आज इस आर्टिकल में हम आपको कर्मधारय समास क्या है और इसको कैसे पहचानें? के बारे में बताने जा रहे है जिसकी मदद से आप अपने एग्जाम में आने वाले समास के प्रश्नों को आसानी से हल कर सकते है.
जिस समस्तपद का उत्तरपद प्रधान हो तथा पूर्वपद व उत्तरपद में उपमान-उपमेय अथवा विशेषण-विशेष्य संबंध हो, कर्मधारय समास कहलाता है। या वह समास जिसमें विशेषण तथा विशेष्य अथवा उपमान तथा उपमेय का मेल हो और विग्रह करने पर दोनों खंडों में एक ही कर्त्ताकारक की विभक्ति रहे। उसे कर्मधारय समास कहते हैं। आसान शब्दों में कहें तो कर्ता-तत्पुरुष को ही कर्मधारय कहते हैं।
पहचान: विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में ‘है जो’, ‘के समान’ आदि आते है।
समानाधिकरण तत्पुरुष का ही दूसरा नाम कर्मधारय है। जिस तत्पुरुष समास के समस्त होनेवाले पद समानाधिकरण हों, अर्थात विशेष्य-विशेषण-भाव को प्राप्त हों, कर्ताकारक के हों और लिंग-वचन में समान हों, वहाँ ‘कर्मधारयतत्पुरुष’ समास होता है।
पहला पद विशेषण दूसरा विशेष्य: महान्, पुरुष =महापुरुष
दोनों पद विशेषण: श्वेत और रक्त =श्वेतरक्त, भला और बुरा = भलाबुरा, कृष्ण और लोहित =कृष्णलोहित
पहला पद विशेष्य दूसरा विशेषण: श्याम जो सुन्दर है =श्यामसुन्दर
दोनों पद विशेष्य : आम्र जो वृक्ष है =आम्रवृक्ष
पहला पद उपमान: घन की भाँति श्याम =घनश्याम, व्रज के समान कठोर =वज्रकठोर
पहला पद उपमेय: सिंह के समान नर =नरसिंह
उपमान के बाद उपमेय: चन्द्र के समान मुख =चन्द्रमुख
रूपक कर्मधारय: मुखरूपी चन्द्र =मुखचन्द्र
पहला पद कु: कुत्सित पुत्र =कुपुत्र
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