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माप और मापक-यंत्र

एक फिटर द्वारा किसी निर्माण कार्य में सर्वप्रथम मापक-यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। दक्षता प्राप्त फिटर को मापक- यंत्रों/औजारों का सही प्रयोग और उनके आकार व प्रकार की पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। कार्य/जॉब का सही निर्माण उसकी माप पर निर्भर करता है।

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माप के प्रकार

माप मुख्यतः निम्न चार प्रकार की होती है-

  1. रेखीय माप
  2. कोणीय माप
  3. त्रिज्य माप
  4. समतल सतह माप

माप के प्रकार का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

रेखीय माप

सीधी सरल रेखा में लेने वाली माप को रेखीय माप कहते हैं। रेखीय माप लेने वाले औजारों में प्रमुख औजार है- इस्पात पैमाना, कैलिपर्स, ऊंचाई गेज, गहराई गेज, वर्नियर- कैलिपर्स आदि

कोणीय माप

दो परस्पर काटने वाली सरल रेखाओं से बनने वाले कोण की माप कोणीय माप कहते हैं। कोणीय माप लेने वाले प्रमुख औजार हैं- गुनिया, एंगल प्रोटेक्टर, वर्नियर बेवल प्रोटेक्टर, साइन बार आदि।

त्रिज्या माप

बाहरी या भीतरी गोलाई की माप को त्रिज्य माप कहते हैं। इसके यंत्र है- रेडियल गेज, रिंग गेज आदि

समतल सतह माप

किसी चपटी समतल सतह की समतलता की माप को समतल सतह की माप कहते हैं। इसके यंत्र हैं- स्ट्रेट ऐज, सर्फ़ेट पलेट, सर्फेस गेज, डायल टेस्ट इंडिकेटर आदि

माप की इकाइयाँ

माप के लिए निम्नलिखित तीन प्रकार की इकाईयों का प्रयोग किया जाता है-

  1. ब्रिटिश प्रणाली या एफ.पी.एस. प्रणाली।
  2. मीटरी प्रणाली या सी.जी.एस. प्रणाली
  3. अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली।

मापन प्रणालियों का संक्षिप्त विवरण तथा संबंधित मानक इकाइयों का विवरण निम्नलिखित है-

ब्रिटिश प्रणाली

इसे फूट, पाउंड, सेकंड, (एफ.पी.एस.) प्रणाली  भी कहते हैं। ब्रिटिश प्रणाली की स्थापना ब्रिटिश मानक संस्था द्वारा वर्ष 1855 में की गई थी और तभी से यह प्रणाली सभी देशों में अपनाई गई है।

लंबाई की माप के लिए ब्रिटिश प्रणाली में इकाई गज, फूट और इंच है, जो है

  • 1 गज = 3 फुट
  • 1 फुट = 12 इंच
  • 1 इंच = 8,16, 32, और 64 भाग
  • इंच के आठवां भाग को एक ‘सूत’ कहते हैं।

मीटरी प्रणाली 

यह लंबाई मापने की आधुनिक प्रणाली है। इसकी इकाई है- मीटर

  • 1 मीटर = 100 सेंटीमीटर= 1000 सेंटीमीटर
  • 1 सेंटीमीटर= मिमी

ब्रिटिश प्रणाली और मीटरी प्रणाली की इकाईयों के परस्पर संबंध निम्नलिखित हैं-

  • 1 इंच = 25.4 मिमी = 2.54 सेंटीमीटर
  • 1 फुट = 30.48 मिमी
  • 1 गज = 0.914 मी
  • 1 मिमी = 0.039 इंच
  • 1 सेमी = 0.394 इंच
  • 1 मी. = 39.37 इंच 1.094 गज

अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली

इसे सिस्टम इंटरनेशनल या एस.आई. प्रणाली भी कहते हैं। इस प्रणाली का प्रयोग अब सभी देशों द्वारा किया गया है।

इस प्रणाली में लंबाई की इकाई है- मिमी और मीटर

1 मीटर = 1000 मिमी

माप लेने वाली विधियां

माप लेने की तीन प्रकार की विधियां होती है, जो निम्नलिखित है-

प्रत्यक्ष माप, अप्रत्यक्ष माप , तुलनात्मक माप

प्रत्यक्ष माप

इस विधि से किसी कार्य या जॉब की माप सीधे ही इस्पात पैमाने, विर्नियर, कैलिपर्स, ऊंचाई गेज, गहराई गेज तथा माइक्रोमीटर से मापी जाती है।

अप्रत्यक्ष माप

इस विधि से किसी कार्य  या जॉब की माप सर्वप्रथम कैलिपर्स की सहायता से और फिर लिए गए माप का मान इस्पात पैमाने से ज्ञात किया जाता है।

तुलनात्मक माप

इस विधि में किसी कार्य की माप की जांच किसी मास्टर जॉब से तुलना करके की जाती है।

कोणीय माप

कोणीय माप की प्रचलित मुख्य इकाइयां हैं-

डिग्री 

एक वृत को 360 बराबर भागों में विभाजित किया जाए तो प्रत्येक भाग को डिग्री कहा जाता है। वृत को यदि चार भागों में बांटा जाए प्रत्येक भाग 90 डिग्री का होता है। इसे एक समकोण कहते है इस प्रकार-

  • 1 समकोण = 90
  • 1 डिग्री = 60 मिनट
  • 1 मिनट = 60 सेकंड

रेडियन

एक वृत्त के केंद्र पर उसकी त्रिज्या के बराबर लंबाई के चाप ‘arc’ से बने कोण को रेडियन कहते हैं।

1 रेडियन = 57.3

तापमान की माप

ताप का मापन करने वाले यंत्र को तापमापी कहते हैं। किसी पदार्थ/वस्तु का ताप है, तापमापी पर अंकित पैमाने के डिवीजनों, की संख्या के रूप में निरूपित होता है। तापमापी के पैमाने पर निम्नलिखित पाच प्रकार के होते हैं-

  1. सेल्सियस पैमाना -c
  2. फॉरेनहाइट पैमाना – F
  3. रयूमर पैमाना – R
  4. केल्विन पैमाना – K
  5. रैनकिन पैमाना – Rn.

ताप

पैमानों के लिए सेल्सियस, फॉरेनहाइट, रोमर, केल्विन तथा रैंनकिन पैमाने के बीच निम्नलिखित संबंध होते हैं।

विभिन्न पैमानों के तापक्रमों के मान निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं

विभिन्न पैमानों के तापक्रम

पैमाना निम्नतम बिंदु उत्तम बिंदु अंतर
सेल्सियस 0C 100C 100
फारेनहाईट 32F 212F 180
रोमर 0R 80R 180
केल्विन 273 K 373K 100
रैनकिन 492 Rn 672Rn 180

विभिन्न मापन औजार

फिटर द्वारा किसी निर्माण कार्य के सर्वप्रथम आपने वाले औजारों का प्रयोग किया जाता है।इन नजारों को चार श्रेणी में बांट सकते हैं-

  1. प्रत्यक्ष माप लेने वाले हो जाए
  2. अप्रत्यक्ष माप लेने वाले औजार
  3. साधारण माप लेने वाले औज़ार
  4. सूक्ष्म मापी औजार  

मापने वाले औजारों के अंतर्गत निम्नलिखित औजार आते हैं-

  • फुटरुल
  • आउट-साइड तथा इन-साइड कैपिलर
  • डैप्थ माइक्रोमीटर
  • वर्नियर कैलीपर्स
  • वर्नियर डेप्थ गैज
  • कॉन्बिनेशन सेंट वर्नियर बैबिल प्रोट्रैक्टर
  • डायल टेस्ट इंडिकेटर

फुटरूल

यह लकड़ी, प्लास्टिक, कार्ड बोर्ड, एलुमिनियम तथा स्टील के बने होते हैं। इनकी लंबाई 6,12,24 होती है। इंजीनियरिंग लाइन में स्टील फूटरुल का प्रयोग होता है। इन पर 1/64 तक मापने के चिन्ह अंकित रहते है। फुटरुल निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

  1. फ्लेक्सिबल स्टीलरूल
  2. नेरोरुल
  3. हुकरूल
  4. शॉर्टरूल
  5. कि सेटरुल  
  6. कैलिपर रूल
  7. स्टील टेपरूल  
  8. फील्डिंग रुल
  9. केनवेश टेपरुल

कैलिपर

यह अप्रत्यक्ष माप लेने का औजार है। यह आउट-साइड तथा इन-साइड दो प्रकार के होते हैं। इनके द्वारा किसी गोल वस्तु की माप ली जा सकती है ।

माइक्रोमीटर

यह प्रत्यक्ष रूप से किसी जॉब की सूक्ष्म माप लेने के काम आता है। इसके द्वारा 1/1000 (0.001) या 0.001 मिमी की सूक्ष्म माप ली जाती है। यही माइक्रोमीटर का अल्पत्मांक होता है। यह आउट-साइड तथा इन-साइड दो प्रकार के होते हैं। उपयोगिता के अनुसार इनके निम्नलिखित प्रकार होते हैं-

  1. स्माल इन – साइड माइक्रोमीटर
  2. डेप्थ माइक्रोमीटर
  3. स्क्रु ग्रेड माइक्रोमीटर
  4. ट्यूब माइक्रोमीटर
  5. पेपर माइक्रोमीटर

आजकल डिजिटल माइक्रोमीटर का उपयोग होता है। इनमें नाम अंकों में सीधे प्रदर्शित हो जाती है। आउट-साइड माइक्रोमीटर से मापने की सीमा एक 1 इंच अथवा 25 मिमी होती है। इसी के अनुसार यह 1 से 2, 2 से 3 तथा 0 से 25 किलोमीटर में 50 मिमी आदि आते है।

वर्नियर माइक्रोमीटर से 0.001 मिमी तक सूक्ष्म माप ली जा सकती है। माइक्रोमीटर मे निम्नलिखित मुख्य भाग होते है।

  1. फ्रेम
  2. स्पिंडल
  3. स्लीव या वैरल
  4. एनविल
  5. थिमबल
  6. लॉक नट
  7. रैचिट स्टॉप

वर्नियर कैलियर्स

यह एक सूक्ष्म मापी औजार हैं। इसमें इंच तथा मीट्रिक प्रणाली दोनों में माफ इंसाइड या आउटसाइड ली जा सकती है। इसका अल्पत्मांक 0.001  तथा 0.002 मीमी होता है। इसमे निम्नलिखित मुख्य भाग होते हैं-

  1. बीम या मेन स्केल
  2. वर्नियर स्केल
  3. फैक्स जा
  4. मुवएबल जा
  5. लोकिंग स्क्रू
  6. एडजेस्टिंग नट
  7. फाइन एसजेस्टिंग स्क्रू

इनसे दो अलग-अलग स्केलों के अंतर के आधार पर माप लेते हैं। ये निम्नलिखित प्रकार के होते हैं।

  • फ्लैट एज टाइप
  • नाइफ एज टाइप
  • फ्लैट तथा नाइफ कम्बाइड टाइप
  • गियर टूथ कैलिपर टाइप
  • डैप्थ गेज टाइप
  • हाइट गेज टाइप

वर्नियर बैविल प्रोटेक्टर

इसके द्वारा किसी को कोणीय जॉब की 1 के 12वें भाग तक की परख की जा सकती है।

कॉन्बिनेशन सेट

यह एक बहुउद्देशीय औज़ार है। इसके ब्लेड पर एक सेंटर स्क्वायर हेड, प्रोटेक्टर हेड लगे होते हैं, जो ब्लेड की लंबाई में समजनशील होते हैं। इनके द्वारा किसी जॉब की स्क्वायर नेश तथा कौण नापे जाते हैं।

गेज तथा इंडिकेटर

उत्पादन कार्यों में समय की बचत के लिए निम्नलिखित प्रकार के गेज व इंडिकेटर प्रयोग किए जाते है-

  1. प्लग गेज
  2. रिंग गेज
  3. स्नेप गेज
  4. रेडियस गेज
  5. प्रोफाइल गेज
  6. सेंटर गेज  
  7. रिसीविंग गेज
  8. कैलिपर गेज
  9. ड्रिल गेज
  10. ड्रिल प्वाइंट
  11. फिलर गेज
  12. स्क्रु पिच गेज
  13. एगल गेज
  14. वायर गेज
  15. गेज ब्लॉक
  16. इंडिकेटर गेज
  17. साइन बार

गैज प्रयोग करने के लाभ

  • कम समय में अधिक उत्पादन होता है।
  • गेजों द्वारा बने भागों में अंतपरिवर्तनीय गुण होता हैं।
  • कम कुशल कारीगर भी उत्पादन कर सकता है।
  • गेजों द्वारा बने उत्पाद की लागत कम आती है।
  • उत्पादन में अधिक निरीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
  • कम संख्या में रिजेक्शन होता है।

गेजों का वर्गीकरण 

जॉब कुशलता के अनुसार गेज तीन प्रकार का होता है-

  1. वर्कर गेज- इनका प्रयोग कारीगरों द्वारा होता है।
  2. इंस्पेक्शन गेज- इनका प्रयोग निरीक्षकों द्वारा होता है।
  3. मास्टर या रेफरेंस गेज – इनके द्वारा समय-समय पर गेजों की सत्यता की जांच की जा सकती है।

प्लग गेज 

इस प्रकार के गेजों से सुराखों की जांच की जाती है। यह विभिन्न आकृतियों के नामों के आधार पर पुकारे जाते हैं। इनमे निम्नलिखित प्रकार  मुख्य है-

  1. सिलैंडरिकल प्लग रोज
  2. पेपर फ्लग गेज
  3. थ्रेड प्लग गेज
  4. स्क्वायर प्लग गेज

यह गेट सिंगल एडेड डबल एडेड होते हैं।  इनके सिरों पर GO तथा NOTO GO लिखा होता है। जांच के अंतर्गत ए GO  सीरे की जांच में चला जाना चाहिए तथा NOTO GO को नहीं जाना चाहिए।

सेंटर गैज

इनके द्वारा लेथ मशीन के V  चूड़ी काटने वाले टूल का सही कौण नापा जाता है। इस पर 60 , 55  डिग्री तथा 29 डिग्री का V ग्रुप बना होता है।

फिलर गेज

इसमें विभिन्न मोटाई की पत्तियां एक साथ रिवेट की जाती है। जिन पर उन की मोटाई लिखी जाती है। इन पत्तियों के द्वारा बहुत छोटे गेप  या क्लियायरेन्स नापे जाते हैं।

ड्रिल गेज

यह एक 6*1\2X 2*5\6X 5\ 64 की स्टील का टुकड़ा होता है जिस पर दो या तीन लाइनों में विभिन्न नामों के ड्रिल  होल बने रहते हैं जिन पर उनकी नाप अंकित रहती है। इनके द्वारा उन ड्रीलों के नाम की जानकारी की जाती है जिनकी नाम घिसकर मिट गई हो।

स्क्रु पिच गेज 

यह गेज किसी नट बोल्ट अथवा स्क्रू के 1 इंच में कितनी चौड़ी है जानने के लिए प्रयोग होता है। इनमें दोनों और चूड़ी की संख्या के अनुसार है नाप के खाचे, कटी हुई पत्तियों जुड़ी रहती है जिन पर TPI  लिखा होता है।

वायर गेज

यह स्टील का बना गोल छोटा पहीया जैसा होता है। उसकी प्रीति पर विभिन्न नाप के गोल खाचे से कटे होते हैं जिनके साथ उनकी नाम भी लिखी होती है। इसके द्वारा किसी तार या सीट की मोटाई मापी जाती है। यह SWG  मैं होती है।

सलीम गेज या गेज ब्लॉक

किसी जॉब की परिषद का माप लेने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है।

  1. इसके द्वारा साइन बार के साथ कौण नापे जाते हैं।
  2. इनके द्वारा माइक्रोमीटर तथा वरनियर कैलिपर की सत्यता जाते हैं।

यह तीन श्रेणियों में आते हैं-

वर्कर सलीम गेज

इसकी परी शुद्धता B  श्रेणी 0.00008 डिग्री की होती है।

इंस्पेक्शन सलीम गेज 

इसकी परी शुद्धता A  श्रेणी की 0.00004 की होती है।

मास्टर सलीम गेज

इसकी परी शुद्धता AA   श्रेणी की 0.00002 की होती है। स्लिप गेज टूल स्टील के शुद्ध समतल बनाए जाते हैं। दो गैजों के बीच रोशनी भी पार नहीं हो सकती। इन्हें आपस में जोड़ने पर यह वैक्यूम के कारण चिपक जाते हैं। इन्हें जोड़ने की क्रिया रींगिग एक्शन से होती है। यह आयताकार, वर्गाकार अथवा त्रिभुजाकार होते हैं। यह अलग-अलग टुकड़ों के सेट होते हैं।

डायल टेस्ट इंडिकेटर

यह एक परीशुद्धता सतएच मापक यंत्र है। इसकी परीशुद्धता 00.0001 या 0.0001 मिमी होती है। यह दो प्रकार के होते हैं-

  • बैलेंस डायल टाइप
  • कंटिन्यूस डायल टाइप

इसके द्वारा समतल या गोलाकार सतह को परीशुद्धता  से जाचा जाता है। यह रेक तथा प्लंजर सिद्धांत पर कार्य करते हैं। डायल टेस्ट इंडिकेटर के प्रयोग में निम्नलिखित सावधानी अपनानी चाहिए-

  1. खुरदरी सतह पर नया प्रयोग करें।
  2. इसकी निडील शून्य पर सेट करें।
  3. यइसे झटके के साथ प्रयोग ना करें।
  4. कार्य के अनुसार इसके लिए उपयुक्त जुगाड़ का प्रयोग करें।

टेलीस्कोपिक गेज

इसके द्वारा किसी सुराख, स्लाट, बोर आदि की परीशुद्धता  से जांच की जाती है। यह अलग-अलग नापों में छह के सेट में आते हैं। इसकी मांप पर 7.9  मिमी 150 मिमी तक होती है।

साइन बार

किसी कोण या टेपर की परीशुद्धता  जांच के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह आधार डिग्री या 5 मिनट से भी बहुत अधिक परिशुद्ध माप लेने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके माप लेने के लिए सरफेस प्लेट, गेज ब्लॉक, इंडिकेटर सेट तथा जोब पकड़ने का साधन प्रयोग किया जाता है। यह 100,200,300, मिमी की नाप में आते हैं। यह तीन प्रकार के होते-

  1. अलग टाइप
  2. रोलर टाइप
  3. साइन टेबल टाइप

ट्राई स्क्वायर

इसके द्वारा किसी वर्गाकार अथवा आयताकार जॉब किस तरह किनारों की क्षमता वह संमकोणता जाची जाती है।इसमें 2 भाग L  आकार में जुड़े रहते हैं।

  1. ब्लेड
  2. स्टॉक या बीम
  3. यह तीन प्रकार के होते हैं
  4. सॉलिड ट्राई स्क्वायर
  5. एडजेस्टेबल ट्राई स्क्वायर
  6. डाई मेकर स्ट्राइक  स्कवायरल

टेंप्लेट

बहु उत्पादन में एक जैसे अधिक संख्या में जाबों पर कम समय में मार्किंग के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह प्राय धातु की सीट से बनाई जाती है। इसकी सहायता से कम कुशल कारीगर भी सही मार्किंग कर सकता है।

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