एक विशाल सुखी एवं गौरवशाली प्रांत के लिए यहां सभी साधन उपलब्ध है। मालवा, छत्तीसगढ़, नर्मदा, क्षेत्र इस प्रदेश के अन्न भंडार हैं और छत्तीसगढ़ एवं विंध्य प्रदेश खनिज भंडार…..हर तरह से यह प्रदेश कामधेनु है। यहां का सांस्कृतिक वैभव देश की अमूल्य संपदा है।
1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश के पितामह व प्रथम मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के उक्त उद्गगारों के साथ मध्य प्रदेश ने अपनी विकास यात्रा का शुभारंभ किया, किंतु दुर्भाग्य से स्वतंत्र भारत का यह सबसे विराट प्रदेश को छत्तीसगढ़ व शेष मध्य प्रदेश में विभाजित करने की राजनीतिक महत्वाकांक्षा इस असफलता को उदघोषित करती है। भूतपूर्व महामहिम राष्ट्रपति डॉ शंकरदयाल शर्मा के अनुसार आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मध्य प्रदेश का मानचित्र देख इसकी रचना को असंगत एवं बेतुका बताया था।
1955-56 में राज्यों के पुनर्गठन की तस्वीर साफ हो जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मध्य प्रदेश के नक्शे को देखकर कहा था, हिंदुस्तान के मध्य यह ऊँट कहां से आ गया।
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