हिमाचल प्रदेश के मुख्य पर्यटन एवं धार्मिक स्थल

हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्य स्थान स्थान पर बिखरा पड़ा था जो पर्यटकों को शायद ही अपनी और आकर्षित करने की क्षमता रखता है. प्रदेश के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों का विवरण निम्नलिखित है-

रिवालसर

यह पर्यटन स्थल मंडी जिले से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है. यहां पर हिंदू, सिख एवं बौद्धों के धार्मिक स्थल दर्शनीय है. यहां पर प्रकृति अपनी अनोखी छटा बिखेर दी है जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।

श्री नैना देवी

यह स्वार घाट से 20 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। त्रिकोणीय पहाड़ी पर स्थित मंदिर से चारों तरफ का दृश्य अत्यंत मनोहारी लगता है। जिसके एक तरफ आनंदपुर साहिब और दूसरी तरफ गोविंद सागर झील है।

मंडी

इस पर्यटन स्थल का नाम मंडावर इसी के नाम पर मंडी पड़ गया। यह नगर व्यास नदी के दोनों तरफ से और दोनों किनारों पर बसा हुआ है। यह एक धार्मिक पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पर्यटन स्थल है जो दर्शनीय है।

बिलासपुर

जय शिमला नगर से 10 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। बिलासपुर की स्थापना का श्रेय वीरचंद को जाता है। यहां पर धार्मिक दर्शनीय स्थल है- लक्ष्मी नारायण का मंदिर व्यास गुफा और राधेश्याम का मंदिर आदि प्रसिद्ध। यहां का प्रमुख दर्शनीय स्थल गोविंद सागर झील है।

मशोबरा

यह पर्यटक स्थल शिमला से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह उतरी भारत का सबसे बड़ा फल अनुसंधान केंद्र है। मशोबरा का सिप्पी मेला पूरे राज्य में विख्यात है।यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से काफी संपन्न एवं अति सुंदर है।

शिमला

यह उत्तरी भारत का एक सुपर प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यह हिमाचल प्रदेश राज्य की राजधानी भी है ,।यह राज्य का सबसे बड़ा शहर भी है। शिमला नगर का नामकरण श्यामलाल देवी के नाम पर हुआ।

तादी

ताधी एक सम्मानीय पर्यटन स्थल है। यह चंद्रा एवं बागा नदियों के संगम पर स्थित है. ताधी वेलांग से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रीब्बा

यह जिला किन्नौर में स्थित एक घनी आबादी वाला गांव है। यह मौराग से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। रीबा अंगूरी शराब के लिए विख्यात है।

पराशर झील

यह झील मंडी शहर से उत्तर पूर्व में 40 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। यहां पर पराशर ऋषि का मंदिर तीन मंजिला पश्चिम हिमालय का एक अद्भुत मंदिर है जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

सराहन

शिमला जिले में स्थित यह धार्मिक स्थल सराहन भीम काली के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त सराहन के ठीक सामने श्रीखंड पर्वत श्रंखला दृष्टिगोचर होती है जिस के पृष्ठ भाग में सौंदर्य से परिपूर्ण घन एवं शहरी में पर्यटक को अपनी और आकर्षित करते हैं।

रामपुर

शिमला से 140 किलोमीटर दूर रामपुर सतलज नदी के बाएं छौर पर अवस्थित है। रामपुर उत्तरी भारत के सबसे बड़े मेले लवी के लिए भारत में ही नहीं विश्व विख्यात में है।

रेणुका

यह स्थल नाहान से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर भगवान परशुराम का भव्य मंदिर बना हुआ है। यहां पर एक सुंदर झील भी दर्शनीय है।

पोंटा साहब

यह सिखों का धार्मिक स्थल है। यह स्थान जमुना के किनारे पर है। गुरु गोविंद सिंह ने यहां तक दिया था।

नाहन

शिवालिक पहाड़ियों में स्थित नहाने एक अकेली पहाड़ी पर स्थित है। नाहन स्वच्छता एवं सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। नहान की स्थापना 1621 ईस्वी में राजा कर्ण प्रकाश ने की थी।यहां पर धार्मिक पर्यटन स्थल या दर्शनीय है।

धौला कुआं

नहान से पोंटा रोड पर लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर यह रमणीक स्थल स्थित है। धौला कुआं के समीप की कतासन देवी का विश्व विख्यात मंदिर बना हुआ है। जिसका निर्माण राधा जगत सिंह द्वारा कराया गया। धोला कुआं क्षेत्र खट्टे रस भरे फलों और आम्रकुंजों ( बगीचा) के लिए विख्यात है।

चिंतापूर्णी

यह धार्मिक स्थल जिला अका से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर को कांगड़ा में स्थित मां पार्वती के श्री राम गोडसे बने प्राचीन शक्तिपीठों में गिना जाता है।

पालमपुर

यह कांगड़ा घाटी का अति सुंदर नगर है। जिसके चारों ओर हरे भरे चाय के बागान है। यह अटल स्वास्थ्य वर्धन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पालमपुर की होली काफी प्रसिद्ध है।

हमीरपुर

यहां पर बाबा बालक नाथ प्रसिद्ध मंदिर का, राम भगतगण वर्ष भर आते हैं। स्थल को दियोटसिद्ध मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह हमीरपुर से 46 किलोमीटर दूर है।

मनी महेश

यहां पर एक पवित्र झील और देव मंदिर भी है। प्रतिवर्ष हजारों तीर्थयात्री यहां पर आकर दर्शन का लाभ उठाते हैं।

डलहौजी

इस शहर की स्थापना का श्रेय वायसराय लॉर्ड डलहौजी को जाता है। यह स्थापना हिमाचल प्रदेश के सुंदर तन स्थलों में से एक है। डलहौजी से 24 किलोमीटर दूर स्थित है स्थल का स्विट्जरलैंड के नाम से प्रसिद्ध है।

मटन सिद्धू

हमीरपुर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हमीरपुर शिमला रोड पर यह मंदिर स्थित है तथा हनुमान जी के भक्तों की श्रद्धा का अति सुंदर स्थान।

नाको

यह इस घाटी का सबसे ऊंचाई पर स्थित है गांव है तथा साथ में सुप्रसिद्ध नाको भी है। नाकों के समीप पारयजिल पर्वत स्थित है।

बिजली महादेव

कुल्लू से 10 किलोमीटर की दूरी पर व्यास नदी के किनारे स्थित धार्मिक स्थल बिजली महादेव का अद्भुत विचित्र मंदिर है। बिजली महादेव का मंदिर धूप में अपनी अनोखी छटा बिखेर देता है। सावन माह में आकाशीय बिजली शिवलिंग पर गिरती है और यह खंड खंड हो जाता है। तत्पश्चात पुजारी एवं श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग पर कुछ समय पश्चात अवस्था में आ जाता है।

जगत सुख

प्राचीन काल में जगत सुख भी कुल्लू रियासत की राजधानी थी। मनाली से 6 किलोमीटर की दूरी पर व्यास नदी के बाय किनारे पर जगतसुख गांव स्थित है। यहां पर प्राचीन मंदिर में भगवान शिव जी, संध्या, गायत्री इत्यादि देवी देवताओं के मंदिर दर्शनीय है।

धर्मशाला

कांगड़ा के उत्तर पूर्व में 18 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित धर्मशाला स्वच्छता तथा सुनियोजित निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। 1960 में यहां पर है तिब्बत के निर्वाचित है बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के आ जाने से धर्मशाला छोटा तहासा ( तिब्बत की राजधानी) के नाम जाना जाता है।

डेरा बाबा वडभाग सिंह

बड़भाग सिंह छटे सिख गुरु, गुरु हरगोविंद सिंह के पढ़ पुत्र बाबा राय सिंह के पुत्र थे। यह स्थान भूत, प्रेत, जीन्द, चुड़ैल आदि से पीड़ित रोगियों को इनसे मुक्ति दिलाने के लिए विख्यात है।

गोविंद सागर

बिलासपुर जिले में स्थित गोविंद सागर झील में नौका भ्रमण बहुत ही आनंददायक है। भाखड़ा बांध के कारण बनी इस जेल का पहाड़ों के मध्य रुका हुआ जल बहुत आकर्षक लगता है। इसकी लंबाई 88 किलोमीटर है।

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