सिंचाई का कृषि उत्पादन को बढ़ाने में विशेष योगदान होता है, कृषि उत्पादन प्रक्रिया में पर्याप्त तथा समय पर सिंचाई की पूर्ति की जरूरत उन क्षेत्रों में है जहां वर्षा काफी कम तथा अनियमित होती है। कृषि योग्य भूमि को बढ़ाया नहीं जा सकता इसलिए उत्पादन में तीव्र वृद्धि के लिए अनेक फसलें तथा प्रति यूनिट क्षेत्र में अधिक फसल पैदावार उगाने के लिए सिंचाई पर निर्भर रहना पड़ता है। प्रदेश योजना में सिंचाई की संभावना तथा उसके अनुकूल उपयोग के सृजन पर विशेष प्राथमिकता दी जा रही है।
प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से केवल 5.83 लाख हेक्टेयर शुद्ध बोया गया क्षेत्र है। यह अनुमान लगाया जाता है कि प्रदेश में सिंचाई की क्षमता लगभग 3.35 लाख हेक्टेयर है। इसमें से 0.50 लाख हेक्टेयर मुख्य एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के अंतर्गत लाया जा सकता है एवं शेष 2.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र विभिन्न एजेंसियों की लघु सिंचाई योजनाओं के अंतर्गत लाया जा सकता है। प्रदेश में कांगड़ा जिले में शाहनहर परियोजना ही एकमात्र मुख्य सिंचाई परियोजना है। इस परियोजना के पूरा होने से 15,287 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई संभव हो जाएगी।
प्रदेश में पांचवी योजना में मध्यम सिंचाई परियोजनाओं का कार्य हाथ में लिया गया है। तब से 4 मध्यम परियोजनाओं में अब तक राज्य में 11,236 हेक्टेयर क्षेत्र में सी.सी.ए. सृजित करने का कार्य पूरा किया गया है। यें परियोजनाएं हैं- गिरी सिंचाई परियोजना (सी. सी. ए. 5263 हेक्टेयर) बल्ह घाटी परियोजना (सी. सी. ए.- 2410 हेक्टेयर) भभौर साहिब – (सी. सी. ए.- 923 हेक्टेयर) और भभौर चरण-II (सी. सी. ए.- 2640 हेक्टेयर)।
निर्धारित सिंचाई संभावनाएं तथा सी.सी.ए. का सृजन सारणी में दर्शाया गया है
निर्धारित सिंचाई संभावनाए तथा सी. सी. ए. सृजित
मद | क्षेत्र |
1 | 2 |
कुल भौगोलिक क्षेत्र | 55.67 |
शुद्ध बोया गया क्षेत्र | 5. 83 |
अंतिम उपलब्ध सिंचाई संभावनाएं | |
(क) मुख्य तथा मध्यम सिंचाई | 0.50 |
(ख) लघु सिंचाई | 2. 85 |
सृजित सी. सी. ए. | |
31.3.2002 तक | 1.97 |
31.3. 2003 तक | 1.99 |
31.3. 2004 तक | 2.02 |
31.3. 2005 तक | 2.04 |
31.3.2006 तक | 2.07 |
31.3.2007 तक | 2.17 |
31.3.2009 तक | 2.22 |
31.12.2009 तक | 2.35 |
नोट- ऐसी सिंचाई परियोजनाएं जिनके सी.सी.ए. 10,000 हेक्टेयर से अधिक हो मुख्य परियोजनाओं के अंतर्गत 2,000 हेक्टेयर से अधिक सी. सी. ए. तथा 10,000 हेक्टेयर तक कि मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के अंतर्गत तथा लघु सिंचाई परियोजनाएं 2,000 हेक्टेयर के अंतर्गत लायी गई है। वर्ष 2008-09 में योजना वार निम्नलिखित उपलब्धियां प्राप्त हुई है। वर्ष 2009-10 में योजना बार निम्नलिखित उपलब्धियां प्राप्त हुई है।
मुख्य तथा मध्यम सिंचाई परियोजनाएं
और 2014-15 में 3,100 लाख रुपए के प्रावधान से 3,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य था। दिसंबर 2014 तक 978 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि सिंचाई के अंतर्गत लाई गई।
लघु सिंचाई
वर्ष 2014-15 में राज्य क्षेत्र में 12,182.00 लाख रुपए का प्रावधान 3,600 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया गया। दिसंबर 2014 तक 4,538.97 लाख रुपए खर्च किए गए थे तथा दिसंबर 2014 तक 2,517 क्षेत्र भूमि सिंचाई के अंतर्गत गई है।
कमांड विकास कार्यक्रम
वर्ष 2014 और 2015 के दौरान 2,500 लाख रुपए जिसमें केंद्रीय सहायता भी शामिल है, के अंतर्गत 3,552 हेक्टेयर क्षेत्र में फील्ड चैनल लाया गया। दिसंबर 2014 तक 103.83 लाख रुपए खर्च किए गए थे
बाढ़ नियंत्रण
वर्ष 2014-15 में 33,927.63 हेक्टेयर भूमि बाढ़ नियंत्रण कार्य के अंतर्गत लाने के लिए ₹16,697 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। दिसंबर 2014 तक 1,987.92 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। दिसंबर 2014 तक 500 हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया है।
जल विद्युत परियोजनाएं
प्रयोजना का नाम | क्षमता |
गिरिजा विद्युत परियोजना | 60 मेगावाट |
विनवा विद्युत प्रयोजना | 06 मेगावाट |
बस्सी विद्युत परियोजना | 60 मेगावाट |
आंध्रा विद्युत परियोजना | 16.95 मेगावाट |
भाभा विद्युत परियोजना (संजय जल विद्युत परियोजना) | 120 मेगावाट |
रोंग तोंग विद्युत प्रयोजना | 2 मेगावाट |
न्यूगल विद्युत परियोजना | 2.5 मेगावाट |
छावा विद्युत परियोजना | 1.75 मेगावाट |
लघु विद्युत इकाइयां | 1.37 मेगावाट |
रुकती विद्युत इकाइयां | 1.50 मेगावाट |
किरोट विद्युत इकाइयां | 4.50 मेगावाट |
किलार विद्युत इकाइयां | 12 मेगावाट |
बनेर विद्युत इकाइयां | 12 मेगावाट |
गज विद्युत इकाइयां | 10.5 मेगावाट |
निर्माणाधीन परियोजनाएं
धानवी परियोजना | 2.11 मेगावाट |
भामा परियोजना | 03 मेगावाट |
लघु इकाइयां | |
भाभा इकाइयां | 03 मेगावाट |
साल इकाइयां | 02 मेगावाट |
होली इकाइयां | 03 मेगावाट |
गुम्मा इकाइयां | 03 मेगावाट |
सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाएं
नाथपा झाकडी परियोजना | 1,500 मेगावाट |
कोल बांध परियोजना | 800 मेगावाट |
पार्वती परियोजना | 205 मेगावाट |
निजी क्षेत्र की जल विद्युत परियोजनाएं
बास्पा तृतीय चरण (300 मेगावाट) | मैर्सस जयप्रकाश इंडस्ट्रीज (अक्टूबर 1992) |
ऊहलतृतीय चरण (70 मेगावाट) | मैर्सस बलारपुर इंडस्ट्रीज (फरवरी 1992) |
हिवारा (231 मेगावाट) | मैर्सस हारजा इंजीनियरिंग कंपनी इंटरनेशनल (अगस्त 1993) |
धामाबड़ी सुंदरा (70 मेगावाट) |
मैर्सस हारजा इंजीनियरिंग (अक्टूबर 1996) |
करछम वांगटु | मैर्सस जयप्रकाश लिमिटेड (अगस्त 1993) |
न्यूगल परियोजना (15 मेगावाट) | मैर्सस ओम पावर कॉर्पोरेशन (जुलाई 1990) |
अलादुहगम (192 मेगावाट) | मैर्सस राजस्थान एवं वीविंग मिल्स लिमिटेड (अगस्त 1993) |
मलाना (86 मेगावाट) | मैर्सस आर. एस. डब्ल्यू. एम. लिमिटेड (अगस्त 1993) |
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