वायु व जल।
सूर्य का प्रकाश व वायु ।
वन व खनिज।
पृथ्वी के अंदर बहुत लंबे समय में धीरे- धीरे प्राकृतिक प्रेरकों की सहायता से अवशिष्ट पदार्थों से बनने वाले इधनों को जीवाश्म ईंधन कहते हैं।
कोयला तथा पेट्रोलियम।
कोयले को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करने पर प्राप्त हुए तैलीय द्रव को कोलतार कहते हैं ।
मृत वनस्पति के धीमे प्रक्रम द्वारा कोयले में परिवर्तन को कार्बनिकरण कहते हैं।
मृत वनस्पति के अतिरिक्त उच्च दाब व उच्च ताप।
कार्बन डाइऑक्साइड गैस।
कोक।
कोक, धातु निष्कर्षण में प्रयुक्त होता है।
कोयले के प्रक्रमण द्वारा कोक बनाते समय कोयला गैस बनती है।
यह इंधन के रुप में प्रयुक्त होती है।
चट्टान का तेल।
पेट्रोलियम उभरी हुई अभेध चट्टानों को बेधित करके प्राप्त किया जाता है।
प्रभाजी आसवन विधि द्वारा।
पेट्रोल, डीजल, स्नेहक तेल, पैराफिन मोम/
पेंट व सड़क निर्माण में।
पेट्रोलियम से प्राप्त उपयोगी पदार्थ को पेट्रोरसायन कहते हैं।
इनसे अपमार्जक व संश्लेषित रेशे बनाए जाते हैं।
एलपीजी का अर्थ है- लिक्विड पेट्रोलियम गैस ( द्रवित पेट्रोलियम गैस)।
सीएनजी -( संपीड़ित प्राकृतिक गैस)।
उर्वरकों के निर्माण में।
PCRA (पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान समिति)
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