आज इस आर्टिकल में हम आपको मात्रक और मापने वाले यंत्र के बारे में बताने जा रहे है.
मात्रक और मापने वाले यंत्र
हमें किसी भी वस्तु का अनुमान अपने ज्ञान इंद्रियों के द्वारा होता है जैसे आंख से देखकर हम किसी वस्तु के रूप रंग आकार है फैलाव को तथा हाथ से छू कर उसके कठोरपन, ठंडा या गर्म होने का अनुमान लगा सकते हैं। इसी प्रकार हम वस्तुओं के विषय में तुलनात्मक अनुमान लगा सकते हैं परंतु यह आवश्यक नहीं है कि हमारा अनुमान सही हो। अगर दो एक-सी आकृति की वस्तुएं छोटी तथा बहुत बड़ी लेकर देखें, तो आप अवश्य ही ठीक अनुमान लगा सकते हैं कि इन दोनों में कौन सी छोटी तथा कौन सी वस्तु बड़ी है परंतु यदि दोनों वस्तु में लगभग समान आकार की है तो उनमें बिना माप तोल के छोटे बड़े की पहचान करना कठिन है। इसलिए यह बात स्पष्ट है की परिमाणात्मक ज्ञान के लिए माप तोल अति आवश्यक है। हम प्रत्येक राशि की माप तोल के लिए एक मानक मान लेते हैं जिसके आधार पर उस राशि की माप की जाती है। इस मानक को ही मात्रक कहते हैं। इसी के द्वारा हम एक दूसरे के कथन को समझ सकते हैं। यदि हम किसी कारीगर को यह कहे कि हमारी मशीन की लंबाई 5 छड़ी हो तो यहां यह बात लागू होती है की मशीन बनाने वाले को आप की छड़ी की लंबाई मालूम हो या अपनी और आप की छड़ी के बीच में अनुपात मालूम हो। अन्यथा मशीन की सही लंबाई आवश्यकतानुसार वह नहीं बता सकेगा। अंतः किसी भी राशि के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए दो बातों का ज्ञान होना आवश्यक है।
- मात्रक
- संख्यात्मक मान
मात्रक
मात्रक हम उसे कहते हैं जिसमें वह राशि मापी जाती है.
संख्यात्मक मान
संख्यात्मक मान के अंतर्गत हम उस राशि के परिणाम को प्रदर्शित करते हैं अर्थात यह बताया जाता की उस राशि में उसकी मात्रक कितनी बार सम्मिलित है।
भिन्न भिन्न प्रकार की राशियों की माप के लिए अलग-अलग मात्रकों की आवश्यकता होती है। व्यवहारिक रूप में सभी राशियों के मात्रक लंबाई, भार, समय पर आधारित हैं। यह तीनों मात्रक एक दूसरे से प्राप्त नहीं किए जा सकते। अन्य सभी राशियों जैसे- क्षेत्रफल, आयतन, घनत्व, बल, कार्य, इत्यादि के मात्रक दो या अधिक मूल मात्रकों में व्यक्त किए जा सकते हैं। इन्हें व्यूत्पन्न इकाई कहते हैं। हमारा औद्योगिक कार्य से वास्ता होने के नाते लंबाई, भार तथा समय से अधिक संपर्क रहता है। इसलिए इनके संबंध में मौलिक सिद्धांतों एवं मात्रक पद्धतियों का जाना आवश्यक है जो निम्न प्रकार है-
- FPS सिस्टम
- CGS सिस्टम
- MKS सिस्टम
FPS सिस्टम
इसे ब्रिटिश प्रणाली भी कहा जाता है। इसमें लंबाई, भारत का समय की इकाइयां क्रमश: फूट, पाउंड तथा सेकंड होती है। अंग्रेजों के समय में हमारे देश में यही प्रणाली प्रचलित थी। इस प्रणाली में लंबाई की सबसे बड़ी यूनिट मील होती है।
जिसको निम्न प्रकार बांटा गया है-
- 1 मील = 1760 गज
- 1 गज = 3 फुट
- 1 फूट = 12 इंच
- 1 इंच = 8 सूत
- 1 सूत = 8 चूल
ब्रिटिश प्रणाली में जॉब को मापते समय सूत के अंशों (1\3,1\32,1\64) का प्रयोग अधिक पर किया जाता है जिसका विवरण निम्न प्रकार है-
(A) 8 के अंक के ऊपर जो अंक होता है उतने ही सूत यह माप देती है।
1\8 = 1 सूत, 3\8 = 3 सूत, 5\8 =5 सूत, 7\8 = 7 सूत
1\4 = 2 सूत, 1\2 = 4 सूत, या आधा इंच 3\4 = 6 सूत या पौन
(B) यदि 16 के अक के ऊपर कोई अंक है तो उसे अंक का आधा करने पर सूत में माप प्राप्त हो जाती है। जैसे
1\16 = 1\2 सूत, 3\16 = 1*1\2 सूत, 5\16 = 2*1\2 सूत, 7\16 = 3*1\2 सूत
9\16 = 4*1\2 सूत, 11\16 = 5*1\2 सूत, 13\16 = 6*1\2 सूत, 15\16 = 7*1\2 सूत
(C) यदि 32 के अंक के ऊपर है कोई अंग है तो अंक को 4 से भाग देने पर सूट में मां प्राप्त होती है। जैसे-
1\32 = 11\4 सूत, 3\32 = 3\4 सूत, 5\32 = 1*1\4 सूत (सवा सूत )
9\32 = 2*1\4 (सवा दो सूत ), 15\32 = 3*3\4 सूत (पौने चार सूत ), 23/32 = 5*3/4 सूत (पौने छह: सूत ) ।
(D) यदि 64 के अंक के ऊपर कोई अंक हो तो उस अंक को 8 से भाग करने पर सूट में माप प्राप्त होती है। जैसे-
9\ 64= 1*1/2 सूत , 13/64 = 1*5/8 सूत , 33/64 = 4*1/8 सूत आदि ।
CGS सिस्टम
इस सिस्टम में लंबाई को सेंटीमीटर में, भार ग्राम में तथा समय को सेकंड में मापा जाता है। ये इकाइयां बहुत छोटी होती, इसलिए आजकल अधिकतर MKS प्रणाली का प्रचलन है।
MKS सिस्टम
इस प्रणाली में लंबाई को मीटर, भर को किलोग्राम तथा समय को सेकंड में मापा जाता है। CGS प्रणाली की सभी इकाइयां MKS प्रणाली में समायोजित है। इसमें लंबाई की कई मीटर को पेरिस में 0०C पर रखी एक प्लैटिनम- इरेडियम की छड़ पर है, दोनों सिरों पर बनी चिन्हें के बीच की दूरी के द्वारा मानक बनाया गया है। इस प्रणाली में लंबाई की बड़ी यूनिट किलोमीटर होती है जिसको निम्न प्रकार बांटा गया है:
- 1 किलोमीटर = 10 हेक्टमीटर
- 1 हैक्टामीटर = 10 डेकामीटर
- 1 डेकामीटर = 10 मीटर
- 1 मीटर = 10 डेसीमीटर
- 1 डेसीमीटर = 10 मिलीमीटर
- 1 सेंटीमीटर = 10 मिलीमीटर
कोण को मापने की इकाइयां
कोण को डिग्री में मापा जाता है। इसलिए हम किसी भी वृत्त को 360 डिग्री में विभक्त कर लेते हैं जिसका प्रत्येक भाग 1 डिग्री के बराबर गिना जाता है। तत्पश्चात हर डिग्री को 60 बराबर भागों में विभक्त करके उसके हर भाग को मिनट के नाम से पुकारते हैं। अंत में 1 मिनट के फिर 60 भाग करके उससे होने वाले प्रत्येक भाग को 1 सेकंड का नाम देते हैं।
- 1 वृत्त = 360 डिग्री
- 1 डिग्री = 60 मिनट
- 1 मिनट = 60 सेकंड
कार्यशाला में डिग्री, मिनट तथा सेकंड को प्रदर्शित करने वाला चिन्ह
- डिग्री = (०) ब्रेकीट के अंदर वाला चिन्ह अंक के ऊपर लगाते हैं।
- मिनट = (‘) ब्रेकीट के अंदर वाला चिन्ह अंक के ऊपर लगाते है।
- सेकंड = (“) ब्रैकिट मिनट के अंदर वाला चिन्ह अंक के ऊपर लगाते है।
जैसे – 15 डिग्री 10 मिनट 5 सेकंड को निम्नलिखित विधि से प्रस्तुत करते है (15०-10′-5″ ) ब्रिटिश प्रणाली
ब्रिटिश तथा मीटर प्रणाली मे सम्बंध
ब्रिटिश तथा मीटरी प्रणाली मे लम्बाई की माप मे निम्न संब्नध स्थापित किए जा सकते है –
- 1 इंच = 2.54 सेमी = 25.4 मिमी
- 1 फूट = 30.48 सेमी = 0.3048मी
- 1 गज = 0.914 मी
- 1 सेमी = 0394 इंच
- 1 मी = 39.37 इंच = 1.094 गज
मिमी से इंच तथा इंच से मिमी बनाना
साधारणतया हम मिमी से इंच मे तथा इंच से मिमी माप को बदलने के निम्नलिखित सूत्रों केए प्रयोग करतें है –
- मिमी x 5\127 = इंच या (मिमी माप – 25.4)
- इंच x 127\5 = मिमी या (इंच की माप दशमलव में x 25.4)
तापमान की माप
किसी वस्तु की आंतरिक ऊर्जा की स्थिति को तापमान के रूप में जाना जाता है। यह आंतरिक ऊर्जा ऊष्मा के रूप में वस्तुओं को ट्रांसफर की जाती है। उष्मा की मात्रा के अनुसार उसका तापमान बनता है जिसे थर्मामीटर के द्वारा मापा जाता है। तापमान को मापने को तीन पैमाने होते हैं।
- फारेनहाइट
- सेंटीग्रेड
- रीमर
फारेनहाइट
पानी के हिमांक को 32० F तथा क्वथनांक को 212 F से प्रदर्शित किया जाता है। इसके बीच के तापमान को 180 बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इसे डिग्री फारेनहाइट के द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
सेंटीग्रेड
इस स्केल के अनुसार पानी के हिमांक को 0०C तथा क्वथनांक को 100०C से प्रदर्शित किया गया है। इसमें बीच के भागों को 100 बराबर भागों में बांटा गया है तथा 1 भाग को 1 डिग्री सेल्सियस के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
इन दोनों के संबंध को निम्न फार्मूले के द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है-
F = 9\5 C + 32 या C = 5\9 (F – 32 )
मापक यंत्र
विभिन्न प्रकार के इंजीनियरिंग उत्पादन में वस्तुओं को मापने की आवश्यकता रहती है। इसके लिए आवश्यकतानुसार साधारण यंत्र या सुक्ष्म समय यंत्र प्रयोग में लाए जाते हैं। यहां पर हम साधारण मापक यंत्रो को अध्ययन करेंगे। यह यंत्र तीन प्रकार के होते हैं-
- लंबाई मापने वाले यंत्र
- कोण मापने वाले यंत्र
- तुलना करने वाले यंत्र
लंबाई मापने वाले यंत्र
जॉब की लंबाई के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्र प्रयोग किए जाते हैं। इसके लिए अलग अलग धातुएँ प्रयोग की जाती है तथा इनकी लंबाई भी अलग-अलग होती है। कुछ साधारण यंत्र निम्न प्रकार है-
- रूल
- स्टील रूल
- स्टील ट्रैप
- स्केल
रूल
रूल अधिकतर लकड़ी के प्रयोग किए जाते हैं जिन पर इंचों या सेमी में निशान बने होते हैं। कभी-कभी धातु के रूल भी प्रयोग किए जाते हैं। इनके द्वारा जॉब की लंबाई सूक्ष्मता से नहीं मापी जा सकती। यह दो प्रकार के होते हैं-
- सीधे रूल
- फोल्डिंग रूल
फोल्डिंग रूल 1 मीटर या 2 मीटर तक लंबाई माप सकते हैं। परंतु इन को फोल्ड करके 15 सेंटीमीटर या 30 सेंटीमीटर तक किया जा सकता है। यह भी लकड़ी या किसी अन्य सॉफ्ट धातु के बने होते हैं। इनका प्रयोग अधिकतर कारपेंटर या पैटर्न में कर करते हैं।
स्टील रूल
बहुधा, मापक यंत्र बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील, स्प्रिंग स्टील या हाई कार्बन स्टील का प्रयोग किया जाता है। इन सभी को स्टील रूल कहा जा सकता है। यह कई प्रकार के होते हैं-
- प्लेन स्टील रूल
- स्टैंडर्ड स्टील रूल
- लचीला स्टील रूल
- पतला स्टील रूल
- हुक- रूल
- कैलिपर -रूल
- श्रीक -रूल
- शॉर्ट- रूल
- डेप्थ-रूल
- की-सीटरुल
प्लेन स्टील रूल
ये रूल 6″ या 12″ की लम्बाई के होते है । इनकी चौड़ाई क्रमश: पौन इंच तथा 1 इंच होती है। इन की एक साइड पर इंच तथा दूसरी पर सेमी के चिह्न होते हैं। इनके द्वारा न्यूनतम 1\64 तथा 1\2 मिमी की माप ली जा सकती है। स्टैनलेस स्टील स्प्रिंग स्टील या हाई कार्बन स्टील का बना होता है। स्टील रूल की सूक्ष्मता बनाए रखने के लिए उसके सिरों तथा साइडों को घिसने से बचाए। उसे अन्य कटाई यंत्रों से अलग रखें तथा जब वह उपयोग में न हो, तो उस पर तेल की हल्की प्रत लगाकर रखें। इससे उसे मोर्चों लगाने से बचाया जा सकेगा।
स्टैंडर्ड स्टील रूल
स्टैंडर्ड स्टील रूल भी स्टेनलेस स्टील या स्प्रिंग स्टील का बना होता है। इसकी लंबाई 6″ से 48″ मीटर तक होती है तथा चौड़ाई 3\4″ या 1″ होती है। इसके द्वारा न्यूनतम 1\64 या 0.5 मीमी तक पढ़ा जा सकता है।
लचीला स्टील रूल
वक्र सतहों की लंबाई मापने के लिए लचीला स्टील रूल प्रयोग किया जाता है। यह रोल स्प्रिंग स्टील की पतली पत्ती के द्वारा बनाए जाते हैं जिससे यह किसी भी वक्र सतह पर आसानी से फैल जाते हैं। इसकी चौड़ाई 1\2 (आधा इंच) होती है। लंबाई में यह रूल 6 लंबे या आवश्यकतानुसार होते हैं।
पतला स्टील रूल
स्टैंडर्ड स्टील रूल से इसकी चौड़ाई कम होने के कारण ही इसे पतला स्टील रूल कहते हैं। इसकी चौड़ाई 5 मिमी मात्रा होती है जब की लंबाई 15 सेंटीमीटर या 6 के बराबर होती है। इनका प्रयोग पतली नाली या बंद ड्रिल हुए छेदों की माप लेने में किया जाता है। साधारणत: इनका एक किनारा चिन्हित रहता है। ये रूल इंचों में या सेमी में चिन्हित रहते हैं।
हुक रूल
जिन स्टील रूल के किनारे पर हुक लगा रहता है उन्हें हुक रूल कहते हैं। यह हुक जीरो की तरफ लगा होता है तथा किसी छेद या पाइप के अंदर से किनारे पर आसानी से फंस कर माप लेने में सुविधा प्रदान करता है। इसका प्रयोग इनसाइड कैलिपर्स पर कोई माप लेने के लिए भी किया जाता है। नैरो हुक रूल के द्वारा संकीर्ण जगहों पर भी माप ली जा सकती है।
केलीपर रूल
केलीपर रूल की बनावट ठीक नैरो रूल के समान होती है। इसमें भी साइड पर मार्किंग गई होती है परंतु इसकी चौड़ाई नेरों रुल से अधिक होती है। इसका प्रयोग स्टैंड जॉब की माप के लिए किया जाता है। इसकी न्यूनतम 1\64 माप या 0.5 मिमी होती है।
श्रिंक रूल
इस रूल का प्रयोग पैटर्न मेकर्स द्वारा किया जाता है। इसमें मार्किंग करते समय वास्तविक माप में श्रीन्केज एलाउंस बढ़ा लिया जाता है। सर्वविदित है धातुएं ढलाई के पश्चात ठंडी होने पर श्रिंक होती है, अत: पैटर्न का साइज कुछ बड़ा रखा जाता है। इसके लिए रूम में मार्किंग कुछ प्रतिशत बढ़ा कर रखते हैं जिससे श्रिंक होने के पश्चात सही माप है प्राप्त हो सके। जैसे- कास्ट आयरन के लिए 1% स्टील के लिए 2.1% पीतल, तांबा, एलुमिनियम के लिए 1.6% है।
शॉर्ट रूल
जैसा कि नाम से विदित है शोर्ट रूल में छोटे-छोटे रूल का एक सेट होता है जिसमें 1\4, 3\8, 1\2, 3\4 तथा 1 छोटे छोटे से खेल होते हैं. इसी प्रकार 5 मिमी, 10 मिमी, 15 मिमी 25 मिमी के स्केल मैट्रिल प्रणाली में होती है।, इनका प्रयोग एक विशेष दल के द्वारा अधिक गहराई पर माप लेने के लिए किया जाता है।
डेप्थ-रूल
इस रूल की चौड़ाई बहुत कम होती है जिससे तंग स्थानों पर भी माप ली जा सकती है। गहराई 6 या 15 सेंटीमीटर होती है। इस पर एक स्क्रूयुक्त खिसकने वाला क्लैम्प होता है जिसकी सहायता से ज्ञात की जा सकती है।
की-सीट रूल
यह स्टील रूल एंगल आईरन की आकृति होता है। इसका एक सिरा ढलानदार होता है। जिस पर इंचों के निशान होते हैं। इसका प्रयोग किसी बेलनाकार जॉब पर अक्ष समांतर लाइन खींचने के लिए किया जाता है। (की-वे की मार्किंग के लिए) अक्ष के समांतर लाइन खींचने की आवश्यकता पड़ती है। की-शीट स्केल सॉफ्ट पर स्थिर हो जाता है इसके ढलानदार किनारे से आसानी अक्ष के समांतर लाइन खींची जा सकती है। सभी लाइने अक्ष के समांतर होने के कारण आपस में भी समांतर रहती है।
दो की -सीट कलैम्पो को प्रयोग करके हम स्टैंडर्ड स्टील रूल ही की-सिट रूल का रूप दे सकते हैं।
स्टीम टेप
इसका प्रयोग मुख्यतः लंबी दूरी की माप लेने के लिए किया जाता है। यह 1\2 या 3\4 चौड़ाई तथा 5 फूट की लंबाई में उपलब्ध रहते हैं। इसमें इंच में आठवें स्थान सेमी को दसवें स्थान तक विभाजित किया जाता है। यह स्प्रिंग स्टील की पतली चादर पर प्रिंट करके बनाया जाता है। बहुत अधिक लचीला होने के कारण इसके द्वारा कोई भी प्रोफाइल आसानी से मापी जा सकती है।
स्केल
विभिन्न स्थानों के नक्शे, मकान आदि के नक्शे या मशीनरी या घड़ी पार्ट्स के ड्राइंग कागज का शीट पर बनने के लिए वास्तविक माप को किसी निश्चित अनुपात में कम या अधिक करना होता है जिससे ड्राइंग,कागज की सीमा में आ सके. इसके लिए स्केल प्रयोग किए जाते हैं।
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