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प्राथमिक उपचार से जुडी जानकारी

दुर्घटना होने पर निम्नलिखित प्राथमिक उपचार का ध्यान रखें।

  • रोगी की पीड़ा, चोट व अन्य दशा को देखकर घबराना नहीं चाहिए।
  • रोगी को निरीक्षण कर पता करें कि उसे कैसा व कहां कष्ट है।
  • खून बहने की दशा में खून बंद करने पूर्व यह देख ले की नाड़ियों में खून का बहाव किस ओर है।
  • रोगी को यथाशीघ्र दुर्घटना स्थल से हटा ले।
  • रोगी के पास भीड़ न होने दें।
  • शीघ्र चिकित्सक को सूचित करें।
  • दुर्घटना के प्रमाण नष्ट ना करें।

कार्यशाला में प्राथमिक उपचार के लिए निम्नलिखित सामग्री रखनी चाहिए-

  1. टिंचर आयोडीन
  2. टिंचर बेंजीन
  3. मरक्यूरोक्रोम
  4. डिटोल
  5. बरनौल
  6. मूर्च्छा दूर करने की दवा
  7. दर्दनाशक दवा
  8. तिकोनी व गोल पट्टी
  9. कपड़ा
  10. रुई
  11. कैंची चाकू सेफ्टी पिन
  12. कच्चा प्लास्टर
  13. लकड़ी के छोटे पट्टे
  14. दवा देने का नपना गिलास
  15. आँख धोने का गिलास
  16. ड्रॉपर
  17. स्ट्रेचर आदि।
  18. पोटेशियम परमैंगनेट
  19. सोडाबाई कार्बोनेट।
  20. स्प्रिट अमोनिया

घाव

चोट से बने घाव से रिसने वाले खून को पहले रोकने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए घाव कीटाणु रोधक दवा से धोकर, घाव पर स्प्रीट भिगोकर लगानी चाहिए। फिर बोरिक पाउडर लगाना चाहिए,

खून बहना

चोट लगने या कटनी आदि से खून का रिसाव हो रहा है तो खून बहने वाले स्थान पर ठंडे पानी की पट्टी या बर्फ रखने से खून का रिसाव रुक जाता है। यदि ऊपरी घाव से खून का रिसाव है तो उस स्थान को दबा देते हैं जिसमें घाव से खून का रिसाव रुक जाता है।

मोच आना

हाथ या पैर में मोच आ गई और व्यक्ति को अधिक दर्द हो तो मोच के स्थान पर बार- बार ठंडे पानी या बर्फ का लेप लगा के रखना चाहिए जिससे दर्द कम हो जाता है।

जलाना

शरीर का कोई भाग जल गया हो तो जले स्थान को साफ कपड़े और रूई से ढक देना चाहिए। जलने वाले स्थान पर यदि छाले हो, तो उन्हें छोड़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

आंख की चोट

आंख अति कोमल होती है। यदि एक आंख में कुछ पड़ जाए तो उसके बाद वाली दूसरी आख को मलना चाहिए जिसमें आंख में पानी आ जाए और वस्तु खुलकर बाहर निकल जाए।

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