भंवर धाराओं के खोजकर्ता थे-
फ़ूको
एल्युमीनियम, प्लेटिनम तथा मैगनीज है-
अनु-चुंबकीय
चांदी, सोना, विस्मथ, जस्ता तथा पारा है
प्रति चुंबकीय
किसी चालक या कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल, उसमें से गुजरने वाले चुंबकीय फ्लक्स की परिवर्तन दर के अनुक्रमानुपाती होता है, यह नियम कहलाता है-
फैराडे का विद्युत-चुंबकीय प्रेरण नियम
यदि किसी कुंडली में प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर उसके पास रखी हुई दूसरी कुंडली में विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है, तो कहलाता है-
सह- प्रेरण
किसी कुंडली में से प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित करने पर उसी कुंडली में विरोधी विद्युत वाहक बल- प्रेरित होना कहलाता है-
स्व- प्रेरण
स्व- प्रेरकत्व एवं सह-प्रेरकत्व का मात्रक है-
हैनरी
किसी चालक/कुंडली द्वारा प्रत्यावर्ती धारा प्रवाह के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला विरोध कहलाता है-
प्रतिघात
विद्युत-चुंबकीय प्रेरण के खोजकर्ता थे-
फैराडे
लेज का नियम संबंध है-
ऊर्जा संरक्षण सिद्धांत से
प्रेरण- कुंडली एक उपकरण है, जिसके द्वारा उत्पन्न की जाती है-
उच्च वोल्टता
जब किसी चुंबक का उत्तरी ध्रुव किसी कुंडली के एक सिरे के निकट ले जाया जाता है, तो उसमें उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा होती है-
दक्षिणावर्त
किसी कुंडली का प्रेरकत्व एक माप होती है-
विद्युतीय जड़त्व की
युग्मन युक्त दो कुंडलियों का कुल प्रेरकत्व बराबर होता है-
LT= L1 + L2 +2K √L1, L2
किसी कुंडली का समय नियतांक दर्शाता है, उसमें धारा को उसके उच्चतम मान के …….. मान तक पहुंचने में लगा समय.
63.3%
1 वेबर बराबर होता है
108 मैक्सवेल
चुंबकीय क्षेत्र में किसी चुंबकीय बल रेखा के लंबवत तल में से गुजरने वाली चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या कहलाती है-
चुंबकीय फ्लक्स
यदि किसी विद्युत् धारावाही चालक के एक सिरे पर बोतल की कार्क खोलने वाले पेच की नोक, चालक में विद्युत धारा प्रवाह की दिशा मैं आगे बढ़े तो पेंच कि घुमाव दिशा, चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा होगी, यह कहलाता है-
कार्क स्क्रू नियम
यदि किसी विद्युत धारावाही चालक को दाएं हाथ में इस प्रकार पकड़े कि अंगूठा विद्युत धारा प्रवाह की दिशा इंगित करें तो उंगलियां, चुंबकीय बल रेखाओं की दिशा को इंगित करेगी यह कहलाता है-
दाया हस्त नियम
यदि किसी कुंडली को दाएं हाथ से इस प्रकार पकड़े की उंगलियां, कुंडली में से विद्युत धारा प्रवाह की दिशा को इंगित करें तो अंगूठा, उत्तरी-ध्रुव को इंगित करेगा वह कहलाता है-
हैलिक्स का नियम
किसी चुंबकीय फ्लक्स को गतिमान करने वाला बल कहलाता है-
चुंबकीय वाहक बल
चुम्बकीय क्षेत्र में किसी चुंबकीय बल रेखा के लम्बवत तल के इकाई क्षेत्रफल में से गुजरने वाली चुंबकीय बल रेखाओं की संख्या कहलाती है-
चुंबकीय फ्लक्स घनत्व
किसी पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह अवशिष्ट चुंबकत्व को धारण करता है, कहलाता है-
धारणशीलता
चुंबकीय परिपथ में चुंबकीय फ्लक्स के मार्ग में पदार्थ द्वारा प्रस्तुत की गई बाधा को कहते हैं उसका-
प्रतिष्ठम्भ
हवा अथवा निर्वात की तुलना में किसी पदार्थ पर समान चुंबकन बल लगाने से उत्पन्न चुंबकीय घनत्व कहलाता है ,उस पदार्थ की
अवशिष्ट चुंबकत्व
मूविंग कोइल स्थानीय चुंबक यंत्र …… पर प्रयोग किया जा सकते हैं-
केवल DC
सिंगल फेज मीटर की जरूरी आवश्यकताएं…….. है-
अभिलेख यंत्रावली, प्रचालन यंत्रावली, चल यंत्रावली
सिंगल फेज ऊर्जा मीटर की घर्षण त्रुटी …… कम की जा सकती है-
ब्रेकिंग चुंबक को समायोजित करके
यदि मैगर के टर्मिनल 230V सप्लाई पर जुड़े हो, तो मैगर –
जल जाएगा
बड़े आकार के आल्टरानेटरों में फ्लक्स रखा जाता है-
घूर्णीय
घूर्णन क्षेत्र के तुल्यकालिक गति …… पर निर्भर करती है।
ध्रुवों की संख्या, सप्लाई आवृत्ति
सिंक्रोनस मोटर …… पर चलती है।
AC 3 -फेज तथा DC सप्लाई दोनों
MKS प्रणाली में इल्युमिनेशन की इकाई …….. होती है।
लक्स
निर्वात लैंम्प की तुलना में गैस भरे लैम्प की दक्षता ……… होती है-
दोगुनी
विभक्त फेज मोटर में किस विद्युत कोण पर चलती कुंडलन, शुरुआती कुंडलन की तुलना में स्थापित किया जाता है?
90०
यूनिवर्सल मोटर में स्टार्टिंग होता है –
उच्चबल-आघूर्ण वाला
वायु संपीडकों में किस प्रकार के सिंगल फेज मोटर का प्रयोग किया जाता है?
कैपेसीटर- स्टार्ट, कैपेसीटर – रन मोटर
किसी 3 फेज प्रेरण मोटर में, आरंभिक बल आघूर्ण होता है-
वोल्टेज आपूर्ति के वर्ग के समानुपाती
3- फेज प्रेरण मोटर के घूर्णी चुंबकीय अभिवाह प्रवाह की चाल है-
120.f\P
किसी पिंजर प्रेरण मोटर में आरंभिक धारा होती है-
पूर्ण भार धारा के 5 से 7 गुना
पश्चगामी कुंडलन आर्मेचर पर किस दिशा में आगे बढ़ता है?
वामावर्ती
यदि किसी परिवर्तित आउटपुट का इनपुट स्थिर है, परंतु ऊर्जा बदल जाती है, तो निम्न में से कौन सा अवयव नहीं बदलेगा?
KVA आउटपुट, kW आउटपुट, शक्ति गुणांक
किसी शंट मोटर में, स्टार्टर का उपयोग किसलिए किया जाता है?
आरंभ में धारा नियंत्रण
कुछ परिणाम प्रेरण विद्युत वाहक बल प्राप्त करने के लिए जुड़ी चालकों या कुंडलियों की प्रणाली कहलाती है-
आर्मेचर कुंडलन
किसी जनित्र में ढांचे के साथ आई वोल्ट् सलंग्न होता है, सामान्यत:
उपर में
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