G.KStudy Material

उत्तर राज्य में चित्रकला से संबंधित प्रमुख तथ्य

उत्तर राज्य में चित्रकला से संबंधित प्रमुख तथ्य, चित्रकला का अर्थ, चित्रकला पुस्तक pdf, चित्रकला की परिभाषा, चित्रकला का महत्व, चित्रकला माहिती, आधुनिक चित्रकला का इतिहास, चित्रकला की परिभाषा क्या है, भारतीय चित्रकला का इतिहास pdf

More Important Article

उत्तर राज्य में चित्रकला से संबंधित प्रमुख तथ्य

  • रामचंद्र शुक्ल के प्रमुख चित्र थे- पश्चाताप, आकांक्षा, प्रतिशोध, दू: स्वप्न, दया, मौत की आंखें, रोगी का स्वप्न, शेष अग्नि, सृष्टि और ध्वंस, पराजय की पीड़ा आदि। भवानी चरण ग्यु की चित्रण की शैली की खूबी है- रंगो की चारुता, उदात भावोत्कर्ष व सूक्ष्म ब्योरों का निर्देशन।
  • किरण दर लखनऊ स्कूल के वरिष्ठ कलाकारों में से थे, जिनकी चित्रण पद्धति पर चीनी-जापानी प्रभाव झलकता है।
  • राज्य की कला के दिश-निर्देशन में ललित मोहन सेन का महत्वपूर्ण योगदान है।
  • रणवीर सक्सेना ने लखनऊ आर्ट स्कूल में डिप्लोमा प्राप्त करने के बाद जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट, मुंबई में 5 वर्षों तक अध्ययन किया। उन्होंने टेंपोरा, वाटर कलर, पेस्टल कलर, ऑयल कलर और पेंसिल व पेन आदि सभी के चित्र बनाए हैं। उनके प्रिय चित्रों में प्रतीक्षा, बुद्ध का गृह त्याग, झूला आदि उल्लेखनीय है। इनका कार्य-क्षेत्र देहरादून रहा है।
  • रणवीर सिंह बिष्ट के प्रमुख चित्रों में पहाड़ी लोक नृत्य, पहाड़ी शीत से बचने का सहारा, गांव की सुबह, काम की समाप्ति पर, श्लथ बालक, बाजार, गपशप, शहर की रोशनी, शाम ढले, जाड़े की रातें, पहाड़ी घसियारे, नीलकंठ आदि शामिल है, जो दर्शकों को अभिभूत कर देती है।
  • रणवीर सिंह बिष्ट राज्य के निवासी हैं। ये लखनऊ आर्ट कॉलेज के अध्यापन कार्य करते रहे। इन्होंने चित्रों में नई तकनीक, नए भावों के साथ-साथ विषयो के चुनाव मे भी नवीनता दी।
  • सुधीर रंजन खालतगीद का जन्म कलकत्ता में हुआ और उन्होंने शांतिनिकेतन से शिक्षा पाई थी। ये भी स्कूल ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट, लखनऊ के प्रिंसिपल थे। इन्होंने भी राज्य में कलाकारों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • बंगाल स्कूल के प्रमुख आचार्यों में असित कुमार हलदार का नाम भी आता है, जो अवनीन्द्र नाथ ठाकुर के शिष्यों में से एक थे। ये कॉलेज ऑफ आर्ट एंड क्राफ्ट, लखनऊ के प्रिंसिपल भी बने। उनके चित्रों में प्रकाश और लय, राम और गृह वपु, विकासोन्मुख योवन, वेद का अध्ययन, कुणाल और अकबर आदि प्रमुख है। उन्होंने मेघदूत वह उमर खरूयाम से संबंधित चित्रों का भी निर्माण किया ।
  • राज्य में कला और संस्कृति को संरक्षण तथा प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से संस्कृति शिक्षा परिषद का गठन किया गया है।
  • आज भी हमारे देश के अनेक चित्रालयो में निकोलस रोरिक गैलरी, वीथिका तथा बनारस वीथिका शैली में अनेक ऐसे दुर्लभ चित्र संग्रहित है जो राज्य तथा राष्ट्र के चित्र कला विकास की गाथा सुनाते हैं।
  • बादशाह जहांगीर तो किसी भी चित्र को देख रही है बता सकते थे कि उसे मुल्क किस राज्य के चित्रकार ने बनाया है।
  • मुगलकालीन शैली के चित्रों में गुजराती चित्रकला का प्रभाव अधिक दिखाई देता है। इसका प्रमुख कारण यह था कि अकबर कालीन सभी पत्रकारों में से छह चित्रकार गुजरात राज्य से संबंध रखते थे।
  • आगरा में मुगल सम्राट हुमायूं ने सिहासन पर बैठते ही सर्वप्रथम अपने दरबार ख्वाजा अब्दुल समीर अली नामक चित्रकारों को स्थान दिया था।
  • जगन्नाथ मुरलीधर अहिवासी को राज्य में भित्ति चित्र चित्रित करने का गौरव प्राप्त है। वह मथुरा जनपद के बलदेव ग्राम के निवासी थे।
  • पट-चित्र राज्य में भी बने देखते हैं, जिन के निर्माण का श्रेय बंगाल की गौड़ शैली से जुड़े पुरोधा नीलमणि दास, बलराम दास और गोपाल दास को दिया जाता है।
  • मेरठ निवासी चित्रकार चमन सिंह चौहान ने चित्रकार एवं मूर्तिकला पर 50 से अधिक पुस्तकें लिखकर तथा सर्वाधिक अंतरराष्ट्रीय चित्र प्रदर्शनी आयोजित करके विशेष ख्याति अर्जित की है। प्रख्यात चित्रकार किरण उनकी धर्मपत्नी है।
  • रमेशचंद्र साथी, चमन सिंह चमन, नित्यानंद का सुरेंद्र बहादुर राज्य के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चित्रकार है।
  • राज्य के अनेक विश्वविद्यालय में चित्रकला में स्नातक पाठ्यक्रम से लेकर शोध उपाधि तक की व्यवस्था है। इनमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तथा आगरा, गोरखपुर, इलाहाबाद, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ, बरेली, दयालबाग, आदि विश्वविद्यालयों के नाम प्रमुख है।
  • भारत कला भवन, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में स्थित है, जिसकी स्थापना वर्ष 1950 में की गई। यह देश के चित्रकारी संबंधित विशालतम, संग्रहालय में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
  • वाराणसी में वर्किंग आर्टिस्ट ऑफ वाराणसी की स्थापना वर्ष में 1976 में की गई।
  • उत्तर प्रदेश ललित कला अकादमी, लखनऊ की स्थापना वर्ष 1962 में की गई है.
  • नगर निगम आर्ट गैलरी की स्थापना वर्ष 1949 में की गई, जो लखनऊ में स्थित है।
  • वर्ष 1973 में कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय के कला संकाय के रूप में मान्यता दी गई है।
  • वर्ष 1920 में वाराणसी में स्थापित भारतीय कला परिषद का भी राज्य में चित्र कला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।
  • चित्रकला के विकास में कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ का महत्वपूर्ण स्थान है, जिसकी स्थापना वर्ष 1911 में की गई थी।
  • जहांगीर का काल मुगलकालीन चित्रकला का स्वर्ण युग कहा जाता है।
  • मुगल शैली आगरा, दिल्ली, लखनऊ, वह लाहौर एक समित रही है।
  • राजपूत शैली उत्तर भारत, राजस्थान, पंजाब हिमाचल प्रदेश तक विस्तृत थी।
  • राजपूत शैली में जन सामान्य के जीवन को दर्शाया गया। इनमें प्रेम कथाएं, लोक कथाएं, धार्मिक रीत-परिवार तथा विभिन्न कामों में लगे हुए कारीगरों पर चित्रकारों की दृष्टि रही क्योंकि यह शैली पूर्णतया राज-दरबारों पर आश्रित न थी।
  • दाद के समय लगभग 40 चित्रों का एल्बम आज भी इंडिया हाउस लाइब्रेरी लंदन में सुरक्षित है।
  • बाबर अपने साथ शाहनामा नामक सचित्र पुस्तक लाया था. लगभग 200 वर्षों तक भारत के विभिन्न सहाय पुस्तकालयों में सुरक्षित थी, परंतु अंग्रेजी शासनकाल में यह कृति लंदन के रॉयल एशियाटिक सोसाइटी में पहुंच गई है।
  • राजपूत शैली के विकास में कन्नौज, बुंदेलखंड के चंदेल राजाओं का काफी योगदान रहा है।
  • जैन शैली का भारतीय चित्रकला के इतिहास में कागज पर की गई चित्रकारी की दिशा में पहला स्थान है।
  • मदनलाल नागर ने ब्रज से संबंधित 21 चित्रों की सीरीज निर्मित की है।
  • भवानी चरणों की सुप्रसिद्ध चित्र रासलीला है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close