ब्रह्मापुर
01
चंबा
15 अप्रैल 1948
6522 वर्ग किमी
08- चंबा, चुराह, पांगी, भरमौर, डलहौजी, चवाडी, भटियात,सलूनी
7 – चंबा, चुराह, पांगी, भरमौर, भटियात, सलूनी, डलहौजी
03 – होली, सिंहुता, भल्लई
7 चंबा, मेंहाल, भरमौर, तिसा, सलूनी, पांगी, भटियात
5 भटीयात, बनीखेत, चबा, भरमौर ,राजगीर
519080
261320
205760
12.58%
1000:989
72.1%
82.5%
61.6%
80 प्रति वर्ग किलोमीटर
70359
36024
34335
1000:950
मारोवर्मन ने सातवीं शताब्दी में
वर्तमान में चंपा की स्थापना साहिल व रमन (920- 940 ईसवी) ने अपनी पुत्री चंपावती के नाम पर की.
भरमौर
रावी नदी के
गद्दी जाति
चौगान मैदान में राजमहल दर्शनीय है.
लक्ष्मी नारायण मंदिर
इस मंदिर से ऐसा प्रतीत होता है कि यहां प्राचीन काल में वैष्णव संप्रदाय का प्रचार हो गया होगा।
996 मीटर
दोमट मिट्टी
गेहूं, मक्का, जो, बाजरा, चावल
रावी नदी, चिनाब नदी
चमेरा हाइडल प्रयोजना
लामा, मणि, महेश, महाकाली, खजियार
सतधारा, धानुक
सोलन, पादरी, वारु, दराटी, चोरी
पीर पंजाल, गौरी देवी डिब्बा, बड़ा खडा, कैलाश, नरहरि टीबा
शीशा, तांबा, चांदी, मैग्नीशियम, जिप्सम
सुल्तानपुर, परेल
भीम धसतड़ी, तोरी, जालसू
मनीमहेश, गणेश मंदिर, चंद्रगुप्त मंदिर, कामेश्वर मंदिर, भरमौर का लक्षणा देवी मंदिर, चंबा स्थित नरसिंह मंदिर, साहिका चंद्रशेखर मंदिर एवं चौरासी क्षेत्र का आदि।
मिंजर मेला, सुई मेला, भरमौर यात्रा और यात्रा एवं चिताड़ी यात्रा, चंबा स्थित भूरी संग्रहालय, कांगड़ा एवं वशौली के लिए प्रसिद्ध है।
जिला सरकारी पुस्तकालय
चंबा, चुराही भरमोरी (गद्दी) भटयाती
चंबा
चंबा
चंबा
वन्य जीव विहार | स्थान |
काला टोप खजियार वन्य जीव विहार | चंबा |
टुंडा वन्य जीव विहार | चंबा |
भामगुल सियोबेही वन्य जीव विहार | चंबा |
कुगती वन्य जीव विहार | चंबा |
सैचु तूआनाला वन्य जीव विहार | चंबा |
1895 ई. में चंबा में किसान आंदोलन हुआ। उस समय चंबा रियासत का राजा श्याम सिंह था। राजा श्याम सिंह और उसके वजीर गोविंद राम के प्रशासन में किसानों पर लगान का भारी का बोझ था। इसी कारण किसानों ने बेगार का विरोध किया और बटिया तक क्षेत्र के किसानों ने इसके विरोध आंदोलन शुरु कर दिया। यह आंदोलन कई महीनों तक चलता रहा बाद में ब्रिटिश सरकार के हस्तक्षेप के बाद दबा दिया गया।
जिले में रावी नदी पर बांध बनाकर चेहरा हाइडल प्रयोजना निर्मित की गई है। इस परियोजना में 22 किलोमीटर सुरंग से पानी ले जाकर 411 मीटर की ऊंचाई से गिराया जाता है जिसे 400 मेगा वाट बिजली पैदा होती है।
शहर का मुख्य आकर्षण यहां का भूरी सिंह संग्रहालय है। यहां पर चंबा की सांस्कृतिक धरोहर देखने को मिलती है। भूरी सिंह संग्रहालय में मुख्यतः कांगड़ा की सूक्ष्म कला तथा वैशाली कलम की अनेक कृतियां उपलब्ध है।
चुम्मा से मात्र 11 किलोमीटर की दूरी पर रावी नदी के दाएं तट पर यह पर्यटन केंद्र स्थित है। यहां पर कई किस्में के पौधे हैं, भेड़ प्रजनन केंद्र, कुक्कुट फार्म, मधुमक्खी फार्म स्थित है।
चंबा घाटी को रवि घाटी के नाम से पुकारा जाता है। यह घाटी जम्मू कश्मीर को छूती हुई अपने सौंदर्य के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इस घाटी क्षेत्र की समुद्र तल से न्यूनतम ऊंचाई 750 मीटर में अधिकतम ऊंचाई 6,025 मीटर है। चंबा घाटी का उत्तरी भाग वनों से भरा है, जबकि दक्षिणी भाग में कहीं भी जंगल देखने को नहीं मिलते हैं। रावी नदी चंबा घाटी के बीचो बीच से होकर इस घाटी में अधिकांश गद्दी जनजाति के लोग रहते हैं।
यह वन्य जीव विहार चंबा जिले में स्थित है। इस क्षेत्र की समुद्र तल से न्यूनतम ऊंचाई 2,074 मीटर तथा अधिकतम ऊंचाई 5,532 मीटर है। इस वन्य जीव विहार को संरक्षण प्रदान करने के लिए पहली बार 1962 में वह दूसरी बार 1975 में अधिसूचित किया गया। इस क्षेत्र में बारह सिंगा, लाल लोमड़ी, गोरिल्ला, लंगूर, नीला भेड,चितल, लियोपार्ड हिरण आदि जीव सुरक्षित है।
भरमौर प्राचीन काल में चंबा राज्य की राजधानी थी। यह स्थान चंबा से 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आज भी यहां पर 84 मंदिर स्थित है।
चंबा से 137 किलोमीटर दूर किलार पांगी उप मंडल का मुख्यालय है। यह शैतान चिनाब नदी पर गहरी कोणिया क्षेत्र में स्थित है।
यस्त वन्य जीव विहार चंबा जिले में स्थित है। इस की समुद्र तल से न्यूनतम ऊंचाई 11 सेंटीमीटर तथा अधिकतम ऊंचाई 2768 मीटर है। इस बिहार क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा 2650 मिलीमीटर लगभग होती है। इस बिहार क्षेत्र में भी बर्फ गिरती है। इस बिहार क्षेत्र को साक्ष्य देने के लिए 1949, 1958 तथा 1982 में अधिसूचित किया गया। यह वन्य जीव विहार 2026.89 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस बिहार में काले व भूरे भालू, लंगूर, जंगली बिल्ली, गोरिल्ला, हिरन आदि जीवन सुरक्षित है।
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