उत्तराखंड में रेजिमेंट की जानकारी

उत्तराखंड में कुमाऊँ रेजीमेंट, गढ़वाल रेजीमेंट गोरखा रेजीमेंट है, जो यहां के लोगों के योगदान को देखते हुए बनाई गई है।

उत्तराखंड में रेजिमेंट की जानकारी


कुमाऊं रेजीमेंट

  • कुमाऊँ रेजीमेंट देश की सबसे पुरानी रेजीमेंट्स में से एक है.
  • ब्रिटिश शासकों ने 27 अक्टूबर, 1945 को कुमाऊँ रेजीमेंट्स की स्थापना की. इससे पहले उसकी अनेक बटालियनें हैदराबाद के निजाम की फौजों के साथ पनपी। उसके नाम बदलते रहे।
  • वर्ष 1947 में भारत पाकिस्तान संघर्ष के दौरान कुमाऊँ रेजीमेंट की बटालियनों ने जम्मू-कश्मीर के मोर्चे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • वर्ष 1962 में भारत चीन युद्ध में र्ंजागला (लद्दाख) में मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में रेजीमेंट के सैनिकों ने चीनियों के खिलाफ जबरदस्त मोर्चाबंदी की। इसके लिए शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीरचक्र से सम्मानित किया गया।
  • चौथी कुमाऊँ बटालियन स्वतंत्रता के बाद भारतीय सेना की पहली बटालियन है जिसे राष्ट्रपति ने ध्वज देकर सम्मानित किया।
  • कुमाऊ बटालियन के मेजर सोमनाथ शर्मा (पहले भारतीय सैनिक) को अद्भुत पराक्रम के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

गढ़वाल रेजीमेंट

  • प्रथम गढ़वाली बटालियन का गठन 5 मई 1887 को अल्मोड़ा में किया गया।
  • गढ़वाल रेजीमेंट ने अपने शुरुआती समय में ही प्रतिकूल समस्याओं का सामना किया। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान कई गढ़वाली सैनिक शहीद हुए। इस लड़ाई में गढ़वाली सैनिकों को विक्टोरिया क्रॉस सहित कई मिलिट्री क्रॉस व ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश इंडिया वीरता पदक प्रदान किए गए।
  • सन 1914-1918 में मध्य पूर्व एशिया क्षेत्र में प्रथम विश्व युद्ध में अपूर्व वीरता के लिए पहली गढ़वाल राइफल्स के नायक दरबान सिंह नेगी को उस समय के सबसे बड़े पुरस्कार विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया।

अन्य तथ्य

  • भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में स्थित है।
  • गढ़वाल राइफल्स की इस समय 19 बटालियन गठित है।
  • कुमाऊँ रेजीमेंट के मेजर सोमनाथ शर्मा को श्रीनगर शहर और वायु सेना की अड्डे को बचाने के लिए 1947 में मरणोपरांत प्रथम परमवीर चक्र मिला था।
  • चंद्रसिंह गढ़वाली का वास्तविक नाम चंद्रसिंह नेगी था।
  • गर्व भंजक के नाम से माधोसिंह भंडारी प्रसिद्ध है।
  • दरबान सिंह नेगी सबसे पहले विक्टोरिया क्रॉस विजेता सैनिक थे।
  • वीर चंद्रसिंह गढ़वाली गढ़वाल रेजीमेंट में थे।

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