वेल्डिंग का निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है
यह विधियां निम्न प्रकार की होती ह:
यह निम्न प्रकार की होती है:
जब वेल्डिंग आर्क कार्यखंड तथा फिलर रॉड रूपी इलेक्ट्रोड के मध्य बनाई जाती है तो उसे मेंटल आर्क वेल्डिंग कहते हैं। यह विधियाँ निम्न प्रकार की है
विद्युत प्रतिरोध वेल्डिंग यह विधियाँ निम्न प्रकार की होती है-
सॉलि़ड फेज या रजिस्टेंस वेल्डिंग विधि निम्न प्रकार की होती है-
इसमें धातुओं को जोड़ने के लिए ब्रास या ब्रोंज को फिलर मेंटल के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह विधि ऐसी धातुओं को जोड़ने के लिए प्रयोग में लाई जाती है जिनका गलनांक बिंदु फ़िलर मेंटल से अधिक हो। ब्रेजिंग को प्राय दो विजातिय धातुओं को जोड़ने के लिए किया जाता है। जैसे तांबा कों स्टील के साथ जोड़ना आदि।
ब्रेजिंग विधियाँ निम्न प्रकार की होती है
फ्लैट पोजीशन में वेल्डिंग बाएं से दाएं दाएं से बाएं बनाई जा सकती है।
यह दो प्रकार से की जा सकती है।
इस विधि में रसायनिक क्रिया द्वारा उत्पन्न किया जाता है यह एक फ्यूजन वेल्डिंग है।। इसमें थर्मीट पाउडर का प्रयोग किया जाता है। यह क्रिया निम्नलिखित प्रकार की होती है
8AL + 3Fe3O4 – 4Al2O3 + 9Fe + उष्मा
थर्मिट बिल्डिंग के लिए निम्नलिखित क्रिया विधि अपनाई जाती है।
इस विधि में वेल्ड किए जाने वाले भागो को एक विशेष प्रकार की युक्ति से बनता जाता है, जिसमें एक भाग स्थिर तथा दूसरा मूवेविल होता है। घर्षण द्वारा वेल्डिंग तापमान एक दोनों सतहों को गर्म किया जाता है तथा जब वह प्लास्टिक अवस्था में आ जाती है तो मूवेबिल भाग को रोककर प्रेशर द्वारा वेल्डिंग की जाती है, इस विधि से अधिकतर गोल भागों को जोड़ा जाता है। यह विधि छोटे छोटे भागों को जोड़ने में अधिक उपयोगी है।
यह आधुनिक वेल्डिंग तकनीक है। इस विधि से स्टड को किसी प्लेट में बिना किसी पेंचींग द्वारा जोड़ा जाता है। इस विधि में पावर वेल्डिंग ट्रांसफार्मर से प्राप्त होती है।
पानी के नीचे वेल्डिंग करने की तकनीक को हाइपरवेल्डिंग कहते हैं। इस विधि से गैस के उच्च दाब द्वारा जोड़ वाले स्थान को चारों तरफ से पानी रहित किया जाता है। इस विधि से जोड़ की वेल्डिंग तीन प्रकार की की जाती है।
इस विधि में वेल्ड होने वाले दोनों भागों में विस्फोटक वेल्डिंग से एक भाग को स्थिर रखा जाता है तथा दूसरे भाग को विस्फोटक द्वारा स्थिर भाग पर तिरछा कराया जाता है तो बहुत अधिक वेग से टकराने के कारण मेंटल इंटरफ़ेस एक दूसरे में फंस जाते हैं तथा एक प्रकार से वेल्ड जोड़ बनाते हैं।
इस विधि में वेल्डिंग किए जाने वाले हैं एक साथ बलपूर्व कलैंप कर दिए जाते हैं। फिर इन अवयवों को एक ट्रांसड्यूसर द्वारा अल्ट्रासोनिक फ्रीक्वेंसी पर ओसीलेटिंग शियर स्ट्रेस दिया जाता है। इस प्रकार दोनों अवयवों की मेंटल बिना पिघले ही आपस में जुड़ जाती है तथा एक ठोस वेल्डिंग रोड बन जाता है।
एक समान धातुओं को उसी धातु की फिलर रोड से जोड़ना ऑटोजिनीयस वेल्डिंग कहलाता है।
अलग-अलग प्रकार की धातुओं को भी जाती है, धातु की फिलर रोड से जोड़ना हाइट्रोजिनियस वेल्डिंग कहलाता है।
फ्यूजन या नॉन प्रेशर वेल्डिंग: इस विधि में जोड़े जाने वाले पार्ट्स के किनारों को गलनांक तापमान पर गर्म किया जाता है। जब किनारों पर धातु पिघलने लगती है तो जोड़ को रिक्त जगह में फिलर धातु भरी जाती है। जो वेल्डिंग रोड से प्राप्त होती है। फ्यूजन वेल्डिंग में निम्नलिखित विधियों से वेल्डिंग की जाती है-
प्लास्टिक व प्रेशर वेल्डिंग इस विधि में जोड़े जाने वाले पार्ट्स के किनारों को गलनांक तापमान तक गर्म किया जाता है फिर दाब देकर उन्हें जोड़ा जाता है। इस विधि में फिलर धातु की आवश्यकता नहीं होती। प्रेशन वेल्डिंग करने की निम्नलिखित विधियां हैं-
रासायनिक विधि इस विधि में ऊष्मा हमें मुख्य रूप से कोयले या गैसों के जलने से प्राप्त होती है। उसका एक अन्य स्रोत आयरन ऑक्साइड और एलुमिनियम पाउडर भी है जिसकी परस्पर क्रिया से उष्मा उपजाति है। इसके अंतर्गत निम्न प्रकार की वेल्डिंग आती है
विधि विधि द्वारा तीन प्रकार से ऊष्मा उपजाति है.
विद्युत आर्क
उत्पन ऊष्मा = वोल्टता x धारा x समय
H (जुल) = V (वॉल्ट) x I (एंपियर) x T ( सेकंड)
रजिस्टेंस
उत्पन ऊष्मा -= ( धारा)2 x रजिस्टेंस x समय
H (जुल) = (I)2 एंपियर x R ओह्रा x T ( सेकंड)
इंडक्शन
इस विधि में हाई फ्रिकवेंसी करंट की आवश्यकता होती है।
दो कार्बन के राडो में उत्पन्न बिजली की रोड।
यह लाट जिसमें ऑक्सीजन की तुलना में एसिटीलीन की मात्रा अधिक होती है।
पिग आयरन को पुनः ढालकर तैयार किया गया लोहा इसकी किंतु शक्ति कम होती है, परंतु दबाव सहने की शक्ति काफी अच्छी होती है। इसमें आसानी से ढाला जा सकता है।
यह बिजली के स्रोत कारण ध्रुव है।
एलॉय स्टील में मिलाए जाने वाली एक विशेष धातु है।
यह वेल्ड जो टी जोड़ के दोनों और जगह छोड़कर छोटे-छोटे आमने-सामने भागों को वेल्ड करके पूरा किया जाए।
वह जोड़ जिसकी जड़ में अंतर न रखा जाए।
वह वेल्डिंग रॉड जिस पर फ्लक्स की परत चढ़ी हो।
एक ही प्रकार के कणों में आपसी खिंच। बेस तथा किल्लर धातु को पूरी तरह मिल जाने की स्थिति।
जोड़ को अधिक शक्ति देने के लिए उपयुक्त भाग। धातु के साथ छोड़ा गया अथवा उभरा हुआ धातु का भाग।
कोण
टार्च की टिप के पास बना लौट का कोनिकल भाग।
वह वेल्ड जिसका ऊपरी तल समतल से नीचे हो।
वेल्डिंग करते समय धातु को दिया जाने वाला अतिरिक्त ताप है।
रेजिस्टेंस वेल्डिंग मशीन के तांबे के बने जबड़े जो काम के संपर्क में आकर करंट सप्लाई करते हैं।
वह वेल्ड जो जोड़ की पूरी लंबाई में समान रूप से लगा हो।
धातु को ठंडा होकर सिकुड़ने की मात्रा।
वह वर्ल्ड जिसका तल कूबड़ा हो।
यह बिजली शक्ति की मात्रा की इकाई है। यह बिजली की वह मात्रा है जो कंडक्टर में से 1 एंपियर की मात्रा में 1 सेकंड के समय में गुजरती है.
वह सफेद शीशा जो रंगदार शीशे की सुरक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है।
आर्क की शक्ति के कारण बना धातु में गहरा स्थान। यह जोड़ पूरा होने पर अंत में दिखाई देता रहता है।
वह तापमान जिसके ऊपर धातुओं की संरचना में परिवर्तन आता है।
स्टील की मजबूत बोतल जिसमें गैस को स्टोर किया जाता है।
संकीर्ण घन व पदार्थ है जिसमें छिद्र अवस्था रिक्त स्थान में हो।
ऑक्सीजन हटाने अथवा दूर करने वाला तत्व।
वेल्डिंग के साथ जोड़ में भरी गई धातु।
गहराई जिस धातु तक पिंघल जाती है।
इस विधि द्वारा पिंघली हुई ब्रेजीग धातु में डुबोकर टाका लगाया जाता है।
वह करंट जो दिशा नहीं बदलता तथा एक ही ओर बढ़ता है।
वह वैल्डिंग जिसमें आर्क उत्पन्न करने के लिए डायरेक्ट करंट का प्रयोग किया जाता है।
स्ट्रेस कि वह मात्रा जिसमें स्ट्रेस दूर करने पर वह वस्तु अपने पूर्व रूप में आ जाती है।
धातु का वह गुण जिसके कारण वह डाला गया बाहर हटाने से पुन: अपने पूर्व रूप में आने का प्रयत्न करती है।
टांका लगाने की वे विधियां जिसमें स्पैल्टर पिघलाने के लिए ताप बिजली की सहायता से उत्पन्न किया जाता है।
यह इलेक्ट्रोड का अगला सिरा है, जो अलग होने वाले रूप में भी हो सकता है।
किसी तेज़ाब अथवा रासायनिक पदार्थ की सहायता से धातु और क्षरित करने अथवा हटाने की क्रिया।
ताप के कारण धातुओं के फैलने की मात्रा।
वैल्ड का बाहरी दिखाई देने वाला तल।
हेड शील्ड जो आंखों को वेल्डिंग का हानिकारक रोशनी से सुरक्षा करती है।
धातु की परिवर्तित शक्तियों के प्रभाव को सहन करने की मात्रा।
लोहे का मेटलर्जिकल नाम।
जॉब के अतिरिक्त किनारे पर लगाया गया जोड़।
जोड़ में से बाहर निकली बारिक फालतू धातु।
जोड़ जिसके भाग वेल्डिंग के समय अपने स्थान पर पूर्णतया स्थिर रहे।
रजिस्टेंस वेल्डिंग के समय दबाव डालने के कारण बाहर निकली फालतू धातु।
गैस वेल्डिंग में आने वाला दोष जिसमें लाट ब्लो पाइप के मिक्सिंग चैम्बल में चली जाती है।
वेल्डिंग करने की स्थिति को प्रकट करता है इसमें जोड़ का तल लेटे हुए पक्ष में होता है।
वेल्ड जिसकी ऊपरी तल समतल हो तथा साथ वाले तलों के समान ऊंचाई पर होता है।
रासायनिक पदार्थ का प्रयोग तलों को साफ करने तथा ऑक्साइड आदि हटाने के लिए किया जाता है।
वेल्डिंग जिसके उपर फ्लक्स की परत चढ़ी होती है।
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