बाबर
इब्राहिम लोदी
अकबर
शेख मुबारक
विसेंट स्मिथ
कैप्टन विलियम हाकिंस
मनूची
पंचमहल
शिवाजी और बीजापुर के सुल्तान के बीच विवाद के बीज बोना
भारत का प्रथम मुग़ल बादशाह बाबर था इसने पानीपत के प्रथम युद्ध (1526 ई.) इब्राहिम लोदी को पराजित कर मुग़ल साम्राज्य की नींव डाली
1526
बाबर ने तुजुक-ए-बाबरी (बाबरनामा) नामक अपना सस्मरण मूलत: तुर्की भाषा में लिखा था इसमें भारत में मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर के जीवन की घटनाओं का उल्लेख किया गया है इस पुस्तक में बाबर ने भारत की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक व भौगोलिक स्थिति का वर्णन किया है.
पानीपत की प्रथम लडाई के बाद भारत में मुग़ल शासन की नींव पड़ी यह युद्ध 21 अप्रैल, 1526 को बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच हुआ था, जिसमें इब्राहिम लोदी की पराजय हुई और बाबरने दिल्ली पर अधिकार कर मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की इस युद्ध में बाबर ने पहली बार प्रसिद्ध ‘तुलगमा युद्ध नीति’ का प्रयोग किया था.
भारत में सबसे पहले तोपखाने का प्रयोग बाबर ने किया था बाबर ने मुग़ल वंश की स्थापना की थी बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खां लोदी एवं मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने दिया था बाबर ने भारत पर पांच बार आक्रमण किया था बाबर को ‘मुबइयां’ नामक पद्य शैली का जन्मदाता माना जाता है इसे ‘कलंदर’ की उपाधि दी गयी थी.
खानवा का युद्ध 17 मार्च, 1527 को मुगल शासक बाबर एवं मेवाड़ के राजा राणा सांगा के मध्य हुआ था इसी युद्ध में बाबर ने ‘जिहाद’ का नारा दिया था
बाबर की मृत्यु 26 दिसंबर, 1530 को आगरा में हुई थी प्रारम्भ में उसे नूर अफगान (आधुनिक आरामबाग) बाग़ में दफनाया गया था परंतु बाद में उसे काबुल में उसी के द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया
दिल्ली में पुराना किला का निर्माण हुमायूं द्वारा 1533 से 1538 ई. के मध्य करवाया गया था शेरशाह द्वारा दिल्ली पर अधिकार करने के बाद इस किले में कई स्मारकों का निर्माण करवाया गया तथा इस किले का नाम ‘शेरगढ़’ कर दिया गया
चौसा युद्ध (1539 ई.) में हुमायूं को पराजित करने के बाद शेर खान ने शेरशाह की उपाधि धारण की जबकि पिछले 1540 ई. में हुमायूं को कन्नौज (बिलग्राम) के युद्ध में परास्त दिल्ली का सिंहासन प्राप्त किया इसके पश्चात हुमायूं को विवश होकर निर्वासित की भांति इधर-उधर भटकना पड़ा 22 जून, 1555 को सरहिंद युद्ध की विजय ने हुमायूं को एक बार पुन: उसका खोया राज्य वापस दिला दिया
कन्नौज
1540
दिल्ली में हुमायूं का मकबरा हुमायूं की प्रिय पत्नी हाजी बेगम ने बनवाया था इस का वास्तुकार भी मीरन मिर्जा गियास था मकबरे के चारों और बगीचे का निर्माण इस मकबरे की विशेषता है
मेधावी राजस्व अधिकारी टोडरमल अकबर की सेवा से पहले शेरशाह के अधीन नौकरी करते थे
हुमायूं के मृत्यु के समय अकबर पंजाब में ‘कलानौर’ नामक स्थान पर अफगान विद्रोहियों के खिलाफ युद्धरत मुगलिया फौज की कमान संभाले हुए ‘कलानौर’ में ही मात्र 13 साल 4 महीने की उम्र में उसके सिर पर मुगलिया वंश का ताज रख दिया गया
अकबर के आदेश से महाभारत के विभिन्न भागों का फारसी में रज्मनामा नाम से अनुवाद अब्दुल कादिर बदायूनी नकीब खां फैजी अबुल फजल एवं शेख सुल्तान ने किया था
रामायण का फारसी में अनुवाद 1589 ई. में अब्दुल कादिर बदायूनी ने किया था बदायूनी अकबर के महत्वपूर्ण दरबारी इतिहासकारों में से एक था वह बदायूं का रहने वाला था उसने ‘मुन्खब-उल-तवारीख’ नामक ग्रंथ की रचना की वह एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था अंत: उसने प्रत्येक चीज को शरा के तराजू पर तौला
अबुल फजल, मुगल सम्राट अकबर के प्रधानमंत्री एवं उनके दरबार के नौ-रत्नों में से एक थे इन्होंने अकबरनामा नामक पुस्तक की रचना की यह पुस्तक तीन खंडों में विभक्त है तथा इसका अंतिम व तीसरा खंड आइने अकबरी है अबुल फजल ने पंचतंत्र का फारसी अनुवाद अनुवार-ए-सुहैली के नाम से किया था
हरिविजय सूरि नामक प्रसिद्ध जैन विद्वान का अकबर बहुत सम्मान करता था हरिविजय सूरि को अकबर द्वारा ‘जगतगुरु की उपाधि दी गई थी
दीन-ए-इलाही बनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वबंधुत्व था
अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने अकबर की प्रेरणा से ‘अकबरनामा’ नामक ग्रंथ की रचना की, यह ग्रंथ तीन खंडों में विभक्त है आईने-अकबरी इस ग्रंथ का तीसरा खंड है?
अबुल फजल
हल्दीघाटी की प्रसिद्ध लड़ाई 1576 ई. में मेवाड़ के शासक राणा प्रताप और अकबर की सेनाओं के मध्य हुई थी इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह और आसफ खान ने किया था इसका परिणाम मुगल सेना के पक्ष में रहा था राणा प्रताप को स्वयं को सुरक्षित रखने हेतु समीप की पहाड़ियों में शरण लेनी पड़ी थी
मुगल प्रशासन व्यवस्था पूर्णत: मनसबदारी प्रथा पर आधारित था इसे अकबर ने प्रारंभ किया था इस प्रथा के अंतर्गत उन व्यक्तियों को सम्राट द्वारा एक पद प्रदान किया जाता था, जो शाही सेना में होते थे दिए जाने वाले पद को मनसब एवं ग्रहण करने वाले व्यक्ति को मनसबदार कहा जाता था अकबर की मनसबदारी व्यवस्था मंगोल नेता चंगेज खान की दशमलव प्रणाली पर आधारित थी
अकबर
अकबर
पंचमहल, सलीम चिश्ती का मकबरा और मरियम-उज-जमानी महल फतेहपुर सीकरी में अवस्थित है, जबकि मोती मस्जिद दिल्ली तथा आगरा के किले में अवस्थित है
अकबर की धार्मिक और आध्यात्मिक रूचि के परिणाम स्वरुप फतेहपुर सीकरी में खाना आराधना ग्रह की स्थापना की गई आदत खाने में उसकी धार्मिक राय गुरुवार को साईं काल होती थी 1575 ई. में उसने बाद खाने को धर्म संसद में परिवर्तित कर दिया प्रारंभ में यह केवल मुसलमानों तक सीमित था बाद में उसने हिंदुओं जैनियों पारसियों तथा ईसाइयों के लिए भी खोल दिया
प्रयाग नगर को अलाहाबाद-अल्लाह का नगर नाम मुगल शासक अकबर ने दिया यहां अकबर ने गंगा-यमुना के तट पर एक किले का निर्माण कराया ‘जिसे इलाहाबाद का किला कहते हैं
अकबर के आरंभिक दिनों में उसका संरक्षण या रीजेंट बैरम खान था पानीपत के द्वितीय युद्ध 1556 ई. में बैरम खान के नेतृत्व में ही मुगल सेना ने हेमू के नेतृत्व वाली अफगान सेना को हराया था वस्तुतः वह 1556 से 1560 ई. तक मुगल साम्राज्य का वास्तविक कर्ता-धर्ता बना रहा
बैरम खान
मुगल सम्राट अकबर ने 1564 में जजिया कर समाप्त कर दिया अकबर ने 1562 में दास प्रथा तथा 1563 में तीर्थ यात्रा कर लेना भी बंद कर दिया 1679 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने जजिया देना पुन: प्रारंभ कर दिया
जब्ती प्रणाली के अंतर्गत वास्तविक उत्पादन का एक तिहाई अंश राज्य की मांग के रूप में निर्धारित किया गया था अकबर ने अपने शासक के 24वें वर्ष 1580 ई. में आईने दहशाला (टोडरमल बंदोबस्त) नामक नई कर प्रणाली का प्रारंभ कर, मुगलकालीन राजस्व व्यवस्था को स्थायी स्वरूप प्रदान किया
अकबर का प्रसिद्ध राजस्व मंत्री टोडरमल था
अकबर के दरबार में सबसे प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन का संबंध हिंदू, गौंड, ब्राह्मण, परिवार से था तानसेन के पिता का नाम मुकुंद पांडे था इनका गांव मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में था तानसेन के बचपन का नाम रामतनु पांडे था
दीन-ए-इलाही नामक एक नया धर्म अकबर द्वारा शुरू किया गया था इसके प्रथम अनुयायी बीरबल थे सभी धर्मों के सार-संग्रह के रूप में अकबर द्वारा 1582 ई. में दीन-ए-इलाही (देवीय एकेश्वरवाद) का प्रवर्तन किया गया अबुल फजल इसका प्रधान पुरोहित था
राजा बीरबल
बीरबल
मुगल शासकों में से केवल अकबर ही निरक्षर था, जबकि जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब शिक्षित शासक थे
मुगल सम्राट अकबर को हिंदी गीतों की रचना का श्रेय दिया जाता है कहा जाता है कि वह राय करन के छद्म नाम से हिंदी गीतों की रचना करता था
जब ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन 13 दिसंबर 1600 ई. को रानी एलिज़ाबेथ प्रथम के समय हुआ था उस समय भारत का मुगल बादशाह अकबर था
राम भक्ति शाखा के कवि तुलसीदास ने अकबर के साथ में 1574 ई. संवत 1631 में रामचरितमानस की रचना आरंभ की थी मुगल शासक अकबर का शासनकाल 1556 ई. से 1605 ई. तक था.
अकबर
जहांगीर का शाब्दिक अर्थ विश्व विजेता होता है अकबर के पुत्र सलीम ने 1605 ई. में बादशाह बनने पर नूरूउद्दीन मुहम्मद जहांगीर बादशाह गाजी की उपाधि धारण की थी
बाबर और जहांगीर ने अपनी आत्मकथा लिखी थी बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा बाबरनामा की रचना तथा जहांगीर ने फारसी भाषा में तुजुक-ए-जहांगीरी लिखी जहांगीर के शासन के 16 वर्षों के बाद का इतिहास मौतमिद खान ने लिखा था
मुगल सम्राटों में जहांगीर के समय में चित्रकारी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंची थी जहां गिरने है रात के चित्रकार अकारी जा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्र चित्रण साला की स्थापना की थी जहांगीर के समय में के प्रमुख चित्रकार थे दौलत मनोहर फारुख देव बिशन दास अबुल फजल एवं मंसूर
विलियम हॉकिंस, जहांगीर के दरबार में ब्रिटिश राजा जेम्स प्रथम का राजदूत था यह साईं दरबार में 1608 से 1611 ई. 3 वर्ष तक रहा सम्राट जहाँगीर ने उसे 400 का मनसब प्रदान किया था
लोक कल्याण के कार्यों से संबंधित 12 आदेशों की घोषणा जहांगीर ने करवाई इस में शराब एवं अन्य मादक पदार्थों की बिक्री है निर्माण पर प्रतिबंध लगाया
मुगल बादशाह शाहजहां ने मुगल साम्राज्य की राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की थी इसने अपने नाम पर एक नवीन राजधानी शाहजहानाबाद की दिल्ली में नींव डाली नवनिर्मित नगर का प्रमुख आकर्षक लाल किला के नाम से प्रसिद्ध महल-दुर्ग था
फरसी आक्रमक नादिरशाह ने उत्तर कालीन मुगल शासक मोहम्मद शाह रंगीला के शासनकाल में 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया था वह अपने साथ साझा का प्रसिद्ध तक ऐसा टाउंसविले गया था
दिल्ली के लाल किले में निर्मित ‘दीवाने आम’ में इसके पीछे की दीवार में बने एक कोष्ठ में विश्व प्रसिद्ध ‘तख़्त-ए-ताउस’ रखा जाता था
मोती मस्जिद, आगरा के किले में अवस्थित है इसका निर्माण शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था दिल्ली के लाल किले में अवस्थित मोती मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था
मुगल शासक औरंगजेब को धार्मिक रूप से असहिष्णु माना जाता है उसने संगीत और नृत्य पर प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि शरीयत में संगीत को बुरा माना जाता है
औरंगजेब की मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी के युद्ध में 63 वर्षीय मोहम्मद विजय रहा और बादशाह के नाम में भारत का सम्राट बना उसे साहब एक बार भी कहा जाता है
मुगल शासकों के दरबारी अथवा राजभाषा ‘फारसी’ थी
भारत में बीबी का मकबरा महाराष्ट्र राज्य के औरंगजेब में अवस्थित है इस मकबरे का निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा अपनी पहली पत्नी दिलरास बानो बेगम (रबिया-उद-दौरानी) की याद में 17वीं शताब्दी में करवाया गया था इसे ताजमहल की नकल भी माना जाता है.
समुद्र तल से 171 मीटर ऊंचाई पर अवस्थित ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में आगरा में करवाया था 1653 ई. में बनकर तैयार हुए मकबरे का रूपांकन वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी ने किया था यह मुग़ल वास्तु शैली में निर्मित है.
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