वह वस्तु जो रगड़ के पश्चात अन्य वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण प्राप्त कर लेती है, आवेशित वस्तु कहलाती है।
आवेशित वस्तु के गुण- आवश्यक वस्तुओं के गुण निम्नलिखित है-
सूखे बालों में जकड़े हुए प्लास्टिक में घर्षण (स्थिर) विद्युत उत्पन्न हो जाती है जिससे प्लास्टिक का पेन कागज के टुकड़ों को अपनी और आकर्षित करता है।
काँच की छड कुचालक है, जबकि तांबे की छड़ सुचालक है। किसी भी धातु की छड़ को आवेशित नहीं किया जा सकता। चूंकि तांबा एक धातु है इसलिए तांबे की छड़ कों घर्षण द्वारा आवेशित करने से सारा आवेश हाथ के द्वारा शरीर में से होते हुए पृथ्वी पर चला जाता है। इस प्रकार तांबे की छड़ को हाथ में लेकर आवेशित नहीं किया जा सकता। कांच की छड़ के कुचालक होने के कारण इसका आवेग पृथ्वी में नहीं जाता और इसे हाथ में लेकर आवेशित किया जा सकता है।
एबोनाइट की छड़ को बिल्ली की खाल या फलालेन के कपड़े पर रगड़ने से जो आवेश उत्पन्न होता है उसे ऋणात्मक आवेश और कांच की छड़ को रेशम के कपड़े के साथ रगड़ने पर जो आवेश उत्पन्न होता है उसे धनात्मक आवेश कहते हैं।
पॉलिथीन की थैली में रखे सरसों या राई के कुछ दानों को जब कुछ देर तक रगड़ा जाता है तो उन पर सजातीय ( समान) आवेश उत्पन्न होता है तथा वे एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। इसी कारण रगड़ने के पश्चात प्लेट में डाले गए दाने एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
कांच की छड को सिल्क के टुकड़े से रगड़ने पर उस पर धन आवेश उत्पन्न होता है। अब यदि इस धन आवेशित छड़ को सूती धागे से लटकाए गए धातु की किसी पिन के संपर्क में लाया जाता है तो यह आवेश पिन से स्थानांतरित हो जाता है। अत: चालन द्वारा पिन धन आवेशित होगी।
घर्षण विधि द्वारा लोहे की किसी छड़ को आवेशित करना कठिन होता है क्योंकि लोहा एक चालक है। घर्षण द्वारा जो आवेश लोहे की छड़ पर पैदा होता है वह हमारे शरीर से होता हुआ पृथ्वी में चला जाता है।
आवेशित कंघे को धन आवेशित विद्युत दर्शी के प्याले से स्पर्श कीजिए। स्पर्श करने पर यदि विद्युत दर्शी की पत्रियों का फैलाव अधिक हो जाता है तो कंघे पर धनावेश है, यदि पत्रियों का फैलाव कम हो जाता है तो ऋण आवेश होगा।
हां इस प्रकरण में बाल भी आवेशित हो जाते हैं। रगड़ने के पश्चात कंघे को बालों के समीप लाने पर बाल कंघे की ओर खड़े हो जाते हैं जिससे सिद्ध होता है कि बाल आवेशित है।
एक विद्युत दर्शी लेकर स्पर्श द्वारा धन आवेश से आवेशित करो। जब जिस वस्तु प्रवेश की उपस्थिति का पता करना है। उस आवेशित वस्तु को आवेशित विद्युत दर्शी के समीप लाओ। यदि विद्युत दर्शी की पत्रियों के मध्य अपसरण अधिक हो जाता है तो वस्तु पर धन आवेश होगा। यदि अपसरण कम हो जाता है तो वस्तु पर है ऋण आवेश होगा।
इसी प्रयोग को ऋण आवेशित विद्युतदर्शी द्वारा दोहराओ। इससे वस्तु के आवेश की प्रकृति सिद्ध हो जाएगी।
किसी आवेशित विद्युत दर्शी के निकट एक आनावेशित वस्तु लाने पर विद्युत दर्शी का कुछ आवेश प्रेरण द्वारा अनावेशित वस्तु पर स्थानांतरित हो जाने के कारण विद्युत दर्शी के पत्रों के बीच अपसरण घट जाता है।
आकाश में स्थिति बादलों के ऊपरी सिरे के निकट धन आवेश व निचले किनारे पर ऋण आवेश पाया जाता है। पृथ्वी के तल के निकट भी धन आवेश संचित होता है। आवेशों की मात्रा अधिक होने पर वायु जो विद्युत की हीन चालक होती है आदेशों के प्रवाह को रोक नहीं पाती। धन आवेश में ऋण आवेश मिलते हैं तो प्रकाश की चमकीली धारियां उत्पन्न उत्पन्न होती है। उसे तड़ित कहते हैं।
तड़ित तथा मेघ गर्जन एक साथ उत्पन्न होते हैं, परंतु फिर भी चमक हमें पहले दिखाई देती है और गर्जन बाद में सुनाई देती है। इसका कारण यह है कि प्रकाश का वेग ध्वनि के वेग से बहुत अधिक है। प्रकाश का वेग लगभग 30,00,00,000 मीटर प्रति सेकंड तथा ध्वनि का वेग लगभग 340 मीटर प्रति सेकंड है।
विद्युत विसर्जन (तड़ित) की परिघटना वायु में विसर्जन के कारण होती है। गर्जन से पहले बादलों में अत्यधिक मात्रा आवेश एकत्र हो जाता है। प्रकाश में विजातीय आवेशित बादलों के परस्पर निकट आने पर, इनके मध्य वायु में आवेश तीव्र वेग से गति करते हैं। इससे वायु में तड़ित की तीव्र चिंगारी गति करती दिखाई देती है। इसे विद्युत विसर्जन अथवा तड़ित कहते हैं।
तड़ित झंझा के समय जो करना चाहिए-
तड़ित झ्ंझा के समय क्या नहीं करना चाहिए-
तड़ित के समय जमीन पर न लेटे बल्कि जमीन पर सिमट कर बैठ जाएं। अपने हाथों को घुटनों तथा सिर के बीच रखें। यह स्थिति तड़ित की आघात के लिए लघुतम होती है।
सुनामी- जब सागर में जल के नीचे भूकंप आता है तो विशाल तरंगे बनती है, जिन्हें सुनामी कहते हैं। इन्हें बंदर का तरंग या भूकंप की है तरंग भी कहा जाता है, जैसे सुनामी से 1819 में हवाई द्वीप प्रभावित हुआ था तथा 2004 में बंगाल की खाड़ी प्रभावित हुई थी।
सुनामी के प्रभाव-
जब तड़ित आघात होता है तो तड़ित चालाक से होकर समस्त आवेश पृथ्वी में चला जाता है। इसका कारण यह है कि धातु का चालक विद्युत आवेश को सुगमता से अपने अंदर जाने देता है क्योंकि जिस उंची संरचना (बहुमंजिला इमारत, फैक्ट्री या बिजली घर की चिमनी, रेडियो और टेलीविजन टावर, कुतुबमीनार आदि) पर तड़ित चालक लगाया जा गया है, उसमें से होकर बादल का कोई भी आवेश पृथ्वी तक नहीं जाता, इसलिए उस सरंचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। तड़ित शत प्रतिशत सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि चालक तथा पृथ्वी के बीच भू संपर्क बहुत ही अच्छा होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो तड़ित चालक तथा सरचना दोनों को ही तड़ित से नुकसान पहुंच सकता है।
प्रकृति में अचानक घटने वाली घटनाएं, प्राकृतिक परिघटना है कहलाती है। इनमें संबंधित क्षेत्र में व्यापक रूप से जान -माल की हानि होती है और मानव जीवन के साथ-साथ पर्यावरण प्रभावित होता है।
उदाहरण- भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, सूखा, चक्रवात, ज्वालामुखी का फटना में सुनामी आदि।
चक्रवात- चक्रवात एक भयानक तूफान होता है जिस की गति 119 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होती है।
कारण- जब गर्म मौसम में सागरों का जल वाष्पित होता है तो यह ऊपर जाकर संघनित होता है और बादल बनता है। ऊपर उठती वायु का स्थान लेने के लिए वायु तेजी से नीचे आती है। वहां यह एक केंद्र के आसपास चक्रीय गति बनाती है अर्थात सागर के गर्म जल के ऊपर उपस्थित वायु के तापमान तथा दबाव में अंतर के कारण चक्रवात आते हैं।
चक्रवात के प्रभाव- चक्रवात के प्रभाव निम्नलिखित है- फसलों, स्वास्थ्य, समुद्री जानवर चक्रवात का विपरीत प्रभाव पड़ता है।
भूस्खलन व बाढ़ से जन-जीवन को भारी नुकसान पहुंचता है।
यह परिघटना भूकंप है।
भूकंप के कारण- पृथ्वी 7 लंबी प्लेटों से बनी है। यह प्लेटे धीमी गति से लेकर तीव्र गति तक हिलती है। यह प्लेट इन सब में धीरे -धीरे से एक दूसरे पर खिसकती है तो इनके खिसकने को अनुभव नहीं किया जा सकता ,परंतु जब यह प्लेटें एक दूसरे पर तेज गति से खिसकती है तो इनके परिणाम स्वरुप इमारतें हिलती है, भूमि में विशाल दरारें पड़ती है वह समुंद्र मे तरंगे उठती है। इसे भुचाल\ भूकंप कहते हैं।
भूकंप लेखी नामक उपकरण भूकंप की तरंगों को रिकॉर्ड करने के काम आता है। इसमें एक लोलक होता है जो भूस्पंद आने पर दोलन करने लगता है और उनसे जुड़ा एक पेन कागज की पट्टी पर भूकंप की तरंगों को रिकॉर्ड करता है। तैयार ग्राफ से भूकंप की क्षति पहुंचा सकने की क्षमता का अनुमान भी लगाया जा सकता है।
भूकंप से बचने के उपाय-
यदि आप घर में हो तो-
यदि आप घर से बाहर है तो-
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