G.K

उत्तर प्रदेश की भौगोलिक संरचना

उत्तर प्रदेश की भौगोलिक संरचना, up ki geography, up se jude facts, up ka xetrfal, up kul area, up ki jansankya, up ko kitne bhagon mein banta gya gai

More Important Article

भौगोलिक संरचना

राजनीतिक दृष्टि से भारत में उत्तर प्रदेश का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है. यह प्रदेश सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इस प्रदेश का गंगा यमुना पवित्र नदियों तथा उनके द्वारा प्रदेश का होने वाले लाभों के कारण अपना अलग महत्व है. उत्तर प्रदेश का देश में आकार की दृष्टि से राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश के बाद पांचवा स्थान तथा जनसंख्या की दृष्टि से प्रथम स्थान है. उत्तर प्रदेश से अधिक जनसंख्या वाले विश्व के केवल पांच देश चीन, भारत यु, एस,ए, इंडोनेशिया एवं ब्राजील ही है, उत्तर प्रदेश का यह स्थान उत्तराखंड राज्य के गठन के पश्चात भी यथावत है.

अवस्थिति एवं विस्तार

उत्तर प्रदेश एक सीमावर्ती राज्य है लेकिन इसकी सीमाएं समुद्री सीमा से होती है. अंतरराष्ट्रीय सीमा को उत्तर प्रदेश की उत्तरी सीमा छूती है. उनकी सीमाएं उत्तराखंड राज्य के गठन से पूर्व चीन के क्षेत्र को स्पर्श करती थी, लेकिन अब यह क्षेत्र उत्तराखंड राज्य का अंग है. उत्तराखंड की शिवालिक पर्वत-श्रेणियां नेपाल सीमा के साथ अब उत्तर प्रदेश के उत्तर में है.

उत्तर प्रदेश देश के 7 राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली) तथा नेपाल की सीमाओं से घिरा हुआ है. उत्तर प्रदेश के उत्तर में नेपाल, उत्तर पश्चिम में उत्तराखंड, पश्चिम में हरियाणा एवं दिल्ली, दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान, दक्षिण एवं दक्षिण पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में छत्तीसगढ़, पूर्व एवं दक्षिण पूर्व में झारखंड तथा पूर्व में बिहार राज्य स्थित है.

उत्तर प्रदेश की भौतिक सीमा में उत्तर हिमालय की शिवालिक श्रेणीयाँ, पश्चिम, दक्षिण पश्चिम एवं दक्षिण में यमुना नदी और विंध्याचल पर्वत श्रेणी तथा पूर्व में गंडक नदी है.

भौगोलिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में 23०52 उत्तरी अक्षांश से 30०28 उत्तरी अक्षांश तथा 77०3 पूर्वी देशांतर से 84०39 पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है. पूर्व से पश्चिम तक उत्तर प्रदेश का विस्तार लगभग 650 किमी तथा उत्तर से दक्षिण तक विस्तार लगभग 240 किमी है.

इसका कुल क्षेत्रफल, 2,40,928 वर्ग किलोमीटर है. जो फ्रांस का आधा, पुर्तगाल का 3 गुना, आयरलैंड का 4 गुना, स्विट्जरलैंड का 7 गुना, बेल्जियम का 10 गुना है.

उत्तर प्रदेश की भू-गर्भिक संरचना

भू-गर्भिक दृष्टि से भारत उपमहाद्वीप के उत्तर-मध्य में स्थित उत्तर प्रदेश भारत के प्राचीनतम गोंडवानालैंड महाद्वीप का भू-भाग है.   

प्रदेश की भू-गर्भिक संरचना का निर्माण निम्न प्रकार के शैल समूह से हुआ है-

  • विध्यन शैल समूह
  • टर्शियरी शैल समूह
  • बुंदेलखंड निस
  • क्वार्टरनरी शैल समूह

विन्ध्यन शैल समूह

दक्षिण में स्थित पठारी भाग वास्तव में प्रायद्वीपीय भारत का उत्तर की ओर प्रक्षेपित भाग है, जिसका निर्माण विन्ध्य शैल समूह द्वारा पूर्व-कैंब्रियन युग में हुआ था. समुद्र तल से धरातल पर भू-गर्भिक शक्तियों द्वारा किए गए निक्षेपित पदार्थ के जम जाने से इस शैल समूह का निर्माण हुआ है. मुख्यतः विन्ध्याचंल पर्वत श्रेणियों में पाए जाने के कारण इन चट्टानों का विंध्यक्रम की चट्टानें कहा जाता है. इन चट्टानों में अवशेषों का अभाव मिला है, मुख्यतः चूने का पत्थर, डोलोमाइट, बलुआ पत्थर, शैल आदि मिलते हैं.

टर्शियरी शैल समूह

गंगा-यमुना के मध्यवर्ती क्षेत्र में रवेदार चट्टाने पाई जाती है. प्रदेश के ऊपरी भाग में हिमालय पर्वत संख्याओं का निर्माण टर्शियरी कल्प के अंगारालैंड एवं गोंडवाना लैंड के मध्य स्थित टेथिस सागर में भारी मात्रा में अवसादो के निक्षेपित हो जाने के फलस्वरूप हुआ, क्योंकि मध्यकल्प की समाप्ति के समय इस सागर में निक्षेपित पदार्थ ऊपर उठने लगा. जब यह अवसाद गोंडवाना लैंड की ओर अग्रसित न हो पाए तो निरंतर दबाव के परिणाम स्वरूप व ऊपर उठे गया तथा उसमें मोड पड़ गए, जिसके परिणाम स्वरुप हिमालय पर्वत एवं उसकी मोड़दार श्रंखलाओं का निर्माण हुआ.

मोयासीन युग में इन श्रेणियों के निर्माण की द्वितीय हलचल हुई जब लघु एवं मध्यम आंचल पर्वत श्रेणियों का प्रादुर्भाव हुआ. प्लायोसिन युग में इनके निर्माण की तृतीय हलचल के परिणामस्वरुप शिवालिक पहाड़ियों का निर्माण हुआ. हिमालय पर्वत से लाए गए अवसादों का इन पहाड़ियों के निर्माण में प्रमुख योगदान है. इनका निर्माण रेत, कंकड़, वस्त्र एवं कंग्लोमेरेट शैलों की मोटी परतों द्वारा हुआ है. मध्य हिमाचल एवं शिवालिक पहाड़ियों के बीच अधिक दबाव एवं भिंचाव पड़ने से सीमांत दरारें पाई जाती है.

बुंदेलखंड नीस

बुंदेलखंड में आध कल्प में निर्मित  नीस शैलों को बुंदेलखंड निस शैलों के नाम से जाना जाता है.इन नीस में लाल  ऑर्थोकलेज, फेल्सपार, लाल क्वाटरज, हार्नबलैंड क्लोराइड आदि खनिजों का मिश्रण किया जाता है. इंसानों के निर्माण के पश्चात कैंब्रियन युग में ऊपरी विंध्य शैलों का निर्माण हुआ. कैमूर श्रंखला की रचना इन विन्ध्य शैलों के द्वारा हुई,जिसमें कठोर बलुआ पत्थर, क्वार्टरजाईट एवं कंग्लोमेरेट मिलते हैं. इन्हें कठोर लाल रंग के बलुआ पत्थरों का प्रयोग आगरा एवं उसके निकटवर्ती मुगलकालीन भवनों के निर्माण में हुआ है.

क्वार्टरनरी शैल समूह

प्रदेश की तराई क्षेत्र में भाबर की तंग पट्टी पाई जाती है. यहां पर पहाड़ियों की समाप्ति एवं मैदान की शुरुआत होती है, इन क्षेत्रों में पर्वतीय क्षेत्रों से बहकर आने वाली नदियां कटाव करती है तथा अपने बहाव क्षेत्र के पार्श्ववर्ती भागों में बलुआ-पत्थर, कंकड़, बालू आदि की निक्षेप भी करती रही है. यह क्रम प्लीस्टोसिन युग से अब तक जारी है, फलस्वरुप क्षेत्र में जल की अधिकता है. जिन भागों में मोटे मोटे कंकड़ पत्थर पाए जाते हैं, उन्हें भाबर एवं महीन अवसादों वाले क्षेत्र तराई के नाम से जाना जाता है.

दक्षिणी प्रायद्वीप और हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों के मध्य गंगा यमुना का मैदान विस्तृत है, जिसमें प्लीस्टोसिन युग से लेकर आज तक अवसादी पदार्थों का निक्षेप होता चला आ रहा है. इस मैदान से संचित कांप मिट्टी की मोटाई का अनुमान अभी तक नहीं लगाया जा सका है. प्राचीन कांप निक्षेपों को अपने बांगर एवं नवीन निक्षेपों को खादर के नाम से जाना जाता है.

स्तनधारी जीवो के अवशेष यमुना नदी की कांप मिट्टी में आज भी यत्र-तत्र बिखरे हुए पाए जाते हैं. इस प्रकार प्रदेश की भू-गर्भिक संरचना में जहां दक्षिण भाग प्राचीनतम सेलों का बना हुआ है वही उत्तरी भाग में स्थित हिमालय एवं शिवालिक की पहाड़ियां उसके काफी बाद निर्मित हुई है. इसी के साथ-साथ मध्यवर्ती भाग में स्थित गंगा-यमुना का मैदान हिमालय पर्वत से बहकर लाई गई नवीन कांप मिट्टी का बना हुआ है, जो देश के उपजाऊ भू-भागों में माना जाता है.

शैल समूह स्थान मुख्य चट्टाने
विध्यन दक्षिण उत्तर प्रदेश बलुआ पत्थर, क्वार्टरजाईट, कंग्लोमेरेट डोलोमाइट
बुंदेलखंड निस बुंदेलखंड क्षेत्र फेल्सपार, लाल क्वाट्र्ज, देरू होर्नबलैंड
टर्शरी उतरी  उत्तर प्रदेश रेत, कंकड़, पत्थर, कंग्लोमेरेट
क्वार्टरनरी प्राइस एवं भाबर क्षेत्र मुलायम बलुआ पत्थर, कंकड़, बालू

भौतिक विभाजन

उत्तर प्रदेश को तीन भौतिक भागों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. भाबर तथा तराई क्षेत्र
  2. गंगा यमुना का मैदानी क्षेत्र
  3. दक्षिण का पठारी क्षेत्र

Recent Posts

अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए – List of Gazetted Officer

आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…

5 months ago

CGPSC SSE 09 Feb 2020 Paper – 2 Solved Question Paper

निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…

11 months ago

CGPSC SSE 09 Feb 2020 Solved Question Paper

1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…

11 months ago

Haryana Group D Important Question Hindi

आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…

12 months ago

HSSC Group D Allocation List – HSSC Group D Result Posting List

अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…

12 months ago

HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern – Haryana Group D

आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…

12 months ago