Study MaterialTechnical

ग्राइंडिंग से जुडी जानकारी

साधारण कटिंग ऑपरेशन में कटिंग टूल कार्य खंड की स्तर पर टूल द्वारा की गई कटिंग की छाप छोड़ देता है। इसके अतिरिक्त मशीन में उत्पन्न कंपनी टोल की चैटरिंग तथा बिल्ट अप एज  के कारण कटिंग की गई सतह रफ दिखाई देती है। इस रफनेस को काम करने के लिए आवश्यकतानुसार स्मूथ सतह का निर्माण किया जाता है। इस प्रकार चिकनी सतह प्राप्त करने की प्रक्रिया को ही ग्राइंडिंग कहा जाता है। मशीनिंग ऑपरेशन में बने कार्य कांड की सतह के कंटूरों की धातु को एक उच्च गति पर घूमते हुए एब्रेसिव पहिए द्वारा बहुत बारीक कानों के रूप में हटाने की प्रक्रिया को ग्राइंडिंग कहा जाता है। ग्राइंडिंग पहिए में लगे बहुत से एब्रेसिव छोटे-छोटे कटिंग टूलों की तरह कार्य करते हैं।

ग्राइंडिंग प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य, कटिंग टूलों की आकृति बनाना, उनकी धार लगाना, बिना कठोर की गई तथा कठोर की गई सतहों से बारीक कणों के रूप में धातु हटाकर उन्हें उच्च एक्यूरेसी तथा सर्फेस फिनिश प्रदान करना होता है।

ग्राइंडिंग वहीं को बनाने में मुख्य रूप से दो ही अवयवों की आवश्यकता होती है।

  • एब्रेसिव
  • बाइंडर

एब्रेसिव

एब्रेसिव कंण वास्तव में कटिंग प्रक्रिया में भाग लेते हैं तथा कार्य खंड की सतह पर बने उभारों के छोटे-छोटे कणों में उससे अलग करके अधिक अच्दि परिष्कृत सतह का निर्माण करते हैं।एब्रेसिव  छोटे-छोटे कणों के रूप में, अनेकों तीवर कोरो, वाले होते हैं।

इसीलिए इनकी कृपा करें तथा नुकीली सीरे कटिंग टूल के रूप में कटिंग प्रक्रिया करते हैं। एब्रेसिव कणो का चुनाव ग्राइंड की जाने वाली धातु पर निर्भर करता है। यह दो प्रकार के होते हैं-

  • प्राकृतिक एब्रेसिव
  • कुत्रिम एब्रेसिव

बॉन्ड\बाइंडर

एब्रेसिव कणों का आपस में बांधकर रखने को एक चिपकाने वाले पदार्थ की आवश्यकता होती है। यह चिपकाने वाला पदार्थी ग्राइंडिंग स्टोन अथवा ग्राइंडिंग व्हील स्कोर सामर्थ्य प्रदान करता है। बाइंडर का जोड़ जितना मजबूत होगा ग्राइंडिंग व्हील की उम्र उतनी ही अधिक होगी। बॉन्ड की कठोरता की माफी ग्राइंडिंग व्हील का ग्रेड कहलाता है। ग्राइंडिंग वहीं के लिए निम्न प्रकार के बाइंडरों का प्रयोग किया जाता है।

  • विट्रीफाइड बॉन्ड
  • सिलीकेट  बॉन्ड
  • चपड़ा बॉन्ड
  • रेजिन बॉन्ड
  • रब्बर बॉन्ड
  • धातू बॉन्ड
  • ऑक्सिक्लोराइड बॉन्ड

ग्राइंडिंग व्हील का ग्रेड

ग्राइंडिंग व्हील के अंदर एब्रेसिव कणों को  बांधे रखने के लिए प्रयोग किए गए बाइंडिंग पदार्थ की सामर्थ्य को उसके ग्रेड से पहचाना जाता है। यह ग्रेड अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों (A-Z) के द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। इनमें A ग्रेट सबसे अधिक मुलायम तथा क्रमश बढ़ते हुए Z ग्रेट सबसे अधिक मजबूत बॉन्ड को प्रदर्शित करता है। साधारण ग्रेड्स को 3 वर्गों में बांटा गया है-

  • मुलायम ग्रेड A-F ग्रेड
  • मध्यम ग्रेड G-V ग्रेड
  • कठोर ग्रेड W-Z ग्रेड

यदि किसी व्हील पर लिखा है तो इसका अर्थ है उसके अंदर प्रयुक्त एब्रेसिव को ग्रेन साइज 80 है जो फाइन ग्रेट कहलाता है तथा बाइंडर द्वारा बनाया गया बॉन्ड R मध्य श्रेणी का है।

जब मुलाय ग्रेड के वहीं के द्वारा कठोर धातु की ग्राइंडिंग करते हैं तो एब्रेसिव करण जल्दी खुटल हो जाते हैं। यह कमजोर बॉन्ड से बंधे होने के कारण आसानी से अलग हो जाते हैं और उनके स्थान पर नए एब्रेसिव  कण उभर आते हैं जो फिर कटाई प्रक्रिया में भाग लेते हैं। इसलिए कठोर धातुओं को ग्रेंड करने के लिए मुलायम ग्रेड के व्हील प्रयोग किए जाते हैं। इसके विपरीत मुलायम धातुओं को ग्रेंड करने में एब्रेसिव करण जल्दी नहीं घीसते, अंत्य उन्हें मजबूत बॉन्ड वाले बाइंडर का बनाना चाहिए। इसका तात्पर्य है कि मुलायम धातुओं को ग्रहण करने के लिए कठोर वहीं तथा कठोर धातुओं के लिए मुलायम ग्राइंडिंग वहीं प्रयोग करने चाहिए।

More Important Article

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Close