हिमाचल प्रदेश में 2011 की अंतिम जनगणना के अनुसार साक्षरता दर 82.8% है। राज्य में पुरुषों एवं महिलाओं की साक्षरता दर में बहुत अंतर है। पुरुष की 89. 53% साक्षरता दर की तुलना में महिलाओं की साक्षरता दर 75.93% है। अंतर को कम करने के लिए हिमाचल सरकार पूरे मनोयोग से कार्यरत है। प्रदेश में इस समय प्राथमिक पाठशाला ओं की संख्या लगभग 10766 है। जिनमें 10738 क्रियाशील है।
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य घोषित करते हुए अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा अधिनियम 1977 (1978 एक्ट 2) बनाया है, जो कि अप्रैल 1998 में लागू किया गया। स्कूलों में अधिक से अधिक हाजिरी बढ़ाने व स्कूल छोड़ने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्ति अध्यापक स्कूल के बच्चों को दे रही है। आईआरडीपी के अंतर्गत परिवार के बच्चों को ₹250 प्रत्येक छात्र एवं ₹500 प्रति छात्र छात्रवृत्ति दे रही है।
जनजातीय क्षेत्रों में सभी छात्रों को मुफ्त किताबे एवं कॉपियां, लड़कियों को मुफ्त कपड़े एवं स्कूल ड्रेस, गैर जनजातीय क्षेत्रों में आई आर डी पी अनुसूचित जाति व जनजाति छात्रों को मुफ्त पुस्तकें, छात्राओं को ₹20 प्रति छात्र प्रति वर्ष उपस्थिति छात्रवृत्ति ₹4 प्रति माह की दर से गरीबी वजीफा दिया जाता है.
प्रदेश में शत प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्राथमिक शिक्षा विभाग में जिले के उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित जिला साक्षरता समिति आके समायोजन से प्रत्येक जिले में साक्षरता मिशन शुरू किया गया है।
प्रदेश सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना, जोकि सरस्वती बाल विद्या योजना के नाम से जानी जाती है शुरू की है, जिसके अंतर्गत 13612 नए कमरे चरणबद्ध तरीके से बनाए जाने की घोषणा की है। जिसके अंतर्गत प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में कम से कम तीन कमरे अवश्य बनाए जाने। जिनमें 3010 कमरे तैयार हो चुकी है। बाकी 3.273 कमरों का कार्य निर्माण भी पूरा हो चुका है।
शिक्षा विभाग ने विद्या उपासक ओं के लिए विशेष इंडक्शन ट्रेनिंग कोर्स तैयार किया है, ताकि विद्या उपासक प्रवीणता से कक्षाओं को चला सके।
राज्य में 31 दिसंबर, 2014 तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार 2552 माध्यमिक विद्यालय कार्यरत है।
शिक्षा हिमाचल प्रदेश के समग्र विकास में काफी महत्वपूर्ण है। समग्र विकास निष्पादन की दृष्टि से प्रदेश तीसरा सर्वश्रेष्ठ राज्य है।
पिछले 3 वर्ष की उपलब्धियां इंडिया टुडे के सर्वेक्षण में प्रकाशित हुई थी प्राथमिक शिक्षा एवं अध्यापक विद्यार्थी अनुपात में हिमाचल प्रदेश पहले स्थान पर रहा है।
साक्षरता की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश, केरल, त्रिपुरा, मिजोरम राज्य के बाद पांचवें स्थान पर हैं।
प्रदेश में वर्तमान में लगभग 1 राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (हमीरपुर) एक जवाहरलाल नेहरू राजकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय (सुंदर नगर), 12 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, 9 सरकारी बहुत तकनीकी संस्थान और 16 निजी क्षेत्र में बहुत तकनीकी संस्थान, साख सहकारी सह शिक्षा उद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, 16 महिला प्रशिक्षण संस्थान, एक मोटर ड्राइविंग प्रशिक्षण स्कूल कार्यरत है।
2011 के अंतिम जनगणना के अनुसार राज्य का साक्षरता प्रतिशत 82.8 है जो राष्ट्रीय औसत 73.0 से कहीं ज्यादा है।
राज्य में ज्ञान का प्रकाश कोने कोने तक पहुंचाने के उद्देश्य से ही सरकार ने प्रारंभिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 532 करोड रुपए की सर्व शिक्षा अभियान नामक एक महत्वाकांक्षी परियोजना चलाई जा रही है।
प्रदेश में 86 महाविद्यालय कार्यरत है जिनमें से एक B.Ed कॉलेज धर्मशाला जिले में एवं एक एन सी ई आर टी शिक्षा संस्थान सोलन में है।
हिमाचल प्रदेश प्रथम एक ऐसा राज्य है जहां 1995-96 से लड़कियों को सभी स्तर पर सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने से लेकर विश्वविद्यालय जिसके व्यवसायिक तथा तकनीकी कोर्स भी शामिल है मुफ्त शिक्षा देने की घोषणा की है।
राज्य में विकलांगों के लिए एकीकृत शिक्षा के मामले में सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 40% से अधिक विकलांग आते वाले छात्रों को विश्वविद्यालय सत्र तक निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी और यह जारी रहेगी।
प्रदेश सरकार ने समाज के वंचित वर्ग के शिक्षा सत्र को सुधारने के लिए राज्य व केंद्रीय सरकार ने विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों\वजीफे प्रदान किए हैं, जिन पर प्रतिवर्ष 14.60 करोड रुपए का खर्च आता है।
राज्य सरकार अनुसूचित जाति\अनुसूचित जनजाति से संबंधित विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम की पुस्तक मुफ्त में दे रही है। जिस पर लगभग 10.56 करोड रुपए खर्च होने की संभावना है।
प्रदेश में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में इस समय सरकारी बहुत निजी संस्थान, 59 सहशिक्षा उद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, जिनमें एक संस्थान, विकलांग व्यक्तियों का शामिल है। 16 महिला प्रशिक्षण संस्थान एवं एक मोटर ड्राइविंग और हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी ऑपरेटर प्रशिक्षण स्कूल कार्य कर रही है।
प्रदेश में निजी क्षेत्र में 51 सहशिक्षा उद्योगिक प्रशिक्षण कार्यरत है।
जिला कांगड़ा में परागपुर एवं जिला हमीरपुर के लोहारिया में 1-1 आई टी कॉलेज भी कार्यरत है।
प्रदेश में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में क्राफ्ट्समैन प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत 24 इंजीनियरिंग व 11 नॉन इंजीनियरिंग व्यवसाय प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रदेश में राजकीय बहु तकनीकी संस्थान (महिला) कनाडाघाट एवं हमीरपुर में 3 वर्षीय कंप्यूटर इंजीनियरिंग के व्यवसायिक कोर्स भी शुरू किए गए हैं।
भारत सरकार द्वारा देश में प्रारंभिक शिक्षा हेतु सर्व शिक्षा अभियान प्रारंभ किया गया है, जो प्रदेश सरकार द्वारा भी अपनाया गया है ।
इसका मुख्य उद्देश्य से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करना है।
राज्य में तकनीकी शिक्षा को मजबूती प्रदान करने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।
राज्य में नए संस्थानों को बहुत मशीनरी हेतु अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद का स्थाई की प्रशिक्षण परिषद के मानकों के अनुसार उचित वित्तीय मदद प्रदान की जा रही है।
2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश राज्य की साक्षरता दर 82.8% है, जो 2001 में 76.5% थी।
राज्य में सबसे अधिक साक्षरता वाला जिला हमीरपुर है जिस की साक्षरता दर 88.1 प्रतिशत है।
राज्य में सबसे कम साक्षरता वाला जिला चंबा है जिस की साक्षरता दर 72.1 प्रतिशत है।
पुरुषों में सबसे अधिक साक्षरता दर हमीरपुर में (94.3 प्रतिशत है)।
सबसे अधिक महिला साक्षरता राज्य के हमीरपुर जिले में (82.6%) है।
राज्य में सबसे कम पुरुष साक्षरता दर चंबा जिले में है।
राज्य में सबसे कम महिला साक्षरता दर चंबा जिले में है।
राज्य में पुरुषों की साक्षरता प्रतिशत 89.5% है।
राज्य में महिलाओं की साक्षरता प्रतिशत 75.9 प्रतिशत है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय के गठन के बाद राज्य को केंद्र से सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर साल करीब 125 करोड की राशि मिला करेगी। यह राशि 5 साल तक मिलेगी।
निदेशालय के गठन के पश्चात स्कूलों के प्रवक्ताओं का पद नाम भी बदल जाएगा। उनका नया पद नाम पीजीटी होगा। सरकार ने प्रारंभिक निदेशालय के गठन का मसौदा तैयार कर लिया है, लेकिन शिक्षकों की तैनाती के मुद्दे पर वह किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती।
हिमाचल प्रदेश में एलीमेंट्री शिक्षा निदेशालय का विधिवत गठन कर दिया गया है। इस संबंध में प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना एलिमेंट और शिक्षा निदेशक उच्च शिक्षा निदेशक कल आएंगे। शिक्षा विभाग प्रायमरी हटा दिया गया है।
प्रदेश में लेक्चरर एवं पीजीटी शिक्षक अभी तक सिर्फ ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा को पढ़ा रहे थे लेकिन अब उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है अब वे दो कक्षाओं के अलावा नौवीं और दसवीं को भी पढ़ाएंगे.
प्रदेश में जेबीटी शिक्षक एलीमेंट्री के प्राइमरी यूनिट को पढ़ाएंगे. अधिसूचना जारी होने के अलावा सरकार ने इस संबंध में राज्य स्तरीय और एक जिला स्तरीय दो कमेटियों का गठन किया.