बिहार की मिट्टियां, bihar mein mitti kis prkaar ki hoti hai, bihar mein mitti ke prkaar, bihar mein kis prkaar ki mitti paayi jaati hai, bihar ki mitti
मिट्टी कृषि एवं अनुसूची के उत्पादन का मूल स्रोत है. चट्टानों के टूटने फूटने और उन्हें भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन के फल स्वरूप जो तत्व एक अलग रूप धारण करता है वह अवशेष की मिट्टी कहलाता है.
मैदानी भाग जहां गंगा के विशाल मैदान का मध्यवर्ती भाग विस्तृत है, में अपोढ़ प्रकार की मिट्टी मिलती है. बिहार में यह मिट्टी विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला की चट्टानों से उत्पन्न हुई है. बिहार मिट्टी निर्माण के जनक शैल, स्थलाकृति, और वनस्पति में ना केवल अंतर पाया जाता है बल्कि यहां जलवायु की परिस्थितियां भी भिन्न है.
बिहार में जलोढ़ या अपोढ़ मिट्टी की प्रधानता है, क्योंकि यहां का 90% क्षेत्र जलोढ़ मिट्टी का बना हुआ है. बिहार में पर्वतपदीय मिट्टी का निर्माण स्थानीय चट्टानों की तलछट से हुआ है. यह भाबर के मैदान का चित्र है. यह मिट्टी पश्चिम चंपारण के उत्तर पश्चिम भाग में पाई जाती है.
तराई क्षेत्र में दलदली मिट्टी बिहार की उत्तरी सीमा के साथ पश्चिमी चंपारण की पहाड़ियों से लेकर किशनगंज तक फैली है. इस अम्लीय मिट्टी का रंग पीला है तथा यह गन्ना, दान और पटसन की खेती के लिए अनुकूल है.
इस मिट्टी का विस्तार जिलों के कोसी क्षेत्र में अधिक है तथा दरभंगा मुजफ्फरपुर के बाद चंपारण के पश्चिम भाग में उतरी-पश्चिम भाग में होती हुई भांगर की पट्टी समाप्त होती है. इस मिट्टी में चुना और क्षारीय तत्व नहीं है. यह मिट्टी हल्के भूरे रंग की होती है. कुछ क्षेत्रों में इसे केरल या केवाल मिट्टी भी कहा जाता है.
सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होने पर इस मिट्टी में धान, जूट और गेहूं की अच्छी फसल होती है. करेल-केवाल मिट्टी का क्षेत्र गंगा के दक्षिण मैदानी भाग में शाहाबाद से लेकर गया, पटना, मुंगेर होता हुआ भागलपुर तक विस्तृत है.
बिहार के उत्तरी मैदान में भागर क्षेत्र के बाद बंद सुंदरी मिट्टी का क्षेत्र है. यह मिट्टी गहरे भूरे रंग की है तथा इसकी प्रकृति क्षारीय है. पूर्णिया के दक्षिणी भाग से प्रारंभ होकर सहरसा, दरभंगा और मुजफ्फरपुर के दक्षिणी भाग को गिरता हुआ संपूर्ण सारण जिले तथा चंपारण के दक्षिण-पश्चिम भाग में विस्तृत इस मिट्टी को पुरानी जलोढ़ मिट्टी भी कहते हैं, जिसमें चुने के तत्वों की (30% से अधिक) है. यह क्षेत्र आम, लीची और केले के बागों के लिए प्रसिद्ध है.
यह नवीन जलोढ़ मिट्टी है जिसका विकास बाढ़ के मैदान में हुआ. बाढ़ द्वारा लाई गई मिट्टी के कारण इसमें उर्वरता बढ़ती जाती है. यह मिट्टी गंगा की घाटी, गंडक और महानंदा की घाटी में पाई जाती है. इसमें कहीं बालू की मात्र कहीं चीका की अधिक मात्रा मिलती है.
गंगा के दक्षिणी में ताल, पुरानी जलोढ़ और बलथर मिट्टी का क्षेत्र है.
गंगा के दक्षिणी भाग में 8 से 10 किमी की चौड़ी पट्टी में मोटे करने वाली धूसर रंग की मिट्टी पाई जाती है. धूसर रंग की इस मिट्टी को टाल मिट्टी कहते है. इस मिट्टी का निर्माण वर्षा ऋतु के बाद आई बाढ़ के द्वारा बारिक वह मोटे करो वाली मिट्टी के निक्षेपण से होता है. यह अत्यधिक उर्वर मिट्टी है तथा जल सूखने के बाद इस भूमि पर रबी की अच्छी फसल होती है.
अभ्रक मिट्टी वास्तव में एक पहाड़ी मिट्टी है. इसमें अभ्रक की प्रधानता होती है. बिहार नवादा जिले में रजौली प्रखंड में यह मिट्टी पाई जाती है. यह अनुउपजाऊ मिट्टी है. लेकिन समतल क्षेत्रों में मोटे अनाज एवं मक्के की खेती होती है.
बिहार के मैदानी भाग में गंगा के मैदान की दक्षिणी सीमा पर यह छोटा नागपुर का पहाड़ी भाग प्रारंभ होता है, बलथर मिट्टी का क्षेत्र स्थित है. इसमें रेट और कंकड़ की बहुलता रहती है इस मिट्टी का रंग पीला और लाल होता है.
इस मिट्टी में होने वाली प्रधान फसलें मक्का, अरहर, चना तथा ज्वार बाजरा है. यह मिट्टी कैमूर पठार और गंगा दोआब के संधि स्थल पर भी पाई जाती है. पश्चिम में कैमूर पठार से पूर्व में राजमहल की पहाड़ियों तक मिट्टी का संकरण क्षेत्र स्थित है. इसमें लोहा का अधिक होने के कारण इसका रंग लाल होता है तथा इसमें जल संग्रह करने की क्षमता कम होती है.
यह पठारी मिट्टी है, जो कैमूर रोहतास के पठारी भाग में मिलती है. इसमें बालू की मात्रा अधिक होती है तथा इसकी उर्वरा शक्ति बहुत कम है. इस मिट्टी में मोटे अनाज उगाए जाते हैं.
निर्देश : (प्र. 1-3) नीचे दिए गये प्रश्नों में, दो कथन S1 व S2 तथा…
1. रतनपुर के कलचुरिशासक पृथ्वी देव प्रथम के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से कौन सा…
आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे की अपने डॉक्यूमेंट किससे Attest करवाए - List…
आज इस आर्टिकल में हम आपको Haryana Group D Important Question Hindi के बारे में…
अगर आपका selection HSSC group D में हुआ है और आपको कौन सा पद और…
आज इस आर्टिकल में हम आपको HSSC Group D Syllabus & Exam Pattern - Haryana…