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छत्तीसगढ़ का गठन

छत्तीसगढ़ के रूप में देश का 26 वां राज्य गत 1 नवंबर 2000 को विधिवत अस्तित्व में आ गया है। भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी महानिदेशक एवं योजना के सदस्य दिनेश नंदन सहाय ने 31 अक्टूबर-1 नवंबर 2000 की मध्य रात्रि में प्रदेश के पहले राज्यपाल के रूप में राजधानी रायपुर में पुलिस परेड ग्राउंड में शपथ ग्रहण की।  उन्हें नवगठित छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पहले कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. एस. गर्ग ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। (1 नवंबर 2000 से बिलासपुर में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की प्रधानपीठ की स्थापना की अधिसूचना मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 21 (2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा 27 अक्टूबर को ही जारी की गई थी।  यह देश का 19 वाँ उच्च न्यायालय है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति को उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है जिन्होंने नवंबर के दूसरे सप्ताह में पदभार ग्रहण किया। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आरएस  की नियुक्ति इस न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में ही की गई है तथा कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने प्रदेश के पहले राज्यपाल को शपथ दिलाई है। 

स्वयं शपथ ग्रहण करने के पश्चात राज्यपाल सहाय ने कांग्रेस प्रवक्ता एवं प्रदेश के कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत जोगी को प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई। इससे पूर्व 31 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक दल ने श्री जोगी को सर्वसम्मति से अपना नेता चुना था। प्रदेश की 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 48 सदस्य थे और इस प्रकार विधान सभा में उसे स्पष्ट बहुमत प्राप्त था। छत्तीसगढ़ विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या 36 थी। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की 50 सीटें हैं, कांग्रेस की 37, बसपा की 2, तथा राकांपा की एक सीट है, रमन सिंह ( 7 दिसंबर 2003) मुख्यमंत्री हैं।

मुख्यमंत्री की पद की शपथ लेने के बाद श्री जोगी ने कहा था कि उनकी कुछ प्राथमिकताएं अल्पकालिक वह खुद से दीर्घकालिक है। भीषण सूखे से निपटने के लिए उन्होंने अपनी पहली प्राथमिकता बताया। प्रदेश में अपार प्राकृतिक संपदा के बावजूद गरीबी की मौजूदगी के विरोधाभास को योजनाएं बनाकर मिटाने की दूसरी बात भी उन्होंने कही थी।

नए छत्तीसगढ़ राज्य हेतु अखिल भारतीय सेवाओं के मध्य प्रदेश कैडर का विभाजन 24 अक्टूबर को ही कर दिया गया था।  और राज्य के आई एस, आई पी एस व आई, ऐफ एस अधिकारियों को स्वैच्छिक विकल्प देने कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की मांग की उपेक्षा करते हुए केंद्र सरकार की यू. सी. अग्रवाल समिति ने रोस्टर से अधिकारियों का चयन छत्तीसगढ़ हेतु किया था।  राज्य के 396 आई 300 में आई ए एस अधिकारियों में से 100, 278 आई पी एस अधिकारियों में से 59 तथा 386 आई एफ अधिकारियों में से 115 को छत्तीसगढ़ में स्थानांतरित किया गया। अविभाजित मध्य प्रदेश में राजस्व मंडल के अध्यक्ष अरुण कुमार को छत्तीसगढ़ का पहला मुख्य सचिव तथा राज्य होमगार्ड महानिदेशक  मोहन शुक्ल को नवसृजित राज्य का पहला पुलिस महानिदेशक बनाया गया था।

छत्तीसगढ़ राज्य के गठन का मार्ग अगस्त 2000 में उस समय प्रशस्त हो गया जब संसद के दोनों सदनों ने इसके लिए राज्य का पुनर्गठन विधेयक पारित कर दिया।  छत्तीसगढ़ के गठन के लिए मध्य प्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 लोक सभा में 31 जुलाई को तथा राज्य सभा 9 अगस्त को पारित किया गया। संसद के दोनों सदनों ने यह विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया।  इस विधेयक पर राष्ट्रपति ने अपनी मंजूरी 28 अगस्त, 2000 को प्रदान कर दी तथा इसे अधिनियम के रूप में सरकारी गजट में अधिसूचित कर दिया गया।

छत्तीसगढ़ियों पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनाने का सपना उस समय साकार हो गया जब देश के 26 राज्य के संवैधानिक के प्रमुख के रूप में राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। उन्हें छत्तीसगढ़ के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आर  एस गर्ग ने शपथ दिलाई। 31 अक्टूबर 2000 को रात्रि को जैसे ही दिनेश नंदन सहाय ने श्री अजीत जोगी को इस नवीन राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई, हर्ष का सम्राज्य व्याप्त हो गया। चारों और खुशियां ही खुशियां थी किंतु बहुत से लोगों को बेहद दु:ख भी था क्योंकि 44 वर्षों से एक साथ रहने वाले लोग सदैव के लिए अलग हो रहे थे।

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