कुलूत
04
कुल्लू
1966
5,503 वर्ग किलोमीटर
4, कुल्लू, नी, बंजार, मनाली
5, कुल्लू, निरमंड, सांगला, मूरंग, आनी।
01, सेंज
05, अनि, बंजार, कुल्लू, निरमंड, नगर।
03, कुल्लू ,बंजार, आनी (आरक्षित क्षेत्र)।
4,37,903
2,25,452
2,12,451
14.65%
79.4%
87.3%
89.9%
79 प्रति वर्ग किलोमीटर
50431
25707
24724
1000 ; 962
कुलुटा
व्यास नदी
वेहगमनी नामक राजा ने
उयदुंबरा
उत्तर प्रदेश
अंग्रेजी हुकूमत के
पंजाब
हिमाचल प्रदेश
जगत सुख एवं नगर सुल्तानपुर
कुलंथपीठ
रहने योग्य दुनिया का अंत
देवताओं की
हिमाचल प्रदेश
खूबसूरती और हरियाली
हथकरघा और हस्तशिल्प के
1,362
पहाड़ी मिट्टी
गेहूं, चावल, मक्का
सेब, अखरोट, अमरूद, लुकाट एवं खट्टे रसीले फलों का उत्पादन।
व्यास नदी
लारजी हाइडल परियोजना, अलायन दूंगला।
सरकुंडम दरशहर
कासोल, वशिष्ठ, मणिकरण, खीर गंगा, राहला
पीर पार्वती, एनिमल, हूलती, जालोरी, भूवू, सारा उमगा, रोहतांग, कढी कुकडी
भूतूर
चांदी, मैग्नीशियम, जिप्सम, शीशा
सारी गल्लू, रसौले, खोली गल्लू, चंद्र खेरनी गलू
कुल्लई
ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान (1884)
पार्वती ग्लेशियर, दूधोन ग्लेशियर।
मनाली में हडिंबा देवी, मंदिर परशुराम मंदिर, कोटा में महिषासुर मर्दिनी मंदिर, योका मंदिर, विश्वेश्वर मंदिर आदि कुल्लू का दशहरा विश्व प्रसिद्ध है।
पर्वत शिखर | जिला | समुद्र तल से ऊंचाई |
इंद्रासन | कुल्लू मनाली | 18660 फीट |
घोर तन तनु | कुल्लू व कांगड़ा | 14600 फीट |
हनुमान टिब्बा | कुल्लू व कांगड़ा | 17580 फीट |
पिन पार्वती | कुल्लू | 14400 फीट |
पतालस | कुल्लू | 13410 फीट |
शितिधार | कुल्लू | 15870 फीट |
परागला | कुल्लू | 16731 फीट |
श्रीखंडा | कुल्लू | 15546 फीट |
बोबा कांदिनु | कुल्लू | 17832 फीट |
साचा | कुल्लू | 10620 फीट |
उमासिया | कुल्लू | 15882 फीट |
दियो टिब्बा | कुल्लू | 18003 फीट |
इंद्र किला | कुल्लू | 14820 फीट |
डिब्बो वोकरी | उल्लू | 19200 फीट |
अभयारणय का नाम | स्थान | अधिसूचित वर्ष |
कनवर वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1954 |
खोखंन वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1956 |
केस (कियास) वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1934 |
मनाली वन्य जीव बिहार | कुल्लू | 1954 |
तीर्थम वन्य जीव विहार | कुल्लू | 1976 |
इस मंदिर का निर्माण राजा जगत सिंह ने 17 वीं शताब्दी में करवाया था। ऐसा कहा जाता है कि एक बार उनसे भयंकर भूल हो गई थी। उस गलती का प्रायश्चित करने के लिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर में स्थापित रघुनाथ जी की प्रतिमा राजा जगत सिंह ने अयोध्या से मंगवाई थी।
कुल्लू से 23 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर बना यह मंदिर यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए कठिन चढ़ाई चढ़नी होती है। यहां का मुख्य आकर्षण 100 मीटर लंबा ध्वज है इसे देखकर ऐसा लगता है मानो यह सूरज को भेद रही हो। इस ध्वज के बारे में कहा जाता है कि बिजली कड़कने पर इसमें जो तरंगे उठती है यह भगवान का आशीर्वाद होती है। इस ध्वज पर हर साल बिजली गिरती है। कभी-कभी मंदिर के अंदर शिवलिंग पर भी बिजली गिरती है जिसे शिवलिंग खंडित हो जाता है। पुजारी खंडित शिवलिंग को मक्खन से जोड़ता है जिसे शिवलिंग समान्य हो जाता है।
हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी प्राचीन काल से लेकर आज तक अपने सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह घाटी व्यास नदी के दोनों और उत्तर से दक्षिण की ओर अपना मार्ग तय करती है। कुल्लू का दशहरा भारत भर में प्रसिद्ध है। यहां का दशहरा धार्मिक होने के साथ-साथ एक बड़ा व्यापारीक पर्व भी है।
इस स्थान को इंद्रालिका के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि महर्षि वशिष्ठ ने अर्जुन को पशुपति अस्त्र पाने के लिए तप करने का परामर्श दिया था इसी स्थान पर अर्जुन ने इंद्र से ही अस्त्र पाने के लिए तप किया था।
यह स्थान कुल्लू से 40 किलोमीटर दूर है। यह जगत गर्म पानी के झरने के लिए प्रसिद्ध है। हजारों लोग इस पवित्र झरने में डुबकी लगाते हैं। यहां का पानी इतना गर्म है है कि इसमें दाल और सब्जी बनाई जा सकती है। यह हिंदुओं और सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
यह कुल्लू की प्राचीन राजधानी है। यह विज नदी के बाई और नागर और मनाली के बीच स्थित है। यहां दो प्राचीन मंदिर है। पहला छोटा-सा गौरी शंकर मंदिर और दूसरा संध्या देवी का मंदिर है।
यह स्थान लगभग 1400 वर्षों तक कुल्लू की राजधानी रही है। यहां 16 विन शताब्दी में बने पत्थर और लकड़ी के आलीशान महल आज होटल में बदल चुके हैं। इन होटलों का संचालन हिमाचल पर्यटन निगम करता है। यहां रूसी चित्रकार निकोल्स रिएरिक की एक चित्र दीर्घा है।
कुल्लू का दशहरा पुरे देश में प्रसिद्ध है। इसकी खासियत यह है कि जब पूरे देश में दशहरा खत्म हो जाता है। तब यहां शुरू होता है। देश के बाकी हिस्सों की तरह या दशहरा रावण, मेघनाथ, और कुंभकरण के पुतलों का दहन करके नहीं मनाया जाता। 7 दिनों तक चलने वाला यह उत्सव हिमाचल के लोगों की संस्कृति और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। उत्सव के दौरान भगवान रघुनाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है। यहां के लोगों का मानना है कि करीब 1000 देवी देवता इस अवसर पर पृथ्वी पर आकर इसमें शामिल होते हैं।
यह परियोजना कुल्लू जिले में भन्तुर से थोड़ी दूर लाल जी नामक स्थान व्यास नदी के पानी से कार्यान्वित होती है। इसमें 45.3 मीटर ऊंचा बांध बनाकर पानी को 1.5 किलोमीटर लंबी और 8.5 मीटर व्यास वाली सुरंग से ले जाकर गिराया जाता है। इसमें 126 मेगावाट बिजली पैदा होती है।
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