तड़ित चालक- यह एक साधारण यंत्र। इस यंत्र से बड़ी बड़ी इमारतों को आकाशीय विद्युत के विनाशकारी प्रभाव से बचाया जा सकता है। तड़ित साला के का ऊपरी सिरा नुकीला अथवा प्राय: त्रिशूल के आकार का होता है। इसे भवन के सबसे ऊपरी भाग पर लगा देते हैं। धातु की छड़ के दूसरे सिरे को नमी वाली भूमि में 8-10 मीटर गहरा खोदकर तांबे की पत्ती से जोड़ देते हैं।
मान लो धन आवेशित बादल त्रिशूल के ऊपर होता है। बिजली प्रेरण धात्वीय प्लेट द्वारा त्रिशूल की नोकपर ऋण आवेश और भूमि की दबी हुई पत्ती पर धन आवेशित प्रेरित हो जाता है। त्रिशूल की नोक हवा में ऋण आवेश की धारा भेजती है जिससे बादल का आवेश बलवान होने के कारण उदासीन न हो सके तथा उसका अधिक भाग तांबे के तार द्वारा भूमि में चला जाता है। इस प्रकार इमारत आकाशीय विद्युत की हानि से सुरक्षित रहती है।
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