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सर्वप्रथम तत्वों के वर्गीकरण का आधार क्या रहा?
तत्वों के गुण धर्म के आधार पर तत्वों का वर्गीकरण किया गया. तत्वों को सामान विभिन्न गुणों के आधार पर अलग-अलग वर्गों में रखा गया. सबसे पहले ज्ञात तत्वों को धातु एवं अधातु के आधार पर वर्गीकृत करने का प्रयास वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया.
जे डब्ल्यू डाबेराइनर द्वारा सन 1817 में पहचाने गए तीन त्रिक कौन से थे? यह सिद्धांत क्या था?
जे डब्ल्यू डाबेराइनर द्वारा सन 1817 में पहचाने गए तीन त्रिक निम्नलिखित थे,
Li | Ca | Cl |
Na | Sr | Br |
K | Ba | l |
न्यूलैंड्स के अष्टक नियम से क्या लाभ व हानियां थी?
न्यूलैंड्स के अष्टक नियम के लाभ
न्यूलैंड्स तत्वों के गुणों में आवर्तीता को स्थापित करने में सफल हो गया. उसने अष्टक का नियम दिया उसके अनुसार जब तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान ओं के अनुसार व्यवस्थित किया जाता है तो, प्रत्येक 8 में तत्वों के गुण पहले तो के समान होते हैं. जैसा कि संगीत के अष्टक के नोट्स में होता है.
न्यूलैंड्स के अष्टक नियम की हानियां
- अष्टक का नियम केवल कैल्शियम तक लागू होता है. कैल्शियम के बाद प्रत्येक 8 में तत्वों के गुण प्रथम तत्व के समान नहीं होते हैं.
- न्यूलैंड्स ने मान लिया था कि पृथ्वी पर केवल 56 तत्व विद्यमान है. लेकिन जब नए तत्वों की खोज हुई तो उन्हें अष्टक के नियम अनुसार फिट नहीं किया जा सका.
- न्यूलैंड्स ने एक ही स्थान पर दो तत्वों को फिट किया और असमान गुणों वाले कुछ तत्वों को एक ही नोट्स के नीचे रखा गया.
समूह तथा आवर्तों को परिभाषित करें?
समूह/ग्रुप- आधुनिक आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर कॉलमों को ग्रुप कहते हैं। आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ग्रुप है।
आवर्त
आधुनिक आवर्त सारणी में 7 आवर्त है।
मेंडलीफ ने हाइड्रोइड (हाइड्रोजन) व ऑक्साइडों (ऑक्सीजन) को ही क्यों मूलभूत गुणों के रूप में स्वीकार किया?
मेंडलीफ ने हाइड्रोजन व, ऑक्सीजन को चुना क्योंकि यह दोनों ही बहुत क्रियाशील है और अधिकतर तत्वों के साथ क्रिया करके योगिक बनाते हैं। किसी तत्व के द्वारा बनाए गए हाइड्राइड व ऑक्साइड के सुत्रों को संदर्भ के लिए प्रयोग किया गया क्योंकि यह वर्गीकरण के लिए एक मूल गुण था।
मेंडलीफ आवर्त सारणी की क्या उपलब्धियां थी ?
- मेंडलीफ में तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आधार पर वर्गीकृत किया, दो तत्वों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण गुण होता है।
- समान गुणों वाले तत्वों को साथ रखने के लिए, थोड़े से अधिक द्रव्यमान वाले तत्व को थोड़े से कम द्रव्यमान वाले तत्व के पहले रखा गया। उदाहरण के लिए, कोबाल्ट (58.93) को निकेल (58.71) से पहले रखा गया।
- मेंडलीफ की अपनी आवर्त सारणी में स्थान खाली छोड़ दिए और साहस का परिचय देते हुए कुछ नए तत्वों की संभावना व्यक्त की। उदाहरण के लिए, गैलियम तथा जर्मीनियम की खोज बाद में हुई।
- यह मेंडलीफ की अद्भुत सफलता ही थी कि उसने भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों की भविष्य वाणी कर दी थी। बाद में जब अक्रिय गैसों को खोजा गया तब बिना पहली व्यवस्था के खराब किए उन्हें आवर्त सारणी में स्थान दे दिया गया।
मेंडलीफ के वर्गीकरण की क्या समानताएं थी?
हाइड्रोजन को एक निश्चित स्थान नहीं लिया जा सका। मेंडलीफ हाइड्रोजन को अपनी आवर्त सारणी में सही स्थान नहीं दे पाया।
समस्थानिकोण की खोज बहुत बाद में हुई, उसके पहले ही मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी को निश्चित रूप दे दिया था। बाद में समस्थानिक की खोज और उनका आवर्त सारणी में स्थान, मेंडलीफ के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा।
जैसा कि मेडेलीफ द्वारा किया गया वर्गीकरण परमाणु द्रव्यमान पर आधारित था, लेकिन परमाणु द्रव्यमान किसी एक तत्वों से अगले तत्व तक नियमित रूप से नहीं बढ़ते। इसलिए यह बताना संभव नहीं था कि दो तत्वों के बीच में कितने तत्वों को खोजा जा सकता है।
कई स्थानों पर ऊंचे द्रव्यमान वाले तत्वों को कम परमाणु क्रमांक वाले तत्वों से पहले रखा गया। उदाहरण के लिए, कोबाल्ट को निकेल से पहले रखा गया था।
आधुनिक आवर्त सारणी मेंडलीफ आवर्त सारणी की तीन कमियों को किस प्रकार दूर किया गया है?
आधुनिक आवर्त सारणी तत्वों की परमाणु संख्या व इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर आधारित है ना कि परमाणु द्रव्यमान पर।
समस्थानिक को सही स्थान पर रखने की कोई समस्या नहीं है क्योंकि उन्हें एक ही स्थान पर रखा जा सकता है। उनकी परमाणु संख्या समान होती है।
हाइड्रोजन को ग्रुप एक के ऊपर के सिरे पर रखा गया है क्योंकि इस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास व गुण इस ग्रुप के सदस्यों से मिलते जुलते होते हैं।
स्पष्ट कीजिए कि रसायनज्ञ के लिए किस तत्व का परमाणु क्रमांक उसके अपेक्षित द्रव्यमान की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण क्यों है?
परमाणु क्रमांक, परमाणु का अधिक मौलिक गुण है। किसी भी तत्व का परमाणु क्रमांक निश्चित है। किन्हीं दो तत्वों का परमाणु क्रमांक एक जैसा नहीं हो सकता, इसलिए किसी रसायनज्ञ के लिए किसी तत्वों का परमाणु क्रमांक उसके अपेक्षित परमाणु द्रव्यमान की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण है। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास आवर्त-सारणी का मूल आधार है। परमाणु क्रमांक तत्वों के परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताता है, इसलिए परमाणु क्रमांक ज्ञात होने पर उन तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखा जा सकता है।
धनायन का आकार मूल प्रमाण से कम क्यों होता है?
कोई भी परमाणु 1 या इससे अधिक इलेक्ट्रॉन को खोकर ही धनायन बनाता है जिसका सीधा सा अर्थ है कि इलेक्ट्रॉन होने पर तत्वों के मूल परमाणु में इलेक्ट्रॉन कक्षा की संख्या कम हो जाती है। इसलिए धनायन का आकार परमाणु के मूल आकार से कम होता है। यह Na और Na + मैं Na + का आकार Na से छोटा है।
जाति | इलेक्ट्रॉनिक वितरण | शैलों की संख्या | आकार |
Na परमाणु |
2,8,1 | 3 | 15.4 A |
Na+ आयन | 2,8 | 2 | 0.95 A |
जब हम किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाते हैं तो परमाणु आकार/त्रिज्या में क्या परिवर्तन होता है?
किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर उसी कक्ष में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती चली जाती है. संयोजी इलेक्ट्रॉनों के बढ़ने के साथ-साथ वोटरों की संख्या या नाभिक पर आवेश भी बढ़ता जाता है. नाभिक पर धनात्मक आवेश बढ़ने के कारण नाभिक संयोजी इलेक्ट्रॉनों को अधिक बल के द्वारा आकर्षित करता है. इसलिए परमाणु का आकार/त्रिज्या कम होती चली जाती है.
क्या कारण है कि O2- का आकार O के आकार से बड़ा है?
O (ऑक्सीजन) का परमाणु 2 इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपना अष्टक पूर्ण कर लेता है तथा O2- आयन बनाता है। O2- में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है, परंतु वोटरों की संख्या समान रहती है। नाभिक तथा बाह्रात्म इलेक्ट्रॉन में आकर्षण बल कम होने के कारण O2- का आकार बढ़ जाता है।
धातु तथा अधातु ऑक्साइडो की प्रकृति कैसी होती है?
धातु ऑक्साइड
धातु ऑक्साइड सामान्यतः क्षारीय प्रकृति की होते हैं, क्योंकि जब वे पानी में घूमते हैं तो क्षार बनाते हैं।
लेकिन कुछ धातु ऑक्साइड, जैसे ZnO, Al2O3 की प्रकृति उभयधर्मी होती है क्योंकि वे कभी अम्ल तो कभी क्षार तरह व्यवहार करती है तथा इन दोनों प्रकार के यौगिकों के साथ क्रिया कर लेते हैं।
अधातु ऑक्साइड
अधातु ऑक्साइड सामान्यत, अम्लीय प्रकृति की होते हैं, क्योंकि जब वे क्षारों के साथ क्रिया करते हैं तो लवण और पानी बनाते हैं। उदाहरण के लिए So2+, Co2, No2 आदि। कुछ अधातु ऑक्साइड उदासीन भी होते हैं जैसे – CO
किसी आवर्ती में रासायनिक क्रिया शीलता किस प्रकार परिवर्तित होती है?
जब हम किसी आवर्त में बाएं से दाएं और जाते हैं तो रासायनिक क्रिया शीलता पहले तो कम होती है और फिर बढ़ती चली जाती है।
- सोडियम अत्यधिक क्रियाशील तत्व है।
- मैग्नीशियम कम क्रियाशील तत्व है।
- एलुमिनियम इससे भी कम क्रियाशील है।
- सिलिकॉन अति कम क्रियाशील तत्व है ।
- फास्फोरस काफी क्रियाशील तत्व है।
- सल्फर भी बहुत क्रियाशील तत्व है।
- क्लोरीन अत्यधिक क्रियाशील तत्व है।
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