प्रकाश ऊर्जा का एक रूप है जो में जो वस्तुओं को देखने में हमारी सहायता करता है।
वैद्युत चुंबकीय तरंगों के रूप में, उर्जा पैकक्टस के रूप में।
फोटोन
वस्तुओं को दृश्य प्रकाश बनाता है।
प्रकाश के क्वांटम सिद्धांत के अनुसार प्रकाश महतो एक तरंग है और यही कण है।
जब प्रकाश की किरणों के पथ में कोई अपारदर्शक वस्तु आ जाए तो प्रकाश की किरणों का उस वस्तु के चारों ओर घूमना विवर्तन कहलाता है।
जब प्रकाश किसी समतल चमकीले तल पर उड़ता है, तो यह परावर्तित होकर उसी माध्यम में वापस आ जाता है। इस घटना को प्रकाश का परिवर्तन कहते हैं।
जब प्रकाश एक पारदर्शक माध्यम से दूसरे पारदर्शक माध्यम में प्रवेश करता है, तो यह यह अपने पथ से विचलित होकर अपना पथ बदल लेता है।, इस परिघटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
प्रकाश को अद्भुत यंत्र इसलिए कहा जाता है, क्योंकि प्रकाश के बिना हम रंगीन, सुंदर प्रकृति का आनंद नहीं उठा सकते।
परावर्तन, अपवर्तन।
कोई समतल या अच्छी प्रकार से पॉलिश किया हुआ तल जो प्रकाश का परावर्तन कर सकता है, दर्पण कहलाता है।
समतल दर्पण, गोलीय दर्पण
समतल दर्पण पार्श्व परिवर्तित प्रतिबिंब बनाता है।
वे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलिय होता है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं।
अवतल दर्पण, उत्तल दर्पण।
एक गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर वक्रीय होता है, अवतल दर्पण कहलाते हैं।
वे गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्र होता है, उत्तल दर्पण कहलाते हैं।
फोकस दूरी (f) वक्रता त्रिज्या की आधी होती है। f = R\2
प्रकाश परावर्तन के नियमों का।
आवर्धन को प्रतिबिंब की आकार तथा बिंब के आकार के अनुपात के रूप में परिभाषित किया जाता है।
आवर्धन में ऋणात्मक चिह्न पर्दर्शित करता है कि प्रतिबिंब वास्तविक है।
यह प्रदर्शित करता है कि प्रतिबिंब आभासी है।
2F पर।
हां।
प्रतिबिंब स्पष्ट नहीं बनेगा, इसमें कुछ त्रुटियां होगी।
क्योंकि जब वस्तु/बिंब दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच होती है, तो उसका बड़ा व सीधा प्रतिबिंब अवतल दर्पण द्वारा बनता है, जिससे दाढ़ी बनाते समय सुविधा रहती है।
उत्तल दर्पण सदैव आभासी,सीधा तथा छोटे आकार का प्रतिबिंब दर्पण के ध्रुव (P) तथा फोकस (F) के बीच में बनता है।
उत्तल दर्पण का पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वाहनों में पीछे से आने वाली गाड़ियों को देखने के लिए किया जाता है।
दर्पण से वस्तु की दूरी (U), प्रतिबिंब की दूरी (V) तथा दर्पण की फोकस दूरी (f) के बीच के संबंध को दर्पण सूत्र कहते हैं।
इसके लिए आवर्धन सदैव धनात्मक (+) है, क्योंकि उत्तल दर्पण द्वारा बनने वाला प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सिद्ध होता है।
अवतल दर्पण द्वारा आवर्धन आभासी प्रतिबिंब के लिए प्राथमिक तथा वास्तविक प्रतिबिंब के लिए ऋणात्मक है।
अवतल
समतल दर्पण के लिए आवेदन का मान सदैव +1 होता है।
प्रकाश का एक पारदर्शक माध्यम से दूसरे पारदर्शक माध्यम में प्रवेश करते समय अपने पथ से विचलित हो जाना प्रकाश अपवर्तन कहलाता है।
हां, यदि प्रकाश पथ में कोई रुकावट हो या माध्यम में कोई परिवर्तन न हो तो।
नहीं, प्रकाश विभिन्न माध्यमों में अलग-अलग चाल से गमन करता है।
अवतल लेंस की शक्ति ऋणात्मक होती है।
अपवर्तनांक को प्रकाश की चाल के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है। प्रकाश की वायु में ताल तथा उस माध्यम में प्रकाश की चाल का अनुपात उस माध्यम का अपवर्तनांक कहलाता है।
हीरा।
हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है।
दो तलों से घिरा कोई पारदर्शक माध्यम जिसके एक या दोनों तल वक्रीय होते हैं, लेंस कहलाता है।
एक लेंस जो बीच में से मोटा और किनारों से पतला होता है। अथवा लेंस जो प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर अभिसरीत करता है, उत्तल लेंस कहलाता है।
लेंस जो केंद्र से पतला तथा किनारों से मोटा होता है अवतल लेंस कहलाता है। अथवा लेंस जो प्रकाश की किरणों को अपपसरित करता है, अवतल लेंस कहलाता है।
लेंस की प्रकाश की किरणों को अभिसरित/अपसरीत करने की क्षमता, लेंस की शक्ति/क्षमता कहलाती है। अथवा लेंस की क्षमता को उसके (मीटर में) फोकस दूरी के व्युत्क्रम के रूप में परिभाषित किया जाता है।
1 D डाईआफ्टर
सूक्ष्म दर्शी, दूरदर्शी
P = 1\f
1 D डाई आफ्टर
यह अपने पथ से विचलित हो जाता है।
यह अभिलंब की ओर मुड़ जाएगा।
प्रकाश अभिलंब से परे मुड़ जाएगा.
डाई आफ्टर लेंस की क्षमता मापने की इकाई है। एक डाई आफ्टर उस लेंस की शक्ति होती है जिस की फोकस दूरी 1 मीटर होती है।
प्रतिबिंब का आवर्धन बढ़ाने तथा उसकी स्पष्टता बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाता है।
गणनाओं को सरल व सुविधाजनक बनाने के लिए।
दूरदर्शी, सूक्ष्म दर्शी।
क्योंकि इससे हमारी आंखों को हानि पहुंच सकती है।
उत्तल लेंस की फोकस पर।
एक अवतल लेंस सदैव आभासी सीधा व छोटा प्रतिबिंब बनाता है।
उसे गोले का केंद्र जिसका की लेंस एक भाग होता है, वक्रता केंद्र कहलाता है।
उस गोले का व्यास, जिसका की लेंस एक भाग है, द्वार कहलाता है। अथवा किसी गोलीय लेंस की गोल बाह्रा लाइन का प्रभावी व्यास, द्वारक कहलाता है।
मुख्य अक्ष के समानांतर आने वाली प्रकाश की किरणें लेंस से अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्षय पर जिस बिंदु पर मिलती है, उसे मुख्य फोकस कहते हैं।
किसी लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी को फोकस दुरी कहते हैं।
पार्श्व परिवर्तन कांच की स्लैब की मोटाई के समानुपाती होती है।
यह माध्यम की प्रकाशीय केंद्र तथा प्रकाश के तरंगधैर्य पर निर्भर करता है।
निर्वात में प्रकाश की चाल तथा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल का अनुपात, निरपेक्ष अपवर्तनांक कहलाता है।
क्योंकि खिड़कियों के शीशे बहुत पतले होते हैं। प्रकाश किरणों का पथ विचलन/परिवर्तन दिखाई नहीं पड़ता।
जब से स्याई की बूंद को कांच की शिलापट्टी के बीच में से देखा जाता है तो यह उठी हुई प्रतीत होती है।
विभिन्न पारदर्शक माध्यमों में प्रकाश की विभिन्न ताल के कारण ऐसा होता है।
आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…
निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…
1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…
आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…
अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…
आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…