आज इस आर्टिकल में हम आपको सुयोग्यता के प्रमुख अंग या घटक बताने जा रहे है.

सामाजिक सुयोग्यता

सामाजिक सुयोग्यता व्यक्ति के सामाजिक एवं नैतिक विचारों  के आदान-प्रदान से संबंधित कौशलों को बढ़ाने व विकसित करने के लिए सकारात्मक या रचनात्मक क्रियाएँ करते रहना चाहिए | उसे अपने पड़ोसियों व मित्रों से मिलते-जुलते रहना चाहिए |

शारीरिक सुयोग्यता

शारीरिक सुयोग्यता की प्राप्ति के लिए विभिन्न  शारीरिक क्रियाओं ;जैसे जाँंगिंग ,तैराकी व खेलों में भाग लेना चाहिए | उसे स्वयं को स्वच्छ एवं शुद्ध वातावरण में रहने का प्रयास करना चाहिए और संतुलित एवं पोष्टिक भोजन करना चाहिये |

भावनात्मक सुयोग्यता

भावनात्मक या संवेगात्मक सुयोग्यता भी शरीरिक सुयोग्यता के प्रमुख अंगों में से एक है| इसको बढाने के लिए व्यक्ति को अतिभार से दूर रहने , हास्य फिल्में देखने व मनोंरजनदायक क्रियाओं में व्यस्त रहने पर ध्यान देना चाहिए |

बौद्धिक सुयोग्यता

बौद्धिक या मानसिक सुयोग्यता व्यक्ति की तर्कसंगत निर्यण करने की योग्यता होती है जो मानसिक सजगता ,नए विचारो का खुलापन ,आभिप्रेरणा,सृजनता व जिज्ञासा पर बल देती है| इसको विकसित करने के लिए व्यक्ति को अपने ज्ञान को विस्तृति करने व कौशल को निरतर प्रयास करते रहना चाहिए.

आध्यात्मिक सुयोग्यता

आध्यात्मिक सुयोग्यता आध्यात्मिक नवीनीकरण व आतिम्क शान्ति पर बल देती है.इसको विकसित करने के लिए व्यक्ति को स्वयं के प्रति सच्चा रहना चाहिए, अच्छे चरित्र का निर्माण करना चाहिए तथा सद्गगुणों को विकसित करना चाहिए.

पोषण-संबंधी सुयोग्यता

पोषण संबंधी सुयोग्यता संतुलित व स्वास्थ्यवर्ध्दक आहार के माध्यम से अधिकतम ऊर्जा के स्तरों की प्राप्ति पर बल देती है. पोषण-संबंधी सुयोग्यता बढने के लिए व्यक्ति को भोजन में वसा कम लेनी चाहिय तथा ताजे फल तथा सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए.

पर्यावरणीय सुयोग्यता

पर्यावरणीय सुयोग्यता भी शरीरिक सुयोग्यताका एक महत्वपूर्ण घटक है. पर्यावरणीय सुयोग्यता, पृथ्वी की दशा व इसके भौतिक पर्यावरण पर हमारी आदतों के प्रभावों के प्रति सजगता होती है.इसको बढाने के लिए व्यक्ति को प्रदूषण की मात्रा को कम करने का प्रयास करना चाहिए.

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