प्रकाश किसे कहते हैं? प्रकाश की किरण किसे कहते हैं?
- प्रकाश- उर्जा का वह स्वरूप है जो हमें स्वयं दिखाई ना दे, बल्कि दूसरी वस्तुओं को दिखाने में सहायक हो, प्रकाश कहलाता है।
- प्रकाश किरण- प्रकाश जिस सरल रेखा में गमन करता है, उसे प्रकाश किरण कहते हैं। प्रकाश की किरण की तीर के निशान द्वारा अंकित किया जाता है।
प्रकाश से संबंधित विभिन्न परीघटनाओं के नाम दें?
- तारों का टिमटिमाना,
- आसमान का रंग नीला दिखाई देना,
- इंद्रधनुष के सुंदर रंग,
- दर्पण तथा लेंसों के द्वारा प्रतिबिंब बनना।
पारदर्शक तथा अपार दर्शक माध्यमों के बीच अंतर करें?
पारदर्शक माध्यम | अपारदर्शक माध्यम |
माध्यम जिसमें से प्रकाश सरलता पूर्वक गमन कर सकता है, पारदर्शक माध्यम कहलाता है। | माध्यम जिसमें जयप्रकाश सरलता पूर्वक गमन नहीं कर सकता, अपारदर्शक कहलाता है। |
ऐसे माध्यमों में प्रकाश का अपवर्तन होता है। | ऐसे माध्यमों से प्रकाश का परावर्तन तथा अवशोषण होता है। |
हम उनके आर-पार देख सकते हैं। उदाहरण- कांच, जल, वायु। | हम इनके आर-पार नहीं देख सकते। उदाहरण- लकड़ी, धातुएँ, तेलीय कागज, बटर पेपर। |
प्रकाश की प्रकृति क्या है?
- प्रकाश को तरंग के रूप में माना जाता है। इन तरंगों की प्रकृति वैद्युत चुंबकीय होती है।
- प्रकाश कणों की धारा के रूप में भी व्यवहार करता है।
प्रकाश के क्वांटम सिद्धांत के अनुसार प्रकाश क्या है?
प्रकाश के क्वांटम सिद्धांत के अनुसार प्रकाश न तो तरंग है और ना ही कण के रूप में है। यह सिद्धांत प्रकाश के तरंग कणकीय गुणों को सम्मिलित करता है। इसका अर्थ यह है कि प्रकाश एक ही समय तरंगे या कणों के रूप में व्यवहार कर सकता है।
प्रकाश विवर्तन किसे कहते हैं?
यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु काफी छोटी हो तो प्रकाश सरल रेखा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मुड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है। इस प्रभाव को प्रकाश विवर्तन कहते हैं। विवर्तन प्रक्रिया की व्याख्या करने के लिए प्रकाश को तरंग के रूप में माना जाता है।
प्रकाश परावर्तन व प्रकाश अपवर्तन को परिभाषित करें?
- प्रकाश परावर्तन- प्रकाश का किसी चमकदार धरातल (दर्पण) से टकराकर उसी माध्यम से लौटना, प्रकाश परावर्तन कहलाता है।
- प्रकाश अपवर्तन- प्रकाश जब एक पारदर्शक माध्यम से दूसरे पारदर्शक माध्यम में गमन करता है तो अपने मूल पथ से विचलित हो जाता है, जिसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन के बीच अंतर करें?
प्रकाश परावर्तन | प्रकाश अपवर्तन |
प्रकाश का किसी चमकदार पल जैसे दर्पण से टकराकर उसी माध्यम में वापस आना प्रकाश परावर्तन कहलाता है। | प्रकाश का एक पारदर्शक माध्यम से दूसरे पारदर्शक माध्यम में जाने पर अपने पथ से विचलित हो जाना प्रकाश अपवर्तन कहलाता। |
इस में प्रकाश की चाल में कोई परिवर्तन नहीं होता है। | यह प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण से होता है। |
इसके लिए दो माध्यमों के एक सेट की आवश्यकता नहीं है। | इसके लिए दो माध्यमों जिनका प्रकाशिक घनत्व भिन्न हो, कि आवश्यकता होती है। |
एक समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब के गुणों की सूची बनाइए?
- प्रतिबिंब सदैव आभासी होता है।
- प्रतिबिंब सदैव सीधा होता है।
- प्रतिबिंब का आकार बिंब/वस्तु के आकार के समान होता है।
- दर्पण से प्रतिबिंब की दूरी सदैव दर्पण की वस्तु से दूरी के समान होती है।
- प्रतिबिंब पार्श्व परिवर्तित होता है।
गोलीय दर्पण किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं?
गोलीय दर्पण- ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलिय होता है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं। चमकदार चम्मच का पृष्ठ एक गोलीय दर्पण का उदाहरण है।
गोलीय दर्पण प्राय: दो प्रकार का होता है- उत्तल गोलीय दर्पण, अवतल गोलीय दर्पण।
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण के बीच अंतर करें?
उत्तल दर्पण | अवतल दर्पण |
एक गोलीय दर्पण जिसका बाहर की ओर का वक्रतल परावर्तक तल होता है, उत्तल दर्पण कहलाता है। | एक गोलीय दर्पण जीत का परावर्तक तल अंदर की ओर वक्र होता है, अवतल दर्पण कहलाता है। |
यह सदैव आभासी प्रतिबिंब बनाता है। | यह अधिकतर वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। जब वस्तु के दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच होती है, केवल तभी आभासी प्रतिबिंब बनता है। |
यह प्रकाश की किरणों को अपसरीत करता है। | यह प्रकाश की किरणों को अभिसरितत करता है। |
प्रतिबिंब किस प्रकार बनते हैं? अथवा प्रतिबिंब की स्थिति का पता लगाने के लिए हमें कौन सी किरणों के विषय में विचार करना चाहिए?
कम से कम दो परावर्तित प्रकाश किरणों के एक बिंदु पर मिलने (काटने) से किसी बिंब के प्रतिबिंब की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
- अवतल दर्पण के लिए, प्रकाश की जो किरणें मुख्य अक्ष के समांतर होती है वे प्रवर्धन के पश्चात मुख्य फोकस में से गुजरेगी।
- उत्तल दर्पण के लिए, यह मुख्य फोकस में से अपसरितत होती हुई प्रतीत होती है।
- प्रकाश कि वे किरणे जो मुख्य फोकस में से गुजरती है।
- परावर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है।
- प्रकाश की किरणें जो वक्रता केंद्र में से गुजरती है, परावर्तन के पश्चात अपने पथ पर वापस आ जाती है।
- आपकी तथा परावर्तित किरण, परावर्तन के नियमों का पालन करेगी।
अवतल दर्पण ओं के चार उपयोग लिखे?
- इनका उपयोग प्रवर्तक के रूप में टॉर्च में, सर्च लाइट से में तथा वाहनों की हेडलाइट में समानांतर प्रकाश पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
- बड़े आकार के अवतल दर्पण का उपयोग सौर भट्टी में सौर ऊर्जा को एक बिंदु पर केंद्रित करके उच्च ताप प्राप्त किया जाता है।
- इनका उपयोग सामान्यतया सेविंग दर्पण के रूप में होता है।
- इन्हें शल्य चिकित्सक शरीर के अंगों को देखने के लिए करते हैं।
उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब के गुणों की सूची बनाइए?
- इनके द्वारा बना प्रतिबिंब आकार में छोटा होता है।
- इनके द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी होता है।
- इनके द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव सीधा होता है।
- प्रतिबिंब सदैव दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच बनता है।
उत्तल दर्पण के दो उपयोगों की सूची दें?
- इन्हें समानता पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वाहनों में प्रयोग किया जाता है।
- इनका उपयोग सूक्ष्म दर्शी में प्रवर्तक के रूप में होता है।
वाहनों के साइड में अवतल दर्पण की अपेक्षा उत्तल दर्पण क्यों लगे होते हैं?
- क्योंकि इससे चालक को पीछे से आने वाले वाहनों को देखने में सुविधा रहती है।
- वै सदैव व आकार में छोटा प्रतिबिंब बनाते हैं।
- क्योंकि वे बाहर की ओर वक्र होते हैं, इसलिए बड़े क्षेत्र को देखा जा सकता है।
- यह सब किसी समतल या अवतल दर्पण के द्वारा संभव नहीं है।
अवतल तथा उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब किस प्रकार भिन्न होते हैं?
अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब | उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब |
अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब अधिकतर वास्तविक होते हैं। | उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब सदैव आवासी होते हैं। |
आवर्धित, वास्तविक तथा आभासी प्रतिबिंब प्राप्त किए जा सकते हैं। | इसके द्वारा बने प्रतिबिंब सदैव सीधे तथा आकार में छोटे होते हैं। |
समान्यत: प्रतिबिंब, बिंब की ओर ही बनते हैं। | प्रतिबिंब केवल दर्पण के पीछे ही बनते हैं। |
नई कार्तीय चिहन परिपाटी की सूची दें। जिन्हें गोलीय दर्पण द्वारा परावर्तन के लिए प्रयोग किया जाता है।
- बिंब को सदैव दर्पण के बाई और रखा जाता है।
- सभी दूरियां दर्पण के ध्रुव से तथा मुख्य अक्ष के समांतर मापी जाती है।
- प्रकाश किरण की दिशा में मापी गई दूरियां धनात्मक ली जाती है तथा उनके विपरीत पर जाने वाली दूरियां ऋणत्माक ली जाती है।
- दूरियां जो मुख्य अक्ष के ऊपर की ओर तथा लंबवत मापी जाती है, उन्हें धनात्मक लिया जाता है।
- दूरियां दो मुख्य अक्ष के नीचे की ओर तथा लंबवत मापी जाती है, उन्हें ऋणात्मक लिया जाता है।
नोट – लेंसों के लिए गोलीय दर्पण जैसी ही चिह्न परिपाटी अपनाई जाती है। दर्पण में दूरी ध्रुव से व नसों में यही दूरियां प्रकाशीय केंद्र से मापी जाती है। उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक और अवतल दर्पण में ऋणत्मक होती है।
आवर्धन के मान के साथ है धनात्मक (+) तथा ऋणत्मक चिह्न (-) का क्या अर्थ है?
- आवर्धन के मान के साथ ऋणात्मक (-) दर्शाता है कि प्रतिबिंब वास्तविक है।
- आवर्धन के मान के साथ है धनात्मक चिह्न (+) प्रदर्शित करता है कि प्रतिबिंब आभासी है।
एक तालिका बनाइए जिसमें वस्तु की स्थिति, प्रतिबिंब की स्थिति, प्रतिबिंब का आकार तथा प्रतिबिंब की प्रकृति बिंब की विभिन्न तिथियों के लिए दर्शाई गई हो।
सारणी- किसी अवतल दर्पण द्वारा बिंब की विभिन्न अतिथियों के लिए बने प्रतिबिंब-
बिंब की स्थिति | प्रतिबिंब की स्थिति | प्रतिबिंब का आकार | प्रतिबिंब की प्रकृति |
अनंत पर | फोकस F पर | अत्यधिक छोटा, बिंदु के आकार का | वास्तविक एवं उल्टा |
C से परे | F तथा C के बीच | छोटा | वास्तविक एवं उल्टा |
C पर | C पर | समान आकार का | वास्तविक एवं उल्टा |
C तथा F के बीच | C से परे | आवर्धित (बड़ा) | वास्तविक एवं उल्टा |
F पर | अनंत पर | अत्याधिक आवर्धित | वास्तविक एवं उल्टा |
P तथा F के बीच | दर्पण के पीछे | आवर्धित (बड़ा) | आभासी तथा सीधा |
उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की आकृति, स्थिति तथा आकार को तालिका बंद कीजिए।
सारणी- उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति तथा अपेक्षित आकार
बिंब की स्थिति | प्रतिबिंब की स्थिति | प्रतिबिंब का आकार | प्रतिबिंब की प्रकृति |
अनंत पर | फोकस F पर दर्पण के पीछे | अत्यधिक छोटा, बिंदु के आकार का | आवासी तथा सीधा |
अनंत तथा दर्पण केई धुर्व P के बीच। | P तथा F के बीच दर्पण के पीछे | छोटा | आभासी तथा सीधा |
उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब के 2 लक्षणों की सूची दें?
- उत्तल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी, सीधा तथा आकार में छोटा होता है।
- प्रतिबिंब सदैव दर्पण के पीछे फोकस (F) तथा दर्पण के ध्रुव(P) के बीच बनता है।
प्रकाश अपवर्तन के कारण होने वाली 4 प्रघटनाओं के उदाहरण दें?
- पानी से भरे किसी तालाब/एक कत्ल ऊपर की ओर उठा हुआ प्रतीत होता है।
- जब किसी छपे/लिखे हुए कागज पर कांच की शिलापट्टी रखते हैं तो कांच की शिला में से देखने पर अक्सर ऊपर उठे हुए दिखाई देते हैं।
- जब पानी से भरे किसी गिलास/कप में एक कैंसिल कोटडी करके रखते हैं, तो वायु तथा पानी के बीच की रेखा पर पेंसिल टूटी हुई दिखाई देती है।
- किसी कांच के बर्तन में पानी रखा नींबू साइड में देखने की अपेक्षा ऊपर से देखने पर मोटा प्रतीत होता है
अपवर्तन के नियम लिखिए?
- आपतित किरण, अपरिवर्तित किरण तथा अभिलंब, दोनों पारदर्शक माध्यमों के पृथकरण में आपतन बिंदु पर सभी एक ही पल में होते हैं।
- प्रकाश के किसी दिए गए रंग के लिए तथा माध्यमों के युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या तथा अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात स्थिरांक होता है। इस नियम को स्नेल अपवर्तन का नियम कहते हैं।
अवतल तथा उत्तल लेंस के बीच अंतर करें?
उत्तल लेंस | अवतल लेंस |
यह लेंस बीच में से मोटा तथा किनारों से पतला होता है। | यह लेंस बीच/केंद्र में से पतला तथा किनारों से मोटा होता है। |
यह प्रकाश किरणों को एक बिंदु पर अभीसारीत कर देता है. | यह प्रकाश की किरणों को अपसरीत कर देता है इसलिए इसे अपसारी लेंस भी कहते हैं। |
यह अधिकतर वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब बनता है। | यह केवल आवासी तथा सीधा प्रतिबिंब बनता है। |
इसे आवर्धक लेंस के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। | इसे आवर्धक लेंस के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है। |
लेंस के संबंध में निम्नलिखित शब्दों को परिभाषित करें- वक्रता केंद्र, प्रकाशिक केंद्र, मुख्य अक्ष।
- वक्रता केंद्र– उस गोले का केंद्र जिसका की लेंस एक भाग होता है, वक्रता केंद्र कहलाता है।
- प्रकाशिक केंद्र – लेंस का केंद्र जिसमें से गुजरने वाली प्रकाश की किरणों का अपवर्तन नहीं होता, किरण ने अपने पथ से विचलित नहीं होती, वक्रता केंद्र कहलाता है।
- मुख्य अक्ष– वह काल्पनिक रेखा जो प्रकाशिक केंद्र तथा वक्रता केंद्र को मिलाती है, मुख्य अक्ष कहलाती है।
लेंस के संदर्भ में निम्नलिखित शब्दों को परिभाषित करें-
मुख्य फोकस, फोकस दूरी तथा द्वारक
- मुख्य फोकस – मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली प्रकाश की किरणें लेंस से अपवर्तन के पश्चात जिस बिंदु पर मिलती है. (उत्तल लेंस) या मिलती हुई प्रतीत होती है, मुख्य फोकस कहलाता है।
- फोकस दूरी- लेंस के मुख्य फोकस तथा प्रकाश केंद्र के बीच की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं।
- द्वारक- गोलीय लेंस की गोल बाह्रा रेखा का प्रभावी व्यास, द्वारक कहलाता है।
किसी उत्तल तथा अवतल लेंस के मुख्य फोकस में अंतर कीजिए?
- उत्तल लेंस का मुख्य फोकस – प्रकाश की किरणें जो मुख्य अक्ष के समांतर आती है, उत्तल लेंस से अपवर्तन के पश्चात है, मुख्य एक अक्ष पर स्थित एक बिंदु पर मिलती है, यह बिंदु उत्तल लेंस का मुख्य फोकस कहलाता है।
- अवतल लेंस का मुख्य फोकस – मुख्य अक्ष के समान अंतर आने वाली प्रकाश की किरणें जब अवतल लेंस में परिवर्तित होकर आती है, तो वे मुख्य अक्ष पर स्थित बिंदु से अपसरित होती हुई प्रतीत होती है। मुख्य अक्ष पर स्थित यह बिंदु मुख्य फोकस कहलाता है।
एक उत्तल लेंस के लगभग फोकस दुरी कैसे ज्ञात करोगे?
एक दूरस्थ वस्तु की दीवार/पेपर पर सही प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए उत्तल लेंस को एक तरफ हाथ में पकड़िए। इसके क्रियाकलाप को पुनः दोहराएं औरत ध्यानपूर्वक दूरियां नोट करें। सभी आंकड़ों का औसत निकालिए। यह दिए गए लेंस की लगभग फोकस दूरी है।
गोलियां लेंसों के लिए चिह्न परिपाटी की सूची बनाइए।
- गोलीय लेंसों के लिए चिह्न परिपाटी प्रश्न 21 में दिए गए गोलियां दर्पण के समान ही है।
- सभी दूरियां लेंस के प्रकाशिक केंद्र से मापी जाती है।
- उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक तथा अवतल लेंस के लिए ऋणात्मक है।
आवर्धन तथा प्रतिबिंब की ऊंचाई h के लिए ऋणात्मक चिह्न (-)का क्या अर्थ है?
आवर्धन (m)तथा प्रतिबिंब की ऊंचाई (h) के लिए ऋणत्मक चिह्न (-) का अर्थ है कि-
- प्रतिबिंब उल्टा बना है।
- प्रतिबिंब वास्तविक बना है।
- प्रतिबिंब मुख्य अक्ष के नीचे की और बना है।
बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति तथा अपेक्षित आकार को सूची बंद करें।
सारणी- बिंब की विभिन्न तिथियों के लिए अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति तथा आपेक्षिक आकार-
बिंब की स्थिति | प्रतिबिंब की स्थिति | प्रतिबिंब का अपेक्षित आकार | प्रतिबिंब की प्रकृति |
अनंत पर | फोकस F1 | अत्यधिक छोटा, बिंदु आकार | आभासी तथा सीधा |
अनंतता लेंस के प्रकाशित एन O के बीच | फोकस F1 तथा प्रकाशिक केंद्र O के बीच | छोटा | आभासी तथा सीधा |
लेंस की क्षमता से आप क्या समझते हैं? इसका SI मात्रक क्या है? इसका गणितीय सूत्र लिखें।
लेंस की क्षमता को लेंस की फोकस दूरी (मीटर में) के व्युत्क्रम के रूप में व्यक्त करते हैं। यह किसी लेंस की क्षमता होती है जिसके द्वारा वह प्रकाश की किरणों को अभिसारित या अपसरित कर सकता है। उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेंस की क्षमता ऋणात्मक ली जाती है।
क्षमता P = 1\F(m)
जहां पर फोकस दूरी (मीटर में) है।
कांच की स्लैब में से अपवर्तन के पश्चात किरण के गुणों की सूची बनाइए ।
- जब प्रकाश की किरणें विरल माध्यम ( वायु) से संघन माध्यम ( कांच) में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब की ओर मुड़ जाती है और यदि यह संघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तोअभिलंब से परे मूड़ जाती है।
- प्रकाश की किरण के पथ में कोई परिवर्तन नहीं होता। यदि यह पारदर्शक तल में सामान्यतः प्रवेश करती है अर्थात यदि आपतन कोण शून्य होता है तो कोई विचलन नहीं होता।
- आपतन किरण तथा निर्गत किरण एक दूसरे के समांतर होती है।
- कांच की स्लैब की मोटाई तथा आपतन कोण के बढ़ने पर पार्श्व विचलन बढ़ता है।
लम्बवत आपतन के लिए (i) आपतन कोण तथा (ii) अपवर्तन कोण क्या होगा?
- आपतन कोण (0०) शून्य होगा, क्योंकि आपतित किरण अभिलंब के पथ पर गमन करेगी।
- अपवर्तन कोण का मान भी शून्य (0०) होगा, क्योंकि प्रकाश किरणे अभिलंब पथ पर गति करने के कारण परिवर्तित नहीं होगी और सीधी बिना विचलित हुए बाहर निकल जाएगी।
More Important Article