण्य।
चौधरी सरवन कुमार, कृषि विश्वविद्यालय (पालमपुर), केंद्रीय विश्वविद्यालय (धर्मशाला)।
हिमाचल स्कूल संचार
ब्रजेश्वरी मंदिर, ज्वालामुखी मंदिर, त्रिलोकीनाथ मंदिर, चामुंडेश्वरी मंदिर, मसरूर का चट्टान का मंदिर, कांगड़ा जिले में अवलोकितेश्वर मंदिर, शिव का थान ( कांगड़ा), बैजनाथ में महावीर एवं ब्रह्मा मंदिर, नूरपुर से गंगा का मंदिर आदि।
ज्वालामुखी मेला और नवादा मेला कांगड़ा जिले के प्रसिद्ध है।
किले | निर्माणकर्ता | स्थिति |
कांगड़ा का किला | शुशर्मा | कांगड़ा |
मऊ कोटा किला | सलीम शाह असुर | नूरपुर ( कांगड़ा) |
नगर कोट किला | शुशर्मा | नगरकोट ( कांगड़ा) |
संस्थान\ स्मारक | स्थान |
युद्ध स्मारक | धर्मशाला (कांगड़ा) |
चिन्मया तपोवन | धर्मशाला (कांगड़ा) |
सेंट जोस चर्च | धर्मशाला (कांगड़ा) |
केंद्रीय विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान केंद्र (CSIR) | पालमपुर (कांगड़ा) |
परियोजना | नदी | स्थान | क्षमता |
खोली परियोजना | व्यास नदी | साली (कागड़ा) | 12 मेगा वाट |
विनोवा परियोजना | व्यास नदी | बैजनाथ (कागड़ा) | 16 मेगा वाट |
बनेर परियोजना | बनेर खड्ड | कांगड़ा | 12.5 मेगा वाट |
न्यूगल परियोजना | न्यूगल ( व्यास) | पालमपुर (कागड़ा) | 15 मेगा वाट |
गज परियोजना | गध खंड्ड ( व्यास) | शाहपुर (कांगड़ा) | 40.5 मेगा वाट |
उद्योग | स्थान |
चाय उद्योग | कांगड़ा |
पाईप उद्योग | कांगड़ा |
कत्था उद्योग | कांगड़ा |
बांस उद्योग | कागड़ा |
मधुमक्खी पालन उद्योग | कांगड़ा |
रेशम उद्योग | पालमपुर (कागड़ा) |
कांगड़ा
कांगड़ा स्थित चामुंडा धाम
यह कला संग्रहालय धर्मशाला के कोतवाली बाजार में स्थित है। इसमें कांगड़ा घाटी की कला, संस्कृत, हस्तशिल्प वस्तुओं, प्राचीन, हस्तकला आदि देखने को मिलती है। यहां पर भारतीय संस्कृति को चित्रकला का खजाना कह सकते हैं।
धर्मशाला से 8 किलोमीटर की दूरी पर गवर्नर जनरल लॉर्ड एल्गिन के याद चर्च बना है है।जिनका 1863 ईसवी में यहीं पर देहांत हो गया था। यह चर्च बहुत सुंदर है जिसके चारों और देवदार के वृक्ष लगे हैं। यह धर्मशाला के पर्यटन स्थलों में मुख्य स्थल है।
यह एक सुंदर पर्यटक स्थल है, जो धर्मशाला से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर है। इस झील के चारों तरफ देवदार के वृक्ष लगे हैं, जो झील की शोभा को बढ़ाते हैं। यहां जंगल है, पेड़ पौधे है तथा ठंडी हवा सहज ही मन को लुभा देती है। यह समुद्र तल से 1775 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यहां पर चट्टानों पर बनी एक गुफा है जिसमें भगवान राम लक्ष्मण और सीता जी की मूर्तियां स्थित है। यहां पर आने वाले भक्तों को प्राचीन संस्कृति चित्रकला की प्रेरणा मिलती है। यदि मसरूर में इस धार्मिक पर्यटन स्थल देखने वाले भगवान राम के इस गुफा में दर्शन नहीं हो, तो यात्रा को सफल माना जाता है।
यह कांगड़ा घाटी का अति सुंदर नगर है। जिसके चारों ओर हरे भरे चाय के बागान है। यह स्थल स्वास्थ्यवर्धक की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पालमपुर की होली काफी प्रसिद्ध है।
यह घाटी निम्न पहाड़ी क्षेत्र शिवालीक के क्षेत्र में स्थित हैं। अपने ऐतिहासिक किलों, सूक्ष्म चित्र कला तथा खेलों में हैंग ग्लाइडिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध में है। यहां के प्रसिद्ध स्थान है- धर्मशाला, नूरपुर, पालमपुर, ज्वालाजी, कांगड़ा, बैजनाथ व गगल प्रमुख है।
धर्मशाला में प्रवेश द्वार पर स्थित यह मेमोरियल उन शहीद सैनिकों की याद में बनाया गया है जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। आगंतुक इन शहीदों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं।
यह कांगड़ा जिले का मुख्यालय है। कांगड़ा शहर के उत्तर पूर्व में 18 किलोमीटर की दूरी पर पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर है। यह तीनों ओर से जंगलों से घिरा हुआ है। 1960 ई. में यह है धर्मशाला बोध दलाई लामा का अस्थाई मुख्यालय बना। वर्तमान में इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति पर छोटातहास (तिब्बत की राजधानी) कहा जाने लगा।
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