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हिमाचल प्रदेश में मुद्रा एवं बैंक

हिमाचल प्रदेश में कृषि, उद्योग एवं स्वरोजगार संबंधी गतिविधियों द्वारा अर्थव्यवस्था को विकसित करने में बैंकों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. बैंक ऐसी सामाजिक बैंकिंग नीतियों व कार्यक्रम तैयार करता है जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की प्रगति व किसानों, कारीगरों, व्यवसायियों और स्वरोजगारों को लाभ पहुंचाता गरीबी दूर करना है।

राज्य में सितंबर 2014 को क्षेत्रीय ग्रामीण सहकारी बैंक की कुल 1,483 शाखाएं कार्यरत थी। इस समय प्रदेश में 31 वाणिज्यक बैंकों की 1,483 शाखाएं कार्यरत थी जिनमें 293 शहरी/अर्ध-शहरी क्षेत्रों में कार्यरत है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, यूनाइटेड कमर्शियल बैंक (यूको बैंक) तथा स्टेट बैंक ऑफ पटियाला मुख्य बैंक है जिनकी 608 शाखाएं हैं। प्रदेश में इस समय दो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, हिमाचल ग्रामीण बैंक तथा ग्रामीण बैंक जिनका क्रमश: 124 तथा 31 शखाएं में कार्यरत है। 8 निजी क्षेत्र के बैंक जिनकी 38 शखाएं कार्यरत है

हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक समिति एक अल्पावधि ऋण ढाँचे का शीर्ष बैंक है। प्रदेश के 6 जिलो शिमला, किन्नौर, बिलासपुर, मंडी, सिरमौर, तथा चंबा में इसकी 203 शाखाएँ कार्यरत है इनमें एक शाखा दिल्ली भी शामिल है। इसके अलावा राज्य में दो केंद्रीय सहकारी बैंक, कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक समिति तथा जोगिंद्र केंद्रीय सहकारी बैंक है, जबकि कांगड़ा, हरिपुर, कुल्लू, उन्ना, तथा लाहौल-स्पीति में 108 शाखाएं कार्यशील है तथा जोगिंद्र केंद्रीय सहकारी की केवल सोलन जिले में 22 शाखाएं ही कार्यरत है।

सितंबर 2014 तक इन बैंकों द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

अग्रिम एवं जमा राशि

प्रदेश में सितंबर 2014 के आज तक राज्य के सभी कार्यरत बैंकों में कुल जमा राशि 53,400 करोड रुपए के साथ 18.55% की वृद्धि दर्ज की गई है। सितंबर 2014 के अंत तक वर्ष दर वर्ष का उधार 21,274 करोड रुपए दर्ज किया गया, जोकि पिछले वर्ष सितंबर 2011 के मुकाबले में 69.29 प्रतिशत अधिक थी, सितंबर 2014 तक थोरेंट समिति के सुझाव के आधार पर जमा एवं अग्रिम अनुपात 60% रहा

प्राथमिकता क्षेत्र में उधार

कुल प्राथमिकता क्षेत्र में बैंकों द्वारा जून 2010 तक दिए गए ऋण 10,717 करोड रुपए के मुकाबले यह राशि सितंबर 2011 में 18.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करते हुए 12,643 करोड रुपए हो गई है। उल्लेखनीय है कि प्राथमिक क्षेत्र में उधार की भागीदारी 60% से भी अधिक दर्ज की गई है जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय मानक के आधार पर भागीदारी 40% है। प्राथमिकता क्षेत्रों में दिए जा रहा है दिनों में वृद्धि के साथ सितंबर 2010 के मुकाबले 2011 तक 38% वृद्धि दर्ज की गई है। क्षेत्रवार उपलब्धि सारणी निम्नवत है-

क्षेत्र वार्षिक वचनबद्धता 2014-15 वास्तविक उपल बंदी 2014 तक प्रतिशत उपलब्धि  सितंबर 2014 (%)
कृषि 4710.45 1540.07 68.11
एम. एस. ई. 3588.27 1316.78 76.45
अन्य प्राथमिक क्षेत्र 2666.25 634.35 49.57
गैर प्राथमिक क्षेत्र 1966.43 1066.79 113.01
कुल योग 12931.40 4557.99 73.43

सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यकर्मों के अंतर्गत बैंकों का योगदान

  1. प्रधानमंत्री रोजगार कार्यक्रम- केंद्र सरकार ने अभी हाल ही में नई रोजगार उत्पादन नीति तैयार की है जोकि प्रधानमंत्री रोजगार योजना तथा खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड को संगठित करके बनाई गई है। सितंबर 2011 तक बैंकों में इस योजना के अंतर्गत 538 ऋण के मामलों को मंजूरी दी
  2. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना- इस योजना के अंतर्गत व्यैक्तिक स्वरोजगार  के 797 के मामले स्वीकृत 3.93 रूपय बाटें गए हैं। समूह आवास योजना के अंतर्गत 355 मामले स्वीकृत किए गए हैं, सितंबर 2011 तक 12.40 करोड रुपए बांटे गए हैं।
  3. स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एस. जे. एस. आर. वाई.)-गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन की यह योजना प्रदेश के सभी शहरों में स्थानीय निकायों के माध्यम से चलाई जा रही है। बैंकों द्वारा इस कार्यक्रम के अंतर्गत 80 ऋण मामलों के लक्ष्य की तुलना में सितम्बर 2011 तक 14 ऋण मामले को 8.56 लाख रुपए के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
  4. मेला ढोने वाले लोगों की मुक्ति व पुनर्वास- इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2009-10 के 3,296 लाभार्थियों के लक्ष्य की तुलना में सितंबर 2009 तक 1,473 लाभार्थी बैंकों को प्रायोजित किए गए हैं।
  5. स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड योजना- योजना के अंतर्गत नंबर 2008 तक 86.18 करोड रुपए की राशि से बैंकों तथा छोटे ग्रामीण कारीगरों तथा स्वयं रोजगार व्यक्तियों को 2,118 स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं।
  6. सूक्ष्म वित्त- बैंकों ने राज्य में 59,185 स्वयं सहायता समूह गठित किए हैं। इनमें से 54,328 स्वयं सहायता समूह को ऋण के लिए बैंकों से संबद्ध कर दिया गया है।
  7. किसान क्रेडिट कार्ड- प्रदेश में सितंबर 2011 तक बैंकों ने 4,30,316 ग्रामीण कारीगरों और स्वयं रोजगार व्यक्तियों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं।
  8. महिला उद्धमियों को ऋण सुविधा- 30 सितंबर  2011 तक बैंकों ने महिला उद्यमियों को 1301 करोड के ऋण वितरित किए जोकि प्रदेश में दिए गए कुल ऋण का 5.0% है।
  9. शत-प्रतिशत परिवारों का वित्तीय समावेश- बैंकों द्वारा पहले ही राज्य में 100% वित्तीय समावेश का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और मार्च 2010 तक का ऋण समावेश का 100% लक्ष्य प्राप्त करना।
  10. हिमाचल प्रदेश के सभी कोषों को बैंकिंग कोषों मे बदलना- सभी सरकारी कोषागारो को बैंक में बदलने के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है। डॉडराक्वार तथा कमराउ सरकारी कोषागारों को बदलने के लिए प्रदेश सरकार के साथ के लिए कार्यन्वयन समझौता प्रगति पर है।
  11. हिमाचल प्रदेश में शत-प्रतिशत प्रौद्योगिकीय समावेश की प्रगति- राज्य में प्रौद्योगिकी एवं समावेश की 100% वृद्धि की ओर अग्रसर है। बैंकों द्वारा राज्य में 100% उद्योगिक समावेश का लक्ष्य प्राप्त करना।

गांव अगीकरण की योजना

सभी बड़े बैंकों ने काफी संख्या में गांव का अंगीकरण योजना के तहत अंगीकरण कर लिया है। इस योजना के अंतर्गत 23 सितंबर 2008 तक 521 गांवों का अंगीकरण कर लिया गया है।

नाबार्ड

राष्ट्रीय कृषि तथा ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने पिछले कुछ वर्षों में पौध-रोपण एवं बागवानी, ग्रामीण सरंचना विकास, लघु ऋण ,ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र, लघु सिंचाई तथा अन्य कृषि क्षेत्रों के अंतर्गत ग्रामीण वितरण तरीकों का राज्य में सुदृढ़ीकरण का विस्तृतीकरण करके एकीकृत ग्रामीण विकास कार्य में पर्याप्त मदद प्रदान की है। नाबार्ड के अधिक-से-अधिक व क्रियात्मक सहयोग के कारण प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बहुत से सामाजिक व आर्थिक लाभ मिल रहे हैं। नाबार्ड अपनी योजनाओं के अंतरिक्त केंद्रीय प्रायोजित उधार के साथ हैं उपदान की योजनाएं जैसे- पशुपालन एवं कुक्कुट, विकास/कृषि विपणन के मूलभूत ढांचे के सुदृढ़ीकरण, बगीचों के मानकीकरण, जनजातीय विकास निधि, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में वर्षा के जल द्वारा कृषि योजना, फलों की पैदावार के लिए वातानुकूलित गोदामों का निर्माण/उन्नयन ग्रामीण गोदामों का निर्माण ,एग्रीक्लीनिक एवं कृषि व्यापार केंद्र इत्यादि योजनाओं को भी चला रहा है।

ग्रामीण सुविधा संरचना

भारत सरकार द्वारा वर्ष 1995-96 में ग्रामीण सुविधा सरंचना फ़ड (आर.आई.डी.एफ) की स्थापना की गई थी। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकारों तथा राज्य के स्वामित्व वाले निगमों को चल रही योजनाओं को पूरा करने तथा चुने हुए क्षेत्रों में नई परियोजनाओं को शुरू करने के लिए ऋण दिए जाते हैं। किसी स्थान से संबंधित विशेष सरंचना ढांचे के विकास हेतु जिसका सीधा असर समाज व ग्रामीण अर्थव्यवस्था से हो के लिए इस योजना का विस्तार पंचायती राज संस्थाओं, स्वयं सहायता समूहों तथा गैर सरकारी संगठनों तक भी कर दिया गया है। आर.आई.डी.एफ योजना के लागू होने से 31 दिसंबर 2013 तक प्रदेश को विभिन्न क्षेत्रों में 4,881 परियोजनाओं जैसे- पोली हाउस, सिंचाई, सड़क व पुल, पीने का पानी बाढ नियंत्रण, जल संरक्षण व प्राथमिक पाठशाला के कमरों को बनाने हेतु 4165.35 करोड रुपए की राशि स्वीकृत की गई है।

चालू वित्त वर्ष में 31 दिसंबर, 2011 तक ग्रामीण सुविधा सरंचना विकास फंड के अंतर्गत 365.71 करोड रुपए स्वीकृत किए गए हैं। वर्ष 2011-12 के दौरान प्रदेश सरकार को 257.49 करोड रुपए वितरित किए गए हैं। जिससे सरकार को अब तक का कुल वितरण 2,232.40 करोड रुपए हो गया है।

प्रदेश मे स्वीकृत परियोजनाओं के क्रियान्वयन/पूरा होने के उपरांत 68,522 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि की सिंचाई 20,007 हेक्टेयर भूमि को लघु सिंचाई के अंतर्गत लाया गया है। 147 हेक्टेयर भूमि को पोली हाउस के अंतर्गत चलाया कर जाएगा। 6,850 किलोमीटर वह आने योग्य सड़कें, 17,611 मीटर लंबे पुलों का निर्माण, 20,002 हेक्टेयर भूमि को बर्ड नियंत्रित है 6,219 हेक्टेयर भूमि को जल संरक्षण पर योजना के अंतर्गत लाया जाएगा। पीने का पानी 24,25,786 लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा। प्राथमिक पाठशाला में 2,921 कमरों का निर्माण व वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में 64 विज्ञान प्रयोगशाला के निर्माण में किया जाएगा। 25 नए सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र व 397 पशु चिकित्सालय में कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों को बनाया।

पुन: वित्त सहायता

डेयरी विकास, पौध रोपण उधान, कृषि यंत्र संरचना, लघु सिंचाई, भूमि विकास, स्वर्ण जयंती ग्रामीण स्वरोजगार योजना व गैर कृषि की उन्नति आदि विभिन्न कार्यों के लिए नाबार्ड द्वारा 31 दिसंबर, 2010-11 तक राज्य में कार्यरत विभिन्न बैंकों को 461.05 करोड रुपए की वित्तीय सहायता वर्ष 2011-12 के दौरान दी गई है। नाबार्ड सिंचाई योजनाओं के लिए भी ऋण सुविधा बढ़ाने पर विशेष बल दे रहा है।

लघु ऋण

स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी) कार्यक्रम अब संपूर्ण में एक सशक्त आधार के साथ विस्तृत हो गया है। इस कार्यक्रम को उच्च शिखर पर पहुंचाने में मानव संसाधनों और वित्तीय उत्पादों का विशेष सहयोग रहा है। इस समय 31 मार्च, 2013 तक प्रदेश में 66,106 स्वयं सहायता समूह कार्यरत थे जिनको सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग व विभिन्न गैर सरकारी, संस्थाओं द्वारा प्रोत्साहन दिया गया है। मार्च 2013 तक प्रदेश में 441 स्वयं सहायता समूह को 381.34 लाख का ऋण दिया गया है। कुल 68 किसान क्लब स्वयं सहायता उत्साहित संस्थान के रूप में कार्यरत है।

ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र

नाबार्ड द्वारा ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र को विकास के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र में रूप पहचाना गया है। इस क्षेत्र में पुनः वित्तीय वर्ष 2012-13 में 31 दिसंबर, 2013 तक ग्रामीण गैर कृषि क्षेत्र में विकास के लिए 111.18 लाख करोड रुपए नाबार्ड द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं। नाबार्ड ने जिला ग्रामीण उद्योग परियोजना ड्रिप प्रारंभ की है।

उपयुक्त के अतिरिक्त राज्य में नाबार्ड, उन ग्रामीण युवकों के लिए जो ग्रामीण क्षेत्रों में उधम साबित करने के इच्छुक है और ग्रामीण उद्यमि विकास कार्यक्रम (आर.आई.डी.पीज) के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान करवा रहा है। महिला उद्यमियों की ऋण आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक अन्य योजना गैर कृषि विकास योजना में ग्रामीण महिलाओं की सहायता नाम से भी चलाई जा रही है जिसमें कारपेट विविग, साले बनाना, सिलाई तथा नरम खिलौने बनाना इत्यादि क्रियाकलाप सीमित है। नाबार्ड ने एक निधि- नाबार्ड एस.डी.एस ग्रामीण निधि (और आई एफ) स्थापना की है जिसे गरीब ग्रामीणों को मदद दी जाएगी। निधि से नवीनता के लिए सहायता, मित्रता, जोखिम, खेतों में अपरंपरागत प्रयोग, गैर फार्म, लघु वित्त क्षेत्र, जीवन सत्र के उत्थान एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की संभावनाओं के उत्थान के लिए निर्मित किया गया है। नाबार्ड ने प्रदेश में 949 किसान क्लब स्थापित किए हैं। अभी हाल ही में नाबार्ड ने पर्यटन की सेवाएं प्रदान करवाने के लिए और उनकी ऋण आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्यटन समूह को विकसित करने  का फैसला लिया है। सभी गतिविधियों जो ग्रामीण पैटर्न का भाग है नाबार्ड के अंतर्गत पुणे वित्तीय सहायता की पात्र है। नाबार्ड ने स्वरोजगार ऋण कार्य योजना ग्रामीण कार्यक्रमों तथा अन्य लघु उद्यमियों के लिए चलाई है। जिनके लिए पर्याप्त ऋण कार्यशील पूंजी का प्रावधान है।

आधार स्तर पर ऋण प्रवाह

प्रदेश में वर्ष 2012-13 में प्राथमिक क्षेत्र के आधार स्तर ऋण प्रवाह 6814.84 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। जबकि वर्ष 2013-14 में यह राशि 3,664.41 करोड़ थी।

कुछ स्मरणीय तथ्य

  • हिमाचल प्रदेश में सितंबर 2013 तक क्षेत्रीय ग्रामीण सहकारी बैंकों सहित बैंकों की कुल 1859 शखाएं है।
  • हिमाचल प्रदेश में 29 वाणिज्यक बैंकों की 1859 शाखाएं हैं जिनमें से 1408 शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 251 शखाएं शहरी/अर्धशहरी क्षेत्रों में कार्यरत है।

हिमाचल प्रदेश में बैंकों के तुलनात्मक आंकड़े

मद सितंबर, 2013 सितंबर, 2014 वर्ष के दौरान परिवर्तन
जमा राशि (पी.पी.डी.)
ग्रामीण 26257.43 43036.06 6778.63
अर्ध-शहरी 27201.43 26584.90 616.53
कुल 63458.86 69620.96 6162.1
अग्रिम (ओ./एस.)
ग्रामीण 16129.88 17186.86 10056.98
अर्ध शहरी 9960.16 99941.96 (-)18.20
कुल 26090.04 27128.82 1038.78
जमा  उधार अनुपात (प्रतिशत में) 60.20 57.07 5.19
बैंकों द्वारा राज्य सरकार के बांड/प्रतिभूतियों में निवेश 22060.49 3389.11 1128.62
प्राथमिक क्षेत्रों में अग्रिम (ओ/ एस) जिनमें से 17794.11 19632.06 18037.98
कृषि 4803.27 5637.17 833.9
एम.एस.एम.ई. 8563.30 8839.35 276.05
ओ.पी.एस 4427.54 5155.57 (-)728.03
गरीबों को अग्रिम 5119.20 5274.68 155.48
डी.आर.आई. अग्रिम 14.19 24.10 9.91
अल्पसंख्यकों को ऋण 660.28 1166.84 506.56
महिलाओं के लिए ऋण 1823.18 2248.51 425.33
अनु जाति एवं जनजाति के लिए ऋण 3290.95 6444.63 3154.08
अग्रिम सरकारी योजना 8295.93 7496.73 (-) 799.20
शाखाओं की संख्या 1706 1859 153

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