मांडया
05
मंडी
15 अप्रैल, 1948
3,950 वर्ग किमी
6 , मंडी, गौहर, जोगिंद्रनगर ,सरकाघाट, सुंदरनगर, करसोग,पंडहार ,लदबोड़ोल ।
07, (बाली चौकी, भाड़ोल, संधोल, पधर, कोटली, बलद्वाड़ा, निहरी, धर्मपुर)
09, (मंडी सदर, रिवालसर, द्र्ग, चोतड़ा, चच्योट, सिराज, धर्मपुर।
09, करसोग (आरक्षित), चच्योट, दरंग, बल्ह, गोपालपुर, जोगिंद्रनगर, धरमपुर, नाचल (आरक्षित), मंडी।
9,99,777
4,98,065
5,01,712
10.89%
1000 : 1012
89.5%
89.5%
73.6%
253 प्रतिवर्ग किलोमीटर
1,12,074
58,486
53,588
1000 : 1012
व्यास नदी के बाएं किनारे पर
मंडी जिला का ऐतिहासिक, संस्कृतिक, आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है.
मंदावया
1527 ई. मेंं
19वें उत्तराधिकारी अजबर सिंह ने
ईश्वर सिंह से
महाराजा रणजीत सिंह ने
राजा बलबीर सिंह ने
1877 ई. मेंं
पत्थर तरासा मंदिर
भूत नाथ, त्रिलोकी नाथ, पंचवकत्रा, श्यामली काली मंदिर है।
छोटी काशी
754 मीटर
पहाड़ी मिट्टी
गेहूं, मक्का, चावल, जौं
व्यास नदी, उहल उप नदी, सतलज नदी।
मरवाह, पाराशर, रिवालसर, कमरू नाग।
तातापानी (सतलज नदी पर)
दुल्ची
पंडोह बांध
सीमेंंट
05, मंडी, नेरचौक, मेंंगल, सेग्लू, रायघाट।
पजानंद गल्लू, शी जोत
गोविंद सागर वन्य जीव विहार, बांदली वन्य जीव विहार, शिकारी देवी वन्य जीव विहार।
शिवरात्रि मेंला, रिवालसर मेंला, मारकंड मेंला।
सलापड़ (व्यास+ सतलज)
त्रिलोकीनाथ मंदिर मंडी मेंं, काली देवी, मंडी का महादेव मंदिर, पंचनाग शिव मंदिर, महामाया मंदिर, सती स्तंभ, बाबाकोट मंदिर, बाबा भूतनाथ मंदिर।
1909 मेंं
वजीर जीवानंद पाधा के
मंडी मेंं 24 किलोमीटर दूर तक है यह हिंदुओं, सीखो और बौद्धो के लिए समान रूप से पवित्र है। इस स्थान से बोधगुरु पदम संभव तिब्बत मेंं बौद्ध मत का प्रचार करने के लिए गए थे। इस स्थान पर बैठकर लोमश ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि को सात तैरते टापू वरदान के रूप मेंं दिए थे। इसी स्थान पर गुरु गोविंद सिंह द्वारा निर्मित गुरुद्वारा भी है। जिसे नए बौद्ध मत की स्थापना बोध शिक्षक पदसंभव ने की थी। वह भूटान देश का राज्य धर्म है। पवित्र रिवालसर झील के समीप तैरने वाले टापू के अतिरिक्त गोम्पा, गुरुद्वारा और मंदिर भी है।
मंडी के उत्तर-पूर्व मेंं 40 किलोमीटर दूर पर प्रसिद्ध प्राशर मंदिर है। यह मंदिर 2739 मीटर उंची कपनुमां पहाड़ी पर स्थित झील के निकट तट पर बना है। यह मंदिर गुम्बदाकार तीन मंजिला है, जो दर्शकों का मन मोह लेता है।
पंडोह नामक स्थान पर व्यास नदी पर 61 मीटर ऊंचा मिट्टी एवं पत्थरों का बांध बनाया गया है। यहां से व्यास नदी का पानी 13.16 किलोमीटर लंबी सुरंग द्वारा सतलज नदी मेंं डाला जाता है.
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