उत्तराखंड आंदोलन में खटीमा, मसूरी और मुजफ्फरनगर कांडों में अनेक आंदोलन कारियों को शहीद की फेहरसीत में शामिल होना पड़ा है।
1 सितंबर 1994 को खटीमा कांड में मारे जाने वाले लोगों के नाम हैं- धर्मानंद भट्ट, गोपीचंद, रामपाल, भगवान सिंह सिरोला, प्रताप सिंह, सलीम, परमजीत सिंह और भुवन सिंह।
2 अक्टूबर 1994 को दिल्ली में आयोजित रैली में भाग लेने जा रहे आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर में हुई फायरिंग में मारे गए लोगों में गिरीश कुमार भद्री, सत्येंद्र सिंह, रविंद्र रावत चौहान, सूर्यप्रकाश थपलियाल, राजेश लखेड़ा और अशोक कुमार केशिव।
3 अक्टूबर 1994 को भड़के आंदोलन में देहरादून में राजेश रावत, दीपक वालिया और बलवंत सिंह जंगवाण, कोटद्वार में पृथ्वी सिंह बिष्ट, राकेश देवरानी और नैनीताल में प्रताप सिंह बिष्ट आंदोलन की भेंट चढ़े।
राज्य के महान सपूत शहीद स्वर्गीय यशोधर बेंजवाल नवंबर 1995 में श्रीयंत्र टापू (श्रीनगर गढ़वाल) में पुलिस बर्बरता का शिकार हुए थे। राज्य आंदोलन के दमन में तत्कालीन पुलिस द्वारा 10 नवंबर 1995 की रात श्रीयंत्र टापू पर धावा बोला गया और गोलियां बरसाई गई। पुलिस द्वारा श्रीयंत्र टापू में अनशन पर बैठे आंदोलनकारी यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत को गोलियों से भूनकर उनके शवों को अलकानंदा में डुबो दिया गया था।
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